"कपिला": अवतरणों में अंतर
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'''कपिला''' नामक एक नदी का उल्लेख पौराणिक [[महाकाव्य]] [[महाभारत]] में हुआ है। महाभारत के अनुसार कपिला '[[नर्मदा नदी]]' के उद्गम के समीप एक शाखा थी। यह नर्मदा नदी की प्रारम्भिक धारा थी। यह [[अमरकंटक]] से निस्सृत होती है। | '''कपिला''' नामक एक नदी का उल्लेख पौराणिक [[महाकाव्य]] [[महाभारत]] में हुआ है। महाभारत के अनुसार कपिला '[[नर्मदा नदी]]' के उद्गम के समीप एक शाखा थी। यह नर्मदा नदी की प्रारम्भिक धारा थी। यह [[अमरकंटक]] से निस्सृत होती है। | ||
*इस नाम से और भी कई नदियाँ भारतीय प्रदेशों में प्रवाहित होती हैं- | |||
#कपिला ([[काठियावाड़]], [[गुजरात]]) [[सौराष्ट्र]] के पश्चिमी भाग सोरठ की एक नदी है, जो [[गिरनार पर्वत श्रेणी]] से निकल कर, हिरण्या के साथ प्राची-सरस्वती से मिलकर पश्चिम समुद्र में गिरती है। वह [[प्रभासपाटन]] के पूर्व की ओर बहती है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=135|url=}}</ref> | |||
#[[गोदावरी नदी|गोदावरी]] की सहायक नदी, जो [[पंचवटी]] ([[नासिक]] के निकट) से डेढ़ मील दूर गोदावरी में मिल जाती है। कपिला-गोदावरी संगम पर [[महर्षि गौतम]] की तपःस्थली बताई जाती है। यहीं महर्षि कपिल का आश्रम भी था। किंवदंती है कि [[शूर्पणखा]] से [[राम]]-[[लक्ष्मण]] और [[सीता]] की भेंट इसी स्थान पर हुई थी। | |||
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12:54, 25 मई 2018 का अवतरण
कपिला | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- कपिला (बहुविकल्पी) |
कपिला नामक एक नदी का उल्लेख पौराणिक महाकाव्य महाभारत में हुआ है। महाभारत के अनुसार कपिला 'नर्मदा नदी' के उद्गम के समीप एक शाखा थी। यह नर्मदा नदी की प्रारम्भिक धारा थी। यह अमरकंटक से निस्सृत होती है।
- इस नाम से और भी कई नदियाँ भारतीय प्रदेशों में प्रवाहित होती हैं-
- कपिला (काठियावाड़, गुजरात) सौराष्ट्र के पश्चिमी भाग सोरठ की एक नदी है, जो गिरनार पर्वत श्रेणी से निकल कर, हिरण्या के साथ प्राची-सरस्वती से मिलकर पश्चिम समुद्र में गिरती है। वह प्रभासपाटन के पूर्व की ओर बहती है।[1]
- गोदावरी की सहायक नदी, जो पंचवटी (नासिक के निकट) से डेढ़ मील दूर गोदावरी में मिल जाती है। कपिला-गोदावरी संगम पर महर्षि गौतम की तपःस्थली बताई जाती है। यहीं महर्षि कपिल का आश्रम भी था। किंवदंती है कि शूर्पणखा से राम-लक्ष्मण और सीता की भेंट इसी स्थान पर हुई थी।
- मैसूर में कावेरी की सहायक नदी कपिला है। कपिला-कावेरी संगम पर तिरुमकुल नरसीपुर नामक तीर्थ है। यहाँ गुंजानृसिंह का मंदिर है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 30 |
- ↑ ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 135 |
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