"पहेली 22 जनवरी 2023": अवतरणों में अंतर

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||[[चित्र:Dwarikadish-Temple-Mathura-14.jpg|right|100px|border|द्वारिकाधीश मन्दिर, मथुरा]]'द्वारिकाधीश मन्दिर' [[मथुरा]], [[उत्तर प्रदेश]] के राजाधिराज बाज़ार में स्थित है। यह मन्दिर अपने सांस्कृतिक वैभव, कला एवं सौन्दर्य के लिए अनुपम है। [[ग्वालियर]] राज के कोषाध्यक्ष सेठ गोकुलदास पारीख ने इसका निर्माण 1814-15 ई. में प्रारम्भ कराया। उनकी मृत्यु के पश्चात् सम्पत्ति के उत्तराधिकारी सेठ लक्ष्मीचन्द्र ने मन्दिर का निर्माण कार्य पूर्ण कराया। वर्ष [[1930]] में सेवा पूजन के लिए यह मन्दिर [[पुष्टिमार्ग]] के आचार्य गिरधरलाल जी कांकरौली वालों को भेंट किया गया। तब से यहाँ पुष्टिमार्गीय प्रणालिका के अनुसार सेवा पूजा होती है। [[श्रावण]] के महीने में प्रति वर्ष यहाँ लाखों श्रृद्धालु सोने–चाँदी के हिंडोले देखने आते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[द्वारिकाधीश मन्दिर मथुरा|द्वारिकाधीश मन्दिर]], [[मथुरा]]
||[[चित्र:Dwarikadish-Temple-Mathura-14.jpg|right|100px|border|द्वारिकाधीश मन्दिर, मथुरा]]'द्वारिकाधीश मन्दिर' [[मथुरा]], [[उत्तर प्रदेश]] के राजाधिराज बाज़ार में स्थित है। यह मन्दिर अपने सांस्कृतिक वैभव, कला एवं सौन्दर्य के लिए अनुपम है। [[ग्वालियर]] राज के कोषाध्यक्ष सेठ गोकुलदास पारीख ने इसका निर्माण 1814-15 ई. में प्रारम्भ कराया। उनकी मृत्यु के पश्चात् सम्पत्ति के उत्तराधिकारी सेठ लक्ष्मीचन्द्र ने मन्दिर का निर्माण कार्य पूर्ण कराया। वर्ष [[1930]] में सेवा पूजन के लिए यह मन्दिर [[पुष्टिमार्ग]] के आचार्य गिरधरलाल जी कांकरौली वालों को भेंट किया गया। तब से यहाँ पुष्टिमार्गीय प्रणालिका के अनुसार सेवा पूजा होती है। [[श्रावण]] के महीने में प्रति वर्ष यहाँ लाखों श्रृद्धालु सोने–चाँदी के हिंडोले देखने आते हैं।→अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[द्वारिकाधीश मन्दिर मथुरा|द्वारिकाधीश मन्दिर]], [[मथुरा]]
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