"मैगस्थनीज़": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "==सम्बंधित लिंक==" to "==संबंधित लेख==") |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - " भारत " to " भारत ") |
||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
*ये सैल्युकस प्रथम का राजदूत बनकर [[पाटलिपुत्र]] में [[चन्द्रगुप्त मौर्य]] के दरबार में रहा। | *ये सैल्युकस प्रथम का राजदूत बनकर [[पाटलिपुत्र]] में [[चन्द्रगुप्त मौर्य]] के दरबार में रहा। | ||
*मैगस्थनीज़ ने [[मथुरा]] को महान नगर 'मैथोरा' लिखा है। | *मैगस्थनीज़ ने [[मथुरा]] को महान नगर 'मैथोरा' लिखा है। | ||
*यूनान का राजदूत जिसे सेल्युकस ने 302 ई.पू. में चंद्रगुप्त मौर्य की राजधानी पाटलिपुत्र भेजा था। उसने समस्त उत्तर भारत की यात्रा की। '''इस यात्रा का वर्णन 'इंडिका' नामक ग्रंथ में किया गया है जो अनेक यूनानी इतिहासकारों ने तैयार की है जिनमें 'एरियन' और 'स्त्राबो' का नाम प्रमुख है।''' | *यूनान का राजदूत जिसे सेल्युकस ने 302 ई.पू. में चंद्रगुप्त मौर्य की राजधानी पाटलिपुत्र भेजा था। उसने समस्त उत्तर [[भारत]] की यात्रा की। '''इस यात्रा का वर्णन 'इंडिका' नामक ग्रंथ में किया गया है जो अनेक यूनानी इतिहासकारों ने तैयार की है जिनमें 'एरियन' और 'स्त्राबो' का नाम प्रमुख है।''' | ||
*मूल ग्रंथ अब उपलब्ध नहीं है। किंतु बाद के यूनानी इतिहासकारों ने अपनी पुस्तकों में उसके उद्धरण दिए है। | *मूल ग्रंथ अब उपलब्ध नहीं है। किंतु बाद के यूनानी इतिहासकारों ने अपनी पुस्तकों में उसके उद्धरण दिए है। | ||
*मौर्यकालीन भारत के संबंध में इस राजदूत के वर्णन से पहली बार क्रमबद्ध विवरण मिलता है। | *मौर्यकालीन [[भारत]] के संबंध में इस राजदूत के वर्णन से पहली बार क्रमबद्ध विवरण मिलता है। | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{विदेशी यात्री}} | {{विदेशी यात्री}} |
09:50, 20 सितम्बर 2010 का अवतरण
- मैगस्थनीज़ एक यूनानी भूगोलविद यात्री था।
- ये सैल्युकस प्रथम का राजदूत बनकर पाटलिपुत्र में चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में रहा।
- मैगस्थनीज़ ने मथुरा को महान नगर 'मैथोरा' लिखा है।
- यूनान का राजदूत जिसे सेल्युकस ने 302 ई.पू. में चंद्रगुप्त मौर्य की राजधानी पाटलिपुत्र भेजा था। उसने समस्त उत्तर भारत की यात्रा की। इस यात्रा का वर्णन 'इंडिका' नामक ग्रंथ में किया गया है जो अनेक यूनानी इतिहासकारों ने तैयार की है जिनमें 'एरियन' और 'स्त्राबो' का नाम प्रमुख है।
- मूल ग्रंथ अब उपलब्ध नहीं है। किंतु बाद के यूनानी इतिहासकारों ने अपनी पुस्तकों में उसके उद्धरण दिए है।
- मौर्यकालीन भारत के संबंध में इस राजदूत के वर्णन से पहली बार क्रमबद्ध विवरण मिलता है।