"पहेली 2 जनवरी 2021": अवतरणों में अंतर
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-[[भारतेन्दु हरिश्चन्द्र]] | -[[भारतेन्दु हरिश्चन्द्र]] | ||
-[[नरेश मेहता]] | -[[नरेश मेहता]] | ||
-गिरिजा कुमार माथुर | -[[गिरिजा कुमार माथुर]] | ||
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||[[चित्र:Gajanan-Madhav-Muktibodh.jpg|right|80px|border|गजानन माधव 'मुक्तिबोध']]गजानन माधव 'मुक्तिबोध' की प्रसिद्धि प्रगतिशील कवि के रूप में है। वे [[हिन्दी साहित्य]] की स्वातंत्र्योत्तर प्रगतिशील काव्यधारा के शीर्ष व्यक्तित्व थे। हिन्दी साहित्य में सर्वाधिक चर्चा के केन्द्र में रहने वाले मुक्तिबोध कहानीकार भी थे और समीक्षक भी। 'चाँद का मुँह टेढ़ा है' [[गजानन माधव 'मुक्तिबोध']] की प्रसिद्ध रचना है। [[उज्जैन]] में मुक्तिबोध ने मध्य भारत प्रगतिशील लेखक संघ की बुनियाद डाली। इसकी विशिष्ट सभाओं में भाग लेने के लिए वह बाहर से [[रामविलास शर्मा|डॉ. रामविलास शर्मा]], [[अमृतराय]] आदि साहित्यिक विचारकों को बुलाते थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गजानन माधव 'मुक्तिबोध']] | ||[[चित्र:Gajanan-Madhav-Muktibodh.jpg|right|80px|border|गजानन माधव 'मुक्तिबोध']]गजानन माधव 'मुक्तिबोध' की प्रसिद्धि प्रगतिशील कवि के रूप में है। वे [[हिन्दी साहित्य]] की स्वातंत्र्योत्तर प्रगतिशील काव्यधारा के शीर्ष व्यक्तित्व थे। हिन्दी साहित्य में सर्वाधिक चर्चा के केन्द्र में रहने वाले मुक्तिबोध कहानीकार भी थे और समीक्षक भी। 'चाँद का मुँह टेढ़ा है' [[गजानन माधव 'मुक्तिबोध']] की प्रसिद्ध रचना है। [[उज्जैन]] में मुक्तिबोध ने मध्य भारत प्रगतिशील लेखक संघ की बुनियाद डाली। इसकी विशिष्ट सभाओं में भाग लेने के लिए वह बाहर से [[रामविलास शर्मा|डॉ. रामविलास शर्मा]], [[अमृतराय]] आदि साहित्यिक विचारकों को बुलाते थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गजानन माधव 'मुक्तिबोध']] |
12:02, 19 दिसम्बर 2020 का अवतरण
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