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'''गंगालहरी''' दो अलग-अलग रचनाओं का नाम है।
'''गंगालहरी''' दो अलग-अलग रचनाओं का नाम है।
#पंडित जगन्नाथ तर्कपंचानन द्वारा [[संस्कृत]] में रचित [[गंगास्तव]]। इसमें केवल 521 [[श्लोक]] हैं, जिसमें उन्होंने [[गंगा]] के विविध गुणों का वर्णन करते हुए अपने उद्धार के लिए अनुनय किया है।
#पंडित जगन्नाथ तर्कपंचानन द्वारा [[संस्कृत]] में रचित 'गंगास्तव'। इसमें केवल 521 [[श्लोक]] हैं, जिसमें उन्होंने [[गंगा]] के विविध गुणों का वर्णन करते हुए अपने उद्धार के लिए अनुनय किया है।
#[[हिंदी]] के प्रख्यात कवि [[पद्माकर]] की अंतिम रचना है गंगालहरी। अंतिम समय निकट जानकर पद्माकर गंगातट पर निवास करने की दृष्टि से सात वर्ष [[कानपुर]] में रहे। इन्हीं दिनों उन्होंने इसकी रचना की। इसमें उनकी विरक्ति तथा [[भक्ति]] भावना अभिव्यक्त हुई है।
#[[हिंदी]] के प्रख्यात कवि [[पद्माकर]] की अंतिम रचना है गंगालहरी। अंतिम समय निकट जानकर पद्माकर गंगातट पर निवास करने की दृष्टि से सात वर्ष [[कानपुर]] में रहे। इन्हीं दिनों उन्होंने इसकी रचना की। इसमें उनकी विरक्ति तथा [[भक्ति]] भावना अभिव्यक्त हुई है।



07:36, 27 जनवरी 2020 का अवतरण

गंगालहरी दो अलग-अलग रचनाओं का नाम है।

  1. पंडित जगन्नाथ तर्कपंचानन द्वारा संस्कृत में रचित 'गंगास्तव'। इसमें केवल 521 श्लोक हैं, जिसमें उन्होंने गंगा के विविध गुणों का वर्णन करते हुए अपने उद्धार के लिए अनुनय किया है।
  2. हिंदी के प्रख्यात कवि पद्माकर की अंतिम रचना है गंगालहरी। अंतिम समय निकट जानकर पद्माकर गंगातट पर निवास करने की दृष्टि से सात वर्ष कानपुर में रहे। इन्हीं दिनों उन्होंने इसकी रचना की। इसमें उनकी विरक्ति तथा भक्ति भावना अभिव्यक्त हुई है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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