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11:46, 30 अक्टूबर 2010 का अवतरण

  • उत्तरमेरुर तमिलनाडु में स्थित एक ग्राम हैं।
  • जहाँ से पल्लव एवं चोल काल के लगभग दो सौ अभिलेख मिले हैं।
  • इन अभिलेखों से परिज्ञात होता है कि पल्लव एवं चोल शासन के अन्तर्गत ग्राम अधिकतम स्वायत्तता का उपभोग करते थे।
  • 10वीं शताब्दी का एक लेख आज भी एक मन्दिर की दिवार पर खुदा है, जो यह बताता है कि चोल शासन के अन्तर्गत स्थानीय 'सभा' किस प्रकार कार्य करती थी।
  • सभा का चुनाव उपयुक्त व्यक्तियों में से लाटरी निकालकर होता था।
  • ग्राम स्तर पर स्वायत्तता इतनी थी कि प्रशासन के उच्च स्तरों और राजनीतिक ढाँचे में होने वाले परिवर्तनों से गाँव का दैनन्दिन जीवन अप्रभावित रहता था।
  • यह इसलिए सम्भव हो सका था, क्योंकि गाँव पर्याप्त रुप से आत्मनिर्भर थे।
  • आधुनिक पंचायतों की चोल कालीन स्थानीय प्रशासन से तुलना करना सार्थक एवं रुचिकर होगा।


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