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अष्टक | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- अष्टक (बहुविकल्पी) |
अष्टक (विशेषण) [अष्टन्+कन्]
- आठ भागों वाला, आठ तह वाला,-कः (पुल्लिंग) जो पाणिनि निर्मित आठों अध्यायों का जानकार है, या उनका अध्ययन करता है,-का (स्त्रीलिंग)
- 1. पूर्णिमा के पश्चात् सप्तमी से आरंभ करके आने वाले तीन (सप्तमी, अष्टमी और नवमी) दिन
- 2. उन तीन महीनों की अष्टमियां, जबकि पितरों का तर्पण होता है।
- 3. उपर्युक्त दिनों में किया जाने वाला श्राद्ध-अनुष्ठान,-कम्
- 1. आठ अवयवों की बनी कोई समूची वस्तु
- 2. पाणिनिसूत्रों के आठ अध्याय
- 3. ऋग्वेद का एक खंड (ऋग्वेद 8 अष्टक या दस मंडलों में विभक्त है)
- 4. आठ वस्तुओं का समूह-यथा वानराष्टकम्, ताराष्टकम्, गंगाष्टकम् आदि।
- 5. आठ की संख्या
समस्त पद-अंग (पुल्लिंग)-गम् (नपुंसक लिंग) एक प्रकार का फलक या कपड़ा, जिस पर आठ खाने बने होते हैं और जो पासा खेलने के काम आता है।[1]
इन्हें भी देखें: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 133 |
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