"पहेली 27 जून 2022": अवतरणों में अंतर
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+[[रमेश चन्द्र दत्त]] | +[[रमेश चन्द्र दत्त]] | ||
-[[महादेव गोविन्द रानाडे]] | -[[महादेव गोविन्द रानाडे]] | ||
-[[ | -[[राधा कुमुद मुखर्जी]] | ||
||[[चित्र:Romesh-Chunder-Dutt.jpg|right|100px|रमेश चन्द्र दत्त]]'रमेश चन्द्र दत्त' [[अंग्रेज़ी]] और बंगला भाषा के प्रसिद्ध लेखक थे। वे धन के बहिर्गमन की विचारधारा के प्रवर्तक तथा महान शिक्षाशास्त्री व अर्थशास्त्री थे। [[1899]] ई. में [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] के लखनऊ अधिवेशन की अध्यक्षता [[रमेश चन्द्र दत्त]] ने की थी। उनकी रचनाओं में 'ब्रिटिश भारत का आर्थिक इतिहास', 'विक्टोरिया युग में भारत' और 'प्राचीन भारतीय सभ्यता का इतिहास' आदि शामिल हैं। ऐतिहासिक उपन्यासकार के रूप में रमेश चन्द्र दत्त को विशेष ख्याति प्राप्त हुई थी। आरम्भ में उन्होंने अंग्रेज़ी भाषा में भारतीय संस्कृत और [[इतिहास]] पर 14 स्तरीय ग्रंथों की रचना की। बाद में [[बंकिमचंद्र चटर्जी|बंकिमचंद्र]] के प्रभाव से अपनी मातृभाषा बंगला में रचनाएँ करने लगे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रमेश चन्द्र दत्त]] | ||[[चित्र:Romesh-Chunder-Dutt.jpg|right|100px|रमेश चन्द्र दत्त]]'रमेश चन्द्र दत्त' [[अंग्रेज़ी]] और बंगला भाषा के प्रसिद्ध लेखक थे। वे धन के बहिर्गमन की विचारधारा के प्रवर्तक तथा महान शिक्षाशास्त्री व अर्थशास्त्री थे। [[1899]] ई. में [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] के लखनऊ अधिवेशन की अध्यक्षता [[रमेश चन्द्र दत्त]] ने की थी। उनकी रचनाओं में 'ब्रिटिश भारत का आर्थिक इतिहास', 'विक्टोरिया युग में भारत' और 'प्राचीन भारतीय सभ्यता का इतिहास' आदि शामिल हैं। ऐतिहासिक उपन्यासकार के रूप में रमेश चन्द्र दत्त को विशेष ख्याति प्राप्त हुई थी। आरम्भ में उन्होंने अंग्रेज़ी भाषा में भारतीय संस्कृत और [[इतिहास]] पर 14 स्तरीय ग्रंथों की रचना की। बाद में [[बंकिमचंद्र चटर्जी|बंकिमचंद्र]] के प्रभाव से अपनी मातृभाषा बंगला में रचनाएँ करने लगे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रमेश चन्द्र दत्त]] | ||
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10:53, 27 फ़रवरी 2022 के समय का अवतरण
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