"खानवा": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
|||
पंक्ति 5: | पंक्ति 5: | ||
*शायद ही कोई दूसरा ऐसा घमासान युद्ध हुआ हो जिसका निर्णय अंतिम घड़ी तक तुला में लटका रहा। | *शायद ही कोई दूसरा ऐसा घमासान युद्ध हुआ हो जिसका निर्णय अंतिम घड़ी तक तुला में लटका रहा। | ||
*[[पानीपत युद्ध]] का कार्य खानवा के युद्ध ने पूरा किया। | *[[पानीपत युद्ध]] का कार्य खानवा के युद्ध ने पूरा किया। | ||
*बाबर द्धारा राणा साँगा पर विजय प्राप्ति ने बाबर एवं उसके सैनिकों की चिंता समाप्त कर दी और वे अब [[भारत]] विजय के सपने को साकार कर सकते थे। | *बाबर द्धारा राणा साँगा पर विजय प्राप्ति ने बाबर एवं उसके सैनिकों की चिंता समाप्त कर दी और वे अब [[भारत]] विजय के सपने को साकार कर सकते थे। | ||
*खानवा की विजय ने मुग़ल साम्राज्यवाद के बीजारोपण के मार्ग से बहुत बड़ी बाधा हटा दी थी। | |||
{{लेख प्रगति | {{लेख प्रगति | ||
पंक्ति 16: | पंक्ति 17: | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
[[Category: | [[Category:राजस्थान]] [[Category:राजस्थान के ऐतिहासिक स्थान]] [[Category:इतिहास कोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
08:24, 31 अक्टूबर 2010 का अवतरण
- राजस्थान में भरतपुर के निकट एक ग्राम, जो फतेहपुर सीकरी से 10 मील उत्तर-पश्चिम में स्थित है।
- यहाँ मेवाड़ के राणा साँगा और बाबर के मध्य शनिवार, मार्च 16, 1527 ई. को भीषण युद्ध हुआ था।
- खानवा का युद्ध, जो कोई दस घंटे चला, अविस्मरणीय युद्धों में से एक है।
- यद्यपि राजपूत वीरता से लड़े, किंतु विजयश्री बाबर को हासिल हुई।
- शायद ही कोई दूसरा ऐसा घमासान युद्ध हुआ हो जिसका निर्णय अंतिम घड़ी तक तुला में लटका रहा।
- पानीपत युद्ध का कार्य खानवा के युद्ध ने पूरा किया।
- बाबर द्धारा राणा साँगा पर विजय प्राप्ति ने बाबर एवं उसके सैनिकों की चिंता समाप्त कर दी और वे अब भारत विजय के सपने को साकार कर सकते थे।
- खानवा की विजय ने मुग़ल साम्राज्यवाद के बीजारोपण के मार्ग से बहुत बड़ी बाधा हटा दी थी।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ