"कर्णवेध संस्कार": अवतरणों में अंतर
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11:47, 10 जनवरी 2011 का अवतरण
- हिन्दू धर्म संस्कारों में कर्णवेध संस्कार नवम संस्कार है।
- यह संस्कार कर्णेन्दिय में श्रवण शक्ति की वृद्धि, कर्ण में आभूषण पहनने तथा स्वास्थ्य रक्षा के लिये किया जाता है।
- विशेषकर कन्याओं के लिये तो कर्णवेध नितान्त आवश्यक माना गया है।
- इसमें दोनों कानों को वेध करके उसकी नस को ठीक रखने के लिए उसमें सुवर्ण कुण्डल धारण कराया जाता है।
- इससे शारीरिक लाभ होता है।
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