"तबला": अवतरणों में अंतर
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04:20, 25 नवम्बर 2010 का अवतरण
आधुनिक काल में गायन, वादन तथा नृत्य की संगति में तबले का प्रयोग होता है । तबले के पूर्व यही स्थान पखावज अथवा मृदंग को प्राप्त था । कुछ दिनों से तबले का स्वतन्त्र-वादन भी अधिक लोक-प्रिय होता जा रहा है । स्थूल रूप से तबले को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है, दाहिना तबला जिसे कुछ लोग दाहिना भी कहते हैं, और बायां अथवा डग्गा ।
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