"पहेली 16 अक्टूबर 2018": अवतरणों में अंतर
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||[[चित्र:Muktibodh-Rachanawali.jpg|right|100px|border||गजानन माधव 'मुक्तिबोध']]गजानन माधव 'मुक्तिबोध' की प्रसिद्धि प्रगतिशील कवि के रूप में है। मुक्तिबोध हिन्दी साहित्य की स्वातंत्र्योत्तर प्रगतिशील काव्यधारा के शीर्ष व्यक्तित्व थे। हिन्दी साहित्य में सर्वाधिक चर्चा के केन्द्र में रहने वाले मुक्तिबोध कहानीकार भी थे और समीक्षक भी।सबसे पहले उनकी कवितायें अज्ञेय द्वारा संपादित ‘तार सप्तक’ (1943) में प्रकाशित हुई थीं। मुक्तिबोध ने कहानी, कविता, उपन्यास, आलोचना आदि विधाओं में लिखा और हर क्षेत्र में उनका हस्तक्षेप अलग से महसूस किया जा सकता है। उन्हें प्रगतिवाद, प्रयोगवाद, नयी कविता आदि साहित्यिक आंदोलनों के साथ जोड़कर देखा जाता है। ‘अँधेरे में’ और ‘ब्रह्मराक्षस’ मुक्तिबोध की सर्वाधिक महत्वपूर्ण रचनायें मानी जाती हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-[[गजानन माधव | ||[[चित्र:Muktibodh-Rachanawali.jpg|right|100px|border||गजानन माधव 'मुक्तिबोध']]गजानन माधव 'मुक्तिबोध' की प्रसिद्धि प्रगतिशील कवि के रूप में है। मुक्तिबोध हिन्दी साहित्य की स्वातंत्र्योत्तर प्रगतिशील काव्यधारा के शीर्ष व्यक्तित्व थे। हिन्दी साहित्य में सर्वाधिक चर्चा के केन्द्र में रहने वाले मुक्तिबोध कहानीकार भी थे और समीक्षक भी।सबसे पहले उनकी कवितायें अज्ञेय द्वारा संपादित ‘तार सप्तक’ (1943) में प्रकाशित हुई थीं। मुक्तिबोध ने कहानी, कविता, उपन्यास, आलोचना आदि विधाओं में लिखा और हर क्षेत्र में उनका हस्तक्षेप अलग से महसूस किया जा सकता है। उन्हें प्रगतिवाद, प्रयोगवाद, नयी कविता आदि साहित्यिक आंदोलनों के साथ जोड़कर देखा जाता है। ‘अँधेरे में’ और ‘ब्रह्मराक्षस’ मुक्तिबोध की सर्वाधिक महत्वपूर्ण रचनायें मानी जाती हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-[[गजानन माधव 'मुक्तिबोध']] | ||
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14:52, 15 सितम्बर 2018 के समय का अवतरण
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