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*जो अभी तक उत्पन्न न हुआ हो, अनुत्पन्न-अजातमृतमूर्खेभ्यो मृताजातौ सुतौ वरम्-पंच. 9, जो अभी उत्पन्न न हुआ हो, पैदा न किया गया हो, अविकसित हो; '''°ककुद्, °पक्ष''' इत्यादि।
*जो अभी तक उत्पन्न न हुआ हो, अनुत्पन्न-अजातमृतमूर्खेभ्यो मृताजातौ सुतौ वरम्-पंच. 9, जो अभी उत्पन्न न हुआ हो, पैदा न किया गया हो, अविकसित हो; '''°ककुद्, °पक्ष''' इत्यादि।
 
*सम.-'''अरि''',-'''शत्रु''' ([[विशेषण]]) जिसका कोई शत्रु न हो, जो किसी का शत्रु न हो; ('''-रि:-त्रुः''') '[[युधिष्ठिर]]' की उपाधियाँ-हंत जातमजातारे: प्रथमेन त्वयारिणा-शिशु. 2/102; न द्वेक्षि यज्जनमतस्त्वमजातशत्रुः-वेणी. 3/13; [[शिव]] तथा दूसरे अनेक देवताओं की उपाधि;-'''ककुत्-दू''' ([[पुल्लिंग]]) थोड़ी उम्र का बैल जिसका कुब्व अभी न निकला हो, -'''व्यञ्जन''' ([[विशेषण]]) जिसके दाढ़ी आदि अभिज्ञान चिह्न न हों; -'''व्यवहारः''' अवयस्क, नाबालिग जिसको अभी तक वयस्कता न मिली हो।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश|लेखक=वामन शिवराम आप्टे|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=15|url=|ISBN=}}</ref>
सम.-'''अरि''',-'''शत्रु''' ([[विशेषण]]) जिसका कोई शत्रु न हो, जो किसी का शत्रु न हो; ('''-रि:-त्रुः''') '[[युधिष्ठिर]]' की उपाधियाँ-हंत जातमजातारे: प्रथमेन त्वयारिणा-शिशु. 2/102; न द्वेक्षि यज्जनमतस्त्वमजातशत्रुः-वेणी. 3/13; [[शिव]] तथा दूसरे अनेक देवताओं की उपाधि;-'''ककुत्-दू''' ([[पुल्लिंग]]) थोड़ी उम्र का बैल जिसका कुब्व अभी न निकला हो, -'''व्यञ्जन''' ([[विशेषण]]) जिसके दाढ़ी आदि अभिज्ञान चिह्न न हों; -'''व्यवहारः''' अवयस्क, नाबालिग जिसको अभी तक वयस्कता न मिली हो।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश|लेखक=वामन शिवराम आप्टे|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=15|url=|ISBN=}}</ref>





11:36, 10 अगस्त 2023 के समय का अवतरण

अजात (विशेषण) [न. त.]

  • जो अभी तक उत्पन्न न हुआ हो, अनुत्पन्न-अजातमृतमूर्खेभ्यो मृताजातौ सुतौ वरम्-पंच. 9, जो अभी उत्पन्न न हुआ हो, पैदा न किया गया हो, अविकसित हो; °ककुद्, °पक्ष इत्यादि।
  • सम.-अरि,-शत्रु (विशेषण) जिसका कोई शत्रु न हो, जो किसी का शत्रु न हो; (-रि:-त्रुः) 'युधिष्ठिर' की उपाधियाँ-हंत जातमजातारे: प्रथमेन त्वयारिणा-शिशु. 2/102; न द्वेक्षि यज्जनमतस्त्वमजातशत्रुः-वेणी. 3/13; शिव तथा दूसरे अनेक देवताओं की उपाधि;-ककुत्-दू (पुल्लिंग) थोड़ी उम्र का बैल जिसका कुब्व अभी न निकला हो, -व्यञ्जन (विशेषण) जिसके दाढ़ी आदि अभिज्ञान चिह्न न हों; -व्यवहारः अवयस्क, नाबालिग जिसको अभी तक वयस्कता न मिली हो।[1]


इन्हें भी देखें: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 15 |

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