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| | #REDIRECT [[पहेली 1 सितम्बर 2020]] |
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| | [[चित्र:Paheli-logo.png|right|120px]]
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| <quiz display=simple>
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| {किस गुप्तकालीन शासक को 'कविराज' कहा गया है?
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| |type="()"}
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| -[[श्रीगुप्त]]
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| -[[चन्द्रगुप्त द्वितीय]]
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| +[[समुद्रगुप्त]]
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| -[[स्कन्दगुप्त]]
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| ||[[हरिषेण]] के शब्दों में [[समुद्रगुप्त]] का चरित्र इस प्रकार का था- 'उसका मन विद्वानों के सत्संग-सुख का व्यसनी था। उसके जीवन में [[सरस्वती]] और [[लक्ष्मी]] का अविरोध था। वह वैदिक मार्ग का अनुयायी था। उसका काव्य ऐसा था, कि कवियों की बुद्धि विभव का भी उससे विकास होता था, यही कारण है कि उसे 'कविराज' की उपाधि दी गई थी। ऐसा कौन-सा ऐसा गुण है, जो उसमें नहीं था। सैकड़ों देशों में विजय प्राप्त करने की उसमें अपूर्व क्षमता थी। अपनी भुजाओं का पराक्रम ही उसका सबसे उत्तम साथी था। [[परशु अस्त्र|परशु]], [[बाण अस्त्र|बाण]], शंकु, शक्ति आदि [[अस्त्र शस्त्र|अस्त्रों-शस्त्रों]] के सैकड़ों घावों से उसका शरीर सुशोभित था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[समुद्रगुप्त]]
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| </quiz>
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| {{पहेली क्रम |पिछली=[[पहेली 31 अगस्त 2020]]|अगली=[[पहेली 2 सितंबर 2020]]}}
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| {{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}}
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| [[Category:भारतकोश पहेली]]
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