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*चतुर्दशी तिथि की दिशा पश्चिम है।
*चतुर्दशी तिथि की दिशा पश्चिम है।
*गर्ग संहिता के मत से-
*गर्ग संहिता के मत से-
उग्रा चतुर्दशी विन्द्याद्दारून्यत्र कारयेत्।
<poem>उग्रा चतुर्दशी विन्द्याद्दारून्यत्र कारयेत्।
बन्धनं रोधनं चैव पातनं च विशेषतः।।
बन्धनं रोधनं चैव पातनं च विशेषतः।।</poem>
*चतुर्दशी तिथि को [[शिव]] का पूजन व व्रत उत्तम रहता है।
*चतुर्दशी तिथि को [[शिव]] का पूजन व व्रत उत्तम रहता है।
*चतुर्दशी की अमृतकला को स्वयं भगवान शिव ही पीते हैं।
*चतुर्दशी की अमृतकला को स्वयं भगवान शिव ही पीते हैं।

12:33, 20 सितम्बर 2010 का अवतरण

  • सूर्य से चन्द्र का अन्तर जब 157° से 168° तक होता है, तब शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी और 337° से 348° तक कृष्ण चतृर्दशी रहती है।
  • चतुर्दशी के स्वामी भगवान शिव हैं।
  • चतुर्दशी तिथि के रिक्ता संज्ञक होने से दोनों पक्षों की चतुर्दशी में समस्त शुभ कार्य त्याज्य है। इसीलिये इसे ‘क्रूरा’ कहा गया है।
  • चतुर्दशी तिथि की दिशा पश्चिम है।
  • गर्ग संहिता के मत से-

उग्रा चतुर्दशी विन्द्याद्दारून्यत्र कारयेत्।
बन्धनं रोधनं चैव पातनं च विशेषतः।।

  • चतुर्दशी तिथि को शिव का पूजन व व्रत उत्तम रहता है।
  • चतुर्दशी की अमृतकला को स्वयं भगवान शिव ही पीते हैं।
  • विशेष – चतुर्दशी तिथि चन्द्रमा ग्रह की जन्म तिथि है।


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