"दुर्गा माता की आरती": अवतरणों में अंतर
छो (1 अवतरण) |
No edit summary |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
[[चित्र:Durga-Devi.jpg|thumb|250|दुर्गा देवी<br />Durga Devi]] | [[चित्र:Durga-Devi.jpg|thumb|250|दुर्गा देवी<br />Durga Devi]] | ||
'''दुर्गा जी की आरती / Durga Arti'''<br /> | |||
''' | <big>श्री अम्बाजी की आरती</big><br /> | ||
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी तुम को निस दिन ध्यावत<br /> | जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी तुम को निस दिन ध्यावत<br /> | ||
पंक्ति 19: | पंक्ति 14: | ||
केहरि वाहन राजत खड्ग कृपाण धारी| मैया खड्ग कृपाण धारी<br /> | केहरि वाहन राजत खड्ग कृपाण धारी| मैया खड्ग कृपाण धारी<br /> | ||
सुर नर मुनि जन सेवत तिनके दुख हारी|| जय अम्बे गौरी ॥<br /> | सुर नर मुनि जन सेवत तिनके दुख हारी|| जय अम्बे गौरी ॥<br /> | ||
{{दुर्गा}} | |||
कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती| मैया नासाग्रे मोती<br /> | कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती| मैया नासाग्रे मोती<br /> | ||
कोटिक चन्द्र दिवाकर सम राजत ज्योति|| जय अम्बे गौरी ॥<br /> | कोटिक चन्द्र दिवाकर सम राजत ज्योति|| जय अम्बे गौरी ॥<br /> |
10:17, 1 अप्रैल 2010 का अवतरण
दुर्गा जी की आरती / Durga Arti
श्री अम्बाजी की आरती
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी तुम को निस दिन ध्यावत
मैयाजी को निस दिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिवजी ।| जय अम्बे गौरी ॥
माँग सिन्दूर विराजत टीको मृग मद को |मैया टीको मृगमद को
उज्ज्वल से दो नैना चन्द्रवदन नीको|| जय अम्बे गौरी ॥
कनक समान कलेवर रक्ताम्बर साजे| मैया रक्ताम्बर साजे
रक्त पुष्प गले माला कण्ठ हार साजे|| जय अम्बे गौरी ॥
केहरि वाहन राजत खड्ग कृपाण धारी| मैया खड्ग कृपाण धारी
सुर नर मुनि जन सेवत तिनके दुख हारी|| जय अम्बे गौरी ॥
अन्य सम्बंधित लेख |
कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती| मैया नासाग्रे मोती
कोटिक चन्द्र दिवाकर सम राजत ज्योति|| जय अम्बे गौरी ॥
शम्भु निशम्भु बिडारे महिषासुर घाती| मैया महिषासुर घाती
धूम्र विलोचन नैना निशदिन मदमाती|| जय अम्बे गौरी ॥
चण्ड मुण्ड शोणित बीज हरे| मैया शोणित बीज हरे
मधु कैटभ दोउ मारे सुर भयहीन करे|| जय अम्बे गौरी ॥
ब्रह्माणी रुद्राणी तुम कमला रानी| मैया तुम कमला रानी
आगम निगम बखानी तुम शिव पटरानी|| जय अम्बे गौरी ॥
चौंसठ योगिन गावत नृत्य करत भैरों| मैया नृत्य करत भैरों
बाजत ताल मृदंग और बाजत डमरू|| जय अम्बे गौरी ॥
तुम हो जग की माता तुम ही हो भर्ता| मैया तुम ही हो भर्ता
भक्तन की दुख हर्ता सुख सम्पति कर्ता|| जय अम्बे गौरी ॥
भुजा चार अति शोभित वर मुद्रा धारी| मैया वर मुद्रा धारी
मन वाँछित फल पावत देवता नर नारी|| जय अम्बे गौरी ॥
कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती| मैया अगर कपूर बाती
माल केतु में राजत कोटि रतन ज्योती|| बोलो जय अम्बे गौरी ॥
माँ अम्बे की आरती जो कोई नर गावे| मैया जो कोई नर गावे
कहत शिवानन्द स्वामी सुख सम्पति पावे||जय अम्बे गौरी ॥