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'''रामानंद चटर्जी''' (जन्म- [[29 मई]], [[1865]], बांकुरा, [[बंगाल]]; मृत्यु- [[30 सितंबर]], [[1943]]) ने [[पत्रकारिता]] के क्षेत्र में विशेष रूप से कार्य किया है। इसके अतिरिक्त उन्होंने अध्यापक और प्राचार्य के पद पर काम किया था।
#REDIRECT [[रामानन्द चैटर्जी]]
==परिचय==
रामानंद चटर्जी का जन्म 29 मई 1865 ईस्वी को बंगाल के बांकुरा स्थान में हुआ था। वे [[अंग्रेजी]] के प्रसिद्ध भारतीय मासिक पत्र 'मॉडर्न रिव्यु' और [[बांग्ला भाषा]] के पत्र 'प्रवासी' के संपादक और [[हिंदी]] मासिक 'विशाल भारत' के प्रकाशक और पत्रकार थे। उन्होंने [[कोलकाता]] के प्रेसिडेंसी कॉलेज, सेंट जेवियर कॉलेज और सिटी कॉलेज में शिक्षा प्राप्त की थी। प्रेसिडेंसी कॉलेज में वे [[जगदीश चंद्र बोस]] के संपर्क में आए। उन्होंने [[अंग्रेजी भाषा]] में प्रथम श्रेणी में एम.ए. की परीक्षा पास की। उनके सामने [[इंग्लैंड]] जाकर आगे अध्ययन करने का प्रस्ताव आया, पर रामानंद ने उसे स्वीकार नहीं किया। तब तक उन पर [[ब्रह्म समाज]] का प्रभाव पड़ चुका था। <ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन= |संपादन=|पृष्ठ संख्या=740|url=}}
</ref>
==सम्पादन कार्य==
रामानंद चटर्जी ने [[अंग्रेजी]] की प्रसिद्ध भारतीय मासिक पत्र 'मॉडर्न रिव्यु' का [[दिसंबर]] [[1906]] में प्रकाशन आरंभ किया। [[1901]] ई. में उन्होंने बांग्ला भाषा के पत्र 'प्रवासी' का संपादन किया। विद्यार्थी जीवन में ही उन्होंने 'द इंडियन मैसेंजर' के संपादन का काम अपने हाथ में ले लिया था और बांग्ला पत्र 'संजीवनी' में नियमित रूप से लिखा करते थे। उनका 'देशाश्रय' नाम के सामाजिक संगठन से संपर्क हुआ तो उसकी मुखपत्र 'दासी' का सम्पादन भी उन्होंने ही किया। उन्होंने बच्चों की पत्रिका 'मुकुल' और साहित्यिक पत्रिका 'प्रदीप' के संपादन में भी सहयोग दिया। इनके माध्यम से ही रामानंद का [[रबींद्रनाथ टैगोर]] से परिचय हुआ था। शीघ्र ही यह 'प्रवासी' नामक पत्रिका बंगला भाषा-भाषियों की अत्यंत प्रिय पत्रिका बन गई। यह अपने समय का अत्यंत प्रसिद्ध पत्र बन गया। उच्च कोटि के [[लेखक‍]] इसमें अपनी रचनाएं भेजते थे। इसकी संपादकीय टिप्पणियां ज्ञानवर्धक और प्रेरक होती थीं।
==नियुक्ति==
कुछ समय बाद रामानंद चटर्जी की कायस्थ पाठशाला, [[इलाहाबाद]] के प्रधानाचार्य के पद पर नियुक्ति हुई और वे [[कोलकाता]] से इलाहाबाद आ गए। इसी बीच जातीय भेदभाव के कारण उन्हें कायस्थ पाठशाला से त्यागपत्र देना पड़ा।
==ख्याति==
रामानंद चटर्जी कुछ वर्ष बाद [[हिंदू महासभा]] के [[अध्यक्ष]] बने। पत्रकार के रूप में उनकी ख्याति के कारण [[संयुक्त राष्ट्र संघ|राष्ट्र संघ]] ने अपनी कार्यवाही स्वयं देखने के लिए उन्हें जिनेवा आमंत्रित किया था। तभी उन्होंने [[यूरोप]] के विभिन्न देशों का भी भ्रमण किया। उन्हें [[रूस]] से भी निमंत्रण मिला था, पर वहां अभिव्यक्ति पर प्रतिबंधों को देखते हुए उन्होंने उसे स्वीकार नहीं किया। वे 'प्रवासी बंग साहित्य सम्मेलन' के संस्थापकों में से थे और उसके अध्यक्ष भी रहे।
==मृत्यु==
रामानंद चटर्जी का [[30 सितंबर]], [[1943]] ईस्वी को स्वर्गवास हो गया।
 
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
==बाहरी कड़ियाँ==
==संबंधित लेख==
{{पत्रकार}}
[[Category:पत्रकार]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:चरित कोश]][[Category:भारतीय चरित कोश]]
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08:01, 17 जून 2018 के समय का अवतरण

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