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||[[चित्र:Shahjahan.jpg|border|90px|right|शाहजहाँ]][[आगरा का क़िला|आगरा किले]] में स्थित 'मोती मस्जिद' को 'पर्ल मॉस्क्यू' की उपाधि दी गई है। [[शाहजहाँ]] ने इस मस्जिद का निर्माण अपने शाही दरबार के लिए करवाया था। मोती मस्जिद का निर्माण 1648 ई. में प्रारम्भ हुआ और इस मस्जिद को बनने में पूरे छह वर्ष लगे। यह [[दीवान-ए-आम (आगरा)|दीवान-ए-आम]] के बायीं तरफ स्थित है। यह वह स्थान था, जहां सम्राट राज्य की आम जनता से भेंट करने के लिए दरबार आयोजित करते थे। इस मस्जिद के फर्श का ढलान पूर्व से पश्चिम की ओर नीचे की तरफ जाता है। मोती मस्जिद का निर्माण लाल बलुआ पत्थर द्वारा किया गया है। इसके शीर्ष पर स्थित तीन गुम्बद का निर्माण सफेद संगमरमर से किया गया है, जो देखने में अति आकर्षक लगते हैं। यहां गुम्बददार खोखो से बनी एक श्रृंखला है, जिनका निर्माण मुख्य तौर पर [[हिन्दू]] [[वास्तुकला]] से प्रेरित होकर किया गया था।→अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शाहजहाँ]]
||[[चित्र:Shahjahan.jpg|border|90px|right|शाहजहाँ]][[आगरा का क़िला|आगरा किले]] में स्थित 'मोती मस्जिद' को 'पर्ल मॉस्क्यू' की उपाधि दी गई है। [[शाहजहाँ]] ने इस मस्जिद का निर्माण अपने शाही दरबार के लिए करवाया था। मोती मस्जिद का निर्माण 1648 ई. में प्रारम्भ हुआ और इस मस्जिद को बनने में पूरे छह वर्ष लगे। यह [[दीवान-ए-आम (आगरा)|दीवान-ए-आम]] के बायीं तरफ स्थित है। यह वह स्थान था, जहां सम्राट राज्य की आम जनता से भेंट करने के लिए दरबार आयोजित करते थे। इस मस्जिद के फर्श का ढलान पूर्व से पश्चिम की ओर नीचे की तरफ जाता है। मोती मस्जिद का निर्माण लाल बलुआ पत्थर द्वारा किया गया है। इसके शीर्ष पर स्थित तीन गुम्बद का निर्माण सफेद संगमरमर से किया गया है, जो देखने में अति आकर्षक लगते हैं। यहां गुम्बददार खोखो से बनी एक श्रृंखला है, जिनका निर्माण मुख्य तौर पर [[हिन्दू]] [[वास्तुकला]] से प्रेरित होकर किया गया था।→अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शाहजहाँ]]
-[[जहाँगीर]]
-[[जहाँगीर]]
[[औरंगज़ेब]]
-[[औरंगज़ेब]]
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