"तख्त श्री पटना साहिब": अवतरणों में अंतर
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* बालक गोविन्दराय के बचपन का पंगुरा (पालना), लोहे के चार तीर, तलवार, पादुका तथा 'हुकुमनामा' गुरुद्वारे में सुरक्षित है। | * बालक गोविन्दराय के बचपन का पंगुरा (पालना), लोहे के चार तीर, तलवार, पादुका तथा 'हुकुमनामा' गुरुद्वारे में सुरक्षित है। | ||
* गुरु नानक देव की वाणी से अतिप्रभावित पटना के श्री सलिसराय जौहरी ने अपने महल को धर्मशाला बनवा दिया। भवन के इस हिस्से को मिलाकर गुरुद्वारे का निर्माण किया गया है। | * गुरु नानक देव की वाणी से अतिप्रभावित पटना के श्री सलिसराय जौहरी ने अपने महल को धर्मशाला बनवा दिया। भवन के इस हिस्से को मिलाकर गुरुद्वारे का निर्माण किया गया है। | ||
* यहाँ | * यहाँ गुरु गोविंद सिंह से संबंधित अनेक प्रमाणिक वस्तुएँ रखी हुई है। इसकी बनावट गुंबदनुमा है। | ||
* यह स्थान दुनिया भर में फैले सिक्ख धर्मावलंबियों के लिए बहुत पवित्र है। | * यह स्थान दुनिया भर में फैले सिक्ख धर्मावलंबियों के लिए बहुत पवित्र है। | ||
* प्रकाशोत्सव के अवसर पर पर्यटकों की यहाँ भारी भीड़ उमड़ती है। | * प्रकाशोत्सव के अवसर पर पर्यटकों की यहाँ भारी भीड़ उमड़ती है। |
14:23, 26 सितम्बर 2010 का अवतरण
- हरमन्दिरजी को पटना सहिब गुरुद्वारा भी कहते है।
- पटना सिखों के 10वें गुरु गोविंद सिंह जी के जन्म स्थान के लिए भी विश्व प्रसिद्ध है।
- हरमन्दिरजी सिखों के दसवें और अन्तिम गुरु गोविन्द सिंह का जन्म वर्ष 1664 ई. में हुआ था।
- यह स्थान सिख धर्मावलंबियों के लिए बहुत पवित्र है। सिक्खों के लिए हरमंदिर साहब पाँच प्रमुख तख्तों में से एक है।
- पटना सिटी स्थित इस गुरुद्वारे का निर्माण महाराजा रणजीत सिंह ने करवाया था। सिखों का यह पवित्रतम स्थल है।
- बालक गोविन्दराय के बचपन का पंगुरा (पालना), लोहे के चार तीर, तलवार, पादुका तथा 'हुकुमनामा' गुरुद्वारे में सुरक्षित है।
- गुरु नानक देव की वाणी से अतिप्रभावित पटना के श्री सलिसराय जौहरी ने अपने महल को धर्मशाला बनवा दिया। भवन के इस हिस्से को मिलाकर गुरुद्वारे का निर्माण किया गया है।
- यहाँ गुरु गोविंद सिंह से संबंधित अनेक प्रमाणिक वस्तुएँ रखी हुई है। इसकी बनावट गुंबदनुमा है।
- यह स्थान दुनिया भर में फैले सिक्ख धर्मावलंबियों के लिए बहुत पवित्र है।
- प्रकाशोत्सव के अवसर पर पर्यटकों की यहाँ भारी भीड़ उमड़ती है।
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