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*अनन्द विक्रम संवत् [[भारत]] में प्रचलित अनेक संवतों में से एक है। | *अनन्द विक्रम संवत् [[भारत]] में प्रचलित अनेक संवतों में से एक है। | ||
*अनन्द का अर्थ है नौ (नौ नन्दों) रहित 100 में से 9 घटाने पर 91 बचते हैं। अर्थात् ईसवी पूर्व 58-57 में आरम्भ होने वाले सानन्द विक्रम संवत् का आरम्भ ईसवी सन् 33 मानना चाहिए। | *अनन्द का अर्थ है नौ (नौ नन्दों) रहित 100 में से 9 घटाने पर 91 बचते हैं। अर्थात् ईसवी पूर्व 58-57 में आरम्भ होने वाले सानन्द विक्रम संवत् का आरम्भ ईसवी सन् 33 मानना चाहिए। | ||
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06:37, 3 दिसम्बर 2010 का अवतरण
- अनन्द विक्रम संवत् भारत में प्रचलित अनेक संवतों में से एक है।
- अनन्द का अर्थ है नौ (नौ नन्दों) रहित 100 में से 9 घटाने पर 91 बचते हैं। अर्थात् ईसवी पूर्व 58-57 में आरम्भ होने वाले सानन्द विक्रम संवत् का आरम्भ ईसवी सन् 33 मानना चाहिए।
- इसका प्रयोग पृथ्वीराज रासो के कवि चंदबरदाई ने, जो मुसलमानों के आक्रमण (1192 ई.) के समय दिल्ली नरेश पृथ्वीराज चौहान का राज कवि था, किया है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ