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'कूर्म' [[विष्णु]] के द्वितीय अवतार का नाम है। प्रजापति ने सन्तति प्रजनन के अभिप्राय से कूर्म का रूप धारण किया था। इनकी पीठ का घेरा एक लाख योजन का था। कूर्म की पीठ पर मन्दराचल पर्वत स्थापित करने से ही [[समुद्र मंथन]] सम्भव हो सका था। '[[पद्म पुराण]]' में इसी आधार पर विष्णु का कूर्मावतार वर्णित है। | [[हिन्दू]] धार्मिक मान्यता के अनुसार 'कूर्म' [[विष्णु]] के द्वितीय अवतार का नाम है। प्रजापति ने सन्तति प्रजनन के अभिप्राय से कूर्म का रूप धारण किया था। इनकी पीठ का घेरा एक लाख योजन का था। कूर्म की पीठ पर मन्दराचल पर्वत स्थापित करने से ही [[समुद्र मंथन]] सम्भव हो सका था। '[[पद्म पुराण]]' में इसी आधार पर विष्णु का कूर्मावतार वर्णित है। | ||
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10:11, 7 अगस्त 2011 का अवतरण
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हिन्दू धार्मिक मान्यता के अनुसार 'कूर्म' विष्णु के द्वितीय अवतार का नाम है। प्रजापति ने सन्तति प्रजनन के अभिप्राय से कूर्म का रूप धारण किया था। इनकी पीठ का घेरा एक लाख योजन का था। कूर्म की पीठ पर मन्दराचल पर्वत स्थापित करने से ही समुद्र मंथन सम्भव हो सका था। 'पद्म पुराण' में इसी आधार पर विष्णु का कूर्मावतार वर्णित है। इन्हें भी देखें: कूर्म पुराण
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