"प्रयोग:फ़ौज़िया5": अवतरणों में अंतर
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==सामान्य ज्ञान हिन्दी== | ==सामान्य ज्ञान हिन्दी== | ||
====खड़ीबोली का अरबी-फ़ारसीमय रूप है?==== | ====खड़ीबोली का अरबी-फ़ारसीमय रूप है?==== | ||
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{{Opt|विकल्प 1=ब्रजभाषा|विकल्प 2=खड़ीबोली भाषा|विकल्प 3=अपभ्रंश भाषा|विकल्प 4=कन्नौजी भाषा}}{{Ans|विकल्प 1='''[[ब्रजभाषा]]'''{{Check}}|विकल्प 2=खड़ीबोली भाषा|विकल्प 3=अपभ्रंश भाषा|विकल्प 4=कन्नौजी भाषा|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=ब्रजभाषा|विकल्प 2=खड़ीबोली भाषा|विकल्प 3=अपभ्रंश भाषा|विकल्प 4=कन्नौजी भाषा}}{{Ans|विकल्प 1='''[[ब्रजभाषा]]'''{{Check}}|विकल्प 2=खड़ीबोली भाषा|विकल्प 3=अपभ्रंश भाषा|विकल्प 4=कन्नौजी भाषा|विवरण=}} | ||
====किस भाषा को वैज्ञानिक ने [[बिहारी भाषाएँ|बिहारी] और [[मैथिली भाषा|मैथिली]] को मागधी से निकली होने के कारण हिन्दी से पृथक् माना है?==== | ====किस भाषा को वैज्ञानिक ने [[बिहारी भाषाएँ|बिहारी]] और [[मैथिली भाषा|मैथिली]] को मागधी से निकली होने के कारण हिन्दी से पृथक् माना है?==== | ||
{{Opt|विकल्प 1=हार्नले|विकल्प 2=सुनीति कुमार चटर्जी|विकल्प 3=जॉर्ज ग्रियर्सन|विकल्प 4=धीरेन्द्र वर्मा}}{{Ans|विकल्प 1=हार्नले|विकल्प 2='''सुनीति कुमार चटर्जी'''{{Check}}|विकल्प 3=जॉर्ज ग्रियर्सन|विकल्प 4=धीरेन्द्र वर्मा|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=हार्नले|विकल्प 2=सुनीति कुमार चटर्जी|विकल्प 3=जॉर्ज ग्रियर्सन|विकल्प 4=धीरेन्द्र वर्मा}}{{Ans|विकल्प 1=हार्नले|विकल्प 2='''सुनीति कुमार चटर्जी'''{{Check}}|विकल्प 3=जॉर्ज ग्रियर्सन|विकल्प 4=धीरेन्द्र वर्मा|विवरण=}} | ||
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====इनमें किस नाटककार ने अपने नाटकों के लिए रंगमंच को अनिवार्य नहीं माना है?==== | ====इनमें किस नाटककार ने अपने नाटकों के लिए रंगमंच को अनिवार्य नहीं माना है?==== | ||
{{Opt|विकल्प 1=डॉ. रामकुमार वर्मा|विकल्प 2=सेठ गोविन्ददास|विकल्प 3=लक्ष्मीनारायण मिश्र|विकल्प 4=जयशंकर प्रसाद}}{{Ans|विकल्प 1=डॉ. रामकुमार वर्मा|विकल्प 2=सेठ गोविन्ददास|विकल्प 3=लक्ष्मीनारायण मिश्र|विकल्प 4=''[[ | {{Opt|विकल्प 1=डॉ. रामकुमार वर्मा|विकल्प 2=सेठ गोविन्ददास|विकल्प 3=लक्ष्मीनारायण मिश्र|विकल्प 4=जयशंकर प्रसाद}}{{Ans|विकल्प 1=डॉ. रामकुमार वर्मा|विकल्प 2=सेठ गोविन्ददास|विकल्प 3=लक्ष्मीनारायण मिश्र|विकल्प 4='''[[जयशंकर प्रसाद]]'''{{Check}}|विवरण=}} | ||
===='प्रभातफेरी' काव्य के रचनाकार कौन हैं?==== | ===='प्रभातफेरी' काव्य के रचनाकार कौन हैं?==== | ||
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====बिहारी सतसई' किस राजा के दरबारी कवि थे?==== | ====बिहारी सतसई' किस राजा के दरबारी कवि थे?==== | ||
{{Opt|विकल्प 1=बूँदी नरेश महाराज भावसिंह के|विकल्प 2=जयपुर नरेश जयसिंह के|विकल्प 3=नागपुर के सूर्यवंशी भोंसला मकरन्द शाह के|विकल्प 4=चित्रकूट नरेश रुद्रदेव के}}{{Ans|विकल्प 1=बूँदी नरेश महाराज भावसिंह के|विकल्प 2='''[[जयपुर]] नरेश [[जयसिंह]] के'''|विकल्प 3=[[नागपुर]] के [[सूर्यवंश|सूर्यवंशी]] भोंसला मकरन्द शाह के|विकल्प 4=चित्रकूट नरेश रुद्रदेव के|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=बूँदी नरेश महाराज भावसिंह के|विकल्प 2=जयपुर नरेश जयसिंह के|विकल्प 3=नागपुर के सूर्यवंशी भोंसला मकरन्द शाह के|विकल्प 4=चित्रकूट नरेश रुद्रदेव के}}{{Ans|विकल्प 1=बूँदी नरेश महाराज भावसिंह के|विकल्प 2='''[[जयपुर]] नरेश [[जयसिंह]] के'''{{Check}}|विकल्प 3=[[नागपुर]] के [[सूर्यवंश|सूर्यवंशी]] भोंसला मकरन्द शाह के|विकल्प 4=चित्रकूट नरेश रुद्रदेव के|विवरण=}} | ||
====तुलसीदास का वह ग्रंथ कौनसा है, जिसमें ज्योतिष का वर्णन किया गया है?==== | ====[[तुलसीदास]] का वह ग्रंथ कौनसा है, जिसमें ज्योतिष का वर्णन किया गया है?==== | ||
{{Opt|विकल्प 1=दोहावली|विकल्प 2=गीतावली|विकल्प 3=रामाज्ञा प्रश्नावली|विकल्प 4=कवितावली}}{{Ans|विकल्प 1=दोहावली|विकल्प 2=गीतावली|विकल्प 3='''रामाज्ञा प्रश्नावली'''{{Check}}|विकल्प 4=कवितावली|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=दोहावली|विकल्प 2=गीतावली|विकल्प 3=रामाज्ञा प्रश्नावली|विकल्प 4=कवितावली}}{{Ans|विकल्प 1=दोहावली|विकल्प 2=गीतावली|विकल्प 3='''रामाज्ञा प्रश्नावली'''{{Check}}|विकल्प 4=कवितावली|विवरण=}} | ||
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====इनमें किस आलोचक ने अपना कौन सा आलौचना ग्रंथ लिखकर हिन्दी के स्नातकोत्तर कक्षाओं के पाठ्यक्रम में आलोचना के अभाव को पूरा करने का सर्वप्रथम सफल प्रयास किया था?==== | ====इनमें किस आलोचक ने अपना कौन सा आलौचना ग्रंथ लिखकर हिन्दी के स्नातकोत्तर कक्षाओं के पाठ्यक्रम में आलोचना के अभाव को पूरा करने का सर्वप्रथम सफल प्रयास किया था?==== | ||
{{Opt|विकल्प 1=पदुमलाल पन्नालाल बख्तीः विश्व साहित्य|विकल्प 2=गयाप्रसाद अग्निहोत्रीः समालोचना|विकल्प 3=रामचन्द्र शुक्लः चिंतामणि|विकल्प 4=श्यामसुन्दर दासः साहित्यालोचन}}{{Ans|विकल्प 1=पदुमलाल पन्नालाल बख्तीः विश्व साहित्यविकल्प 2=गयाप्रसाद अग्निहोत्रीः समालोचना|विकल्प 3=रामचन्द्र शुक्लः चिंतामणि|विकल्प 4='''श्यामसुन्दर दासः साहित्यालोचन'''{{Check}}|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=पदुमलाल पन्नालाल बख्तीः विश्व साहित्य|विकल्प 2=गयाप्रसाद अग्निहोत्रीः समालोचना|विकल्प 3=रामचन्द्र शुक्लः चिंतामणि|विकल्प 4=श्यामसुन्दर दासः साहित्यालोचन}}{{Ans|विकल्प 1=पदुमलाल पन्नालाल बख्तीः विश्व साहित्यविकल्प|2=गयाप्रसाद अग्निहोत्रीः समालोचना|विकल्प 3=रामचन्द्र शुक्लः चिंतामणि|विकल्प 4='''श्यामसुन्दर दासः साहित्यालोचन'''{{Check}}|विवरण=}} | ||
====आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने 'त्रिवेणी' में किन तीन महाकवियों की समीक्षाएँ प्रस्तुत की हैं?==== | ====आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने 'त्रिवेणी' में किन तीन महाकवियों की समीक्षाएँ प्रस्तुत की हैं?==== | ||
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====भक्तिकाल में एक ऐसा कवि हुआ, जिसने अपने भाव व्यक्त करने के लिए उर्दू, फारसी, खड़ीबोली आदि के शब्दों का मुक्त उपयोग किया है?==== | ====भक्तिकाल में एक ऐसा कवि हुआ, जिसने अपने भाव व्यक्त करने के लिए उर्दू, फारसी, खड़ीबोली आदि के शब्दों का मुक्त उपयोग किया है?==== | ||
{{Opt|विकल्प 1=तुलसीदास|विकल्प 2=जायसी|विकल्प 3=सूरदास|विकल्प 4=कबीर}}{{Ans|विकल्प 1=[[तुलसीदास]]|विकल्प 2=[[जायसी]]|विकल्प 3=[[सूरदास]]|विकल्प 4='''[[कबीर]]'''|{{Check}}विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=तुलसीदास|विकल्प 2=जायसी|विकल्प 3=सूरदास|विकल्प 4=कबीर}}{{Ans|विकल्प 1=[[तुलसीदास]]|विकल्प 2=[[जायसी]]|विकल्प 3=[[सूरदास]]|विकल्प 4='''[[कबीर]]'''{{Check}}|{{Check}}विवरण=}} | ||
====आचार्य शुक्ल के अनुसार इनमें एक ऐसा कवि है, जिसका | ====आचार्य शुक्ल के अनुसार इनमें एक ऐसा कवि है, जिसका 'वियोग वर्णन, वियोग वर्णन के लिए ही है, परिस्थिति के अनुरोध से नहीं'?==== | ||
{{Opt|विकल्प 1=कबीर|विकल्प 2=सूरदास|विकल्प 3=जायसी|विकल्प 4=तुलसी}}{{Ans|विकल्प 1='''[[कबीर]]'''{{Check}}|विकल्प 2=[[सूरदास]]|विकल्प 3=[[जायसी]]|विकल्प 4=[[तुलसी]]|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=कबीर|विकल्प 2=सूरदास|विकल्प 3=जायसी|विकल्प 4=तुलसी}}{{Ans|विकल्प 1='''[[कबीर]]'''{{Check}}|विकल्प 2=[[सूरदास]]|विकल्प 3=[[जायसी]]|विकल्प 4=[[तुलसी]]|विवरण=}} | ||
===='सुन्दर परम किसोर बयक्रम चंचल नयन बिसाल। कर मुरली सिर मोरपंख पीतांबर उर बनमाल॥ उपर्युक्त पंक्तियाँ किस रचनाकार की हैं?==== | ===='सुन्दर परम किसोर बयक्रम चंचल नयन बिसाल। कर मुरली सिर मोरपंख पीतांबर उर बनमाल॥ उपर्युक्त पंक्तियाँ किस रचनाकार की हैं?==== | ||
{{Opt|विकल्प 1=बिहारी|विकल्प 2=केशवदास|विकल्प 3=तुलसीदास|विकल्प 4=सूरदास}}{{Ans|विकल्प 1=बिहारी|विकल्प 2=[[केशवदास]]|विकल्प 3=[[तुलसीदास]]|विकल्प 4='''[[सूरदास]]'''{{Check}}|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=बिहारी|विकल्प 2=केशवदास|विकल्प 3=तुलसीदास|विकल्प 4=सूरदास}}{{Ans|विकल्प 1=[[बिहारी लाल|बिहारी]]|विकल्प 2=[[केशवदास]]|विकल्प 3=[[तुलसीदास]]|विकल्प 4='''[[सूरदास]]'''{{Check}}|विवरण=}} | ||
====भक्तिकाल का एक कवि अवतारवाद और मूर्तिपूजा का विरोधी है. इसके बावजूद वह हिन्दूओं के जन्म-मृत्यु सम्बन्धी सिद्धांत को मानता है, ऐसा रचनाकार है?==== | ====भक्तिकाल का एक कवि अवतारवाद और मूर्तिपूजा का विरोधी है. इसके बावजूद वह हिन्दूओं के जन्म-मृत्यु सम्बन्धी सिद्धांत को मानता है, ऐसा रचनाकार है?==== | ||
{{Opt|विकल्प 1=जायसी|विकल्प 2=कबीर|विकल्प 3=तुलसीदास|विकल्प 4=कुम्भनदास}}{{Ans|विकल्प 1=[[जायसी]]|विकल्प 2='''[[कबीर]]'''{{Check}}|विकल्प 3=तुलसीदास|विकल्प 4=[[कुम्भनदास]]|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=जायसी|विकल्प 2=कबीर|विकल्प 3=तुलसीदास|विकल्प 4=कुम्भनदास}}{{Ans|विकल्प 1=[[जायसी]]|विकल्प 2='''[[कबीर]]'''{{Check}}|विकल्प 3=[[तुलसीदास]]|विकल्प 4=[[कुम्भनदास]]|विवरण=}} | ||
====भक्तिकालीन कवियों में एक ऐसा ख्यातिलब्ध रचनाकार है जो अपने काव्य में लोकव्यापी प्रभाव वाले कर्म और लोकव्यापिनी दशाओं के वर्णन में माहिर है. ऐसे रचनाकार का नाम है?==== | ====भक्तिकालीन कवियों में एक ऐसा ख्यातिलब्ध रचनाकार है जो अपने काव्य में लोकव्यापी प्रभाव वाले कर्म और लोकव्यापिनी दशाओं के वर्णन में माहिर है. ऐसे रचनाकार का नाम है?==== | ||
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====दोहा छन्द में श्रृंगारी रचना प्रस्तुत करने वालों में हिन्दी के सर्वाधिक ख्यातिलब्ध कवि हैं?==== | ====दोहा छन्द में श्रृंगारी रचना प्रस्तुत करने वालों में हिन्दी के सर्वाधिक ख्यातिलब्ध कवि हैं?==== | ||
{Opt|विकल्प 1=रहीम|विकल्प 2=बिहारी|विकल्प 3=भूषण|विकल्प 4=सूरदास}}{{Ans|विकल्प 1=[[रहीम]]|विकल्प 2='''[[बिहारी लाल|बिहारी]]'''{{Check}}|विकल्प 3=[[भूषण]]|विकल्प 4=[[सूरदास]]|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=रहीम|विकल्प 2=बिहारी|विकल्प 3=भूषण|विकल्प 4=सूरदास}}{{Ans|विकल्प 1=[[रहीम]]|विकल्प 2='''[[बिहारी लाल|बिहारी]]'''{{Check}}|विकल्प 3=[[भूषण]]|विकल्प 4=[[सूरदास]]|विवरण=}} | ||
===='कंचन तन धन बरन बर रहयौ रंग मिलि रंग। जानी जाति सुबास ही केसरि लाई अंग॥ उपर्युक्त पंक्तियाँ किसकी हैं?==== | ===='कंचन तन धन बरन बर रहयौ रंग मिलि रंग। जानी जाति सुबास ही केसरि लाई अंग॥ उपर्युक्त पंक्तियाँ किसकी हैं?==== | ||
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===='नखत की आशा - किरन -समान\ ह्रदय के कोमल कवि की कांत।' पंक्ति किसकी लिखी हुई है?==== | ===='नखत की आशा - किरन -समान\ ह्रदय के कोमल कवि की कांत।' पंक्ति किसकी लिखी हुई है?==== | ||
{{Opt|विकल्प 1=सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'|विकल्प 2=जयशंकर प्रसाद|विकल्प 3=सुमित्रानंदन पंत|विकल्प 4=महादेवी वर्मा}}{{Ans|विकल्प 1=[[सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला|सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला']]|विकल्प 2='''[[जयशंकर प्रसाद]]'''{{Check}}|विकल्प 3=[[सुमित्रानंदन पंत]]|विकल्प 4=[[महादेवी वर्मा]]|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'|विकल्प 2=जयशंकर प्रसाद|विकल्प 3=सुमित्रानंदन पंत|विकल्प 4=महादेवी वर्मा}}{{Ans|विकल्प 1=[[सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला|सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला']]|विकल्प 2='''[[जयशंकर प्रसाद]]'''{{Check}}|विकल्प 3=[[सुमित्रानंदन पंत]]|विकल्प 4=[[महादेवी वर्मा]]|विवरण=}} | ||
===='मौन, नाश, विध्वंस, अंधेरा। शून्य बना जो प्रकट अभाव।। पंक्ति किसके द्वारा लिखी गई?==== | |||
{{Opt|विकल्प 1=महादेवी वर्मा|विकल्प 2=सुमित्रानंदन पंत|विकल्प 3=जयशंकर प्रसाद|विकल्प 4=सूर्यकांत त्रिपाठी निराला}}{{Ans|विकल्प 1=[[महादेवी वर्मा]]|विकल्प 2=[[सुमित्रानंदन पंत]]|विकल्प 3='''[[जयशंकर प्रसाद]]'''{{Check}}|विकल्प 4=[[सूर्यकांत त्रिपाठी निराला]]|विवरण=}} | |||
===='दुरित, दुःख, दैन्य न थे जब ज्ञात। पंक्ति अपरिचित जरा- मरण -भ्रू पात।।' पंक्ति के रचनाकार हैं?==== | |||
{{Opt|विकल्प 1=सूर्यकांत त्रिपाठी निराला|विकल्प 2=सुमित्रानंदन पंत|विकल्प 3=जयशंकर प्रसाद|विकल्प 4=महादेवी वर्मा}}{{Ans|विकल्प 1=[[सूर्यकांत त्रिपाठी निराला]]|विकल्प 2='''[[सुमित्रानंदन पंत]]'''{{Check}}|विकल्प 3=[[जयशंकर प्रसाद]]|विकल्प 4=[[महादेवी वर्मा]]|विवरण=}} | |||
===='काल का अकरुण भृकुटि -विलास। तुमारा ही परिहास।।' नामक पंक्ति पंत की किस कविता का अंश है?==== | |||
{{Opt|विकल्प 1=परिवर्तन|विकल्प 2=नौका विहार|विकल्प 3=मौन निमंत्रण|विकल्प 4=ओ रहस्य}}{{Ans|विकल्प 1='''परिवर्तन'''{{Check}}|विकल्प 2=नौका विहार|विकल्प 3=मौन निमंत्रण|विकल्प 4=ओ रहस्य|विवरण=}} | |||
===='अब पहुँची चपला बीच धार। छिप गया चाँदनी का कगार।।' पंक्ति सुमित्रानंदन पंत की किस कविता का अंश है?==== | |||
{{Opt|विकल्प 1=परिवर्तन|विकल्प 2=मौन निमंत्रण|विकल्प 3=बादल|विकल्प 4=नौका विहार}}{{Ans|विकल्प 1=परिवर्तन|विकल्प 2=मौन निमंत्रण|विकल्प 3=बादल|विकल्प 4='''नौका विहार'''{{Check}}|विवरण=}} | |||
===='निराला के [[राम]] [[तुलसीदास]] के राम से भिन्न और भवभूति के राम के निकट हैं।' यह कथन किस [[हिन्दी]] आलोचना का है?==== | |||
{{Opt|विकल्प 1=डॉ. रामस्वरूप चतुर्वेदी|विकल्प 2=डॉ. सूर्यप्रसाद दीक्षित|विकल्प 3=डॉ. रामविलास शर्मा|विकल्प 4=डॉ. गंगाप्रसाद पाण्डेय}}{{Ans|विकल्प 1=डॉ. रामस्वरूप चतुर्वेदी|विकल्प 2=डॉ. सूर्यप्रसाद दीक्षित|विकल्प 3='''डॉ. रामविलास शर्मा'''{{Check}}|विकल्प 4=डॉ. गंगाप्रसाद पाण्डेय|विवरण=}} | |||
===='[[राम]] की शक्तिपूजा' में [[सूर्यकांत त्रिपाठी निराला|निराला]] की इन दो कविताओं का सारतत्व समाहित है?==== | |||
{{Opt|विकल्प 1=तुलसीदास और सरोजस्मृति|विकल्प 2=तुलसीदास और बादल|विकल्प 3=सरोजस्मृति और तोड़ती पत्थर|विकल्प 4=जागो फिर एक बार और तुलसीदास}}{{Ans|विकल्प 1=[[तुलसीदास]] और सरोजस्मृति|विकल्प 2=तुलसीदास और बादल|विकल्प 3=सरोजस्मृति और तोड़ती पत्थर|विकल्प 4='''जागो फिर एक बार और तुलसीदास'''{{Check}}|विवरण=}} | |||
====किस छायावादी कवि ने संवाद शैली का सर्वाधिक उपयोग किया है?==== | |||
{{Opt|विकल्प 1=जयशंकर प्रसाद|विकल्प 2=सुमित्रानंदन पंत|विकल्प 3=महादेवी वर्मा|विकल्प 4=सूर्यकांत त्रिपाठी निराला}}{{Ans|विकल्प 1='''[[जयशंकर प्रसाद]]'''{{Check}}|विकल्प 2=[[सुमित्रानंदन पंत]]|विकल्प 3=[[महादेवी वर्मा]]|विकल्प 4=[[सूर्यकांत त्रिपाठी निराला]]|विवरण=}} | |||
====व्यवस्थाप्रियता और विद्रोह का विलक्षण संयोग किस प्रयोगवादी कवि में सबसे अधिक मिलता है?==== | |||
{{Opt|विकल्प 1=गजानन माधव मुक्तिबोध में|विकल्प 2=भारतभूषण अग्रवाल में|विकल्प 3=नेमिचन्द्र जैन में|विकल्प 4=अज्ञेय में}}{{Ans|विकल्प 1=गजानन माधव मुक्तिबोध में|विकल्प 2=भारतभूषण अग्रवाल में|विकल्प 3=नेमिचन्द्र जैन में|विकल्प 4='''अज्ञेय में'''{{Check}}|विवरण=}} | |||
===='वह उस महत्ता का। हम सरीखों के लिए उपयोग। उस आंतरिकता का बताता में महत्व।।' पंक्तियाँ मुक्तिबोध की किस कविता से ली गई हैं?==== | |||
{{Opt|विकल्प 1=ब्रह्मराक्षस|विकल्प 2=भूलगलती|विकल्प 3=पता नहीं|विकल्प 4=अँधेरे में}}{{Ans|विकल्प 1='''ब्रह्मराक्षस'''{{Check}}|विकल्प 2=भूलगलती|विकल्प 3=पता नहीं|विकल्प 4=अँधेरे में|विवरण=}} | |||
====ऋतु वसंत का सुप्रभात था। मंद मंद था अनिल बह रहा॥ बालारुण की मृदु किरणें थीं। अगल बगल स्वर्णाभ शिखर थे॥' ये पंक्तियाँ नागार्जुन की किस कविता की हैं?==== | |||
{{Opt|विकल्प 1=प्रतिबद्ध हूँ|विकल्प 2=तालाब की मछलियाँ|विकल्प 3=बादल को घिरते देखा है|विकल्प 4=सिन्दूर तिलकित भाल}}{{Ans|विकल्प 1=प्रतिबद्ध हूँ|विकल्प 2=तालाब की [[मछली|मछलियाँ]]|विकल्प 3='''बादल को घिरते देखा है'''{{Check}}|विकल्प 4=सिन्दूर तिलकित भाल|विवरण=}} | |||
===='अकाल और उसके बाद' नामक कविता के रचनाकार हैं?==== | |||
{{Opt|विकल्प 1=केदारनाथ अग्रवाल|विकल्प 2=त्रिलोचन|विकल्प 3=नागार्जुन|विकल्प 4=इनमें से कोई नहीं}}{{Ans|विकल्प 1=केदारनाथ अग्रवाल|विकल्प 2=त्रिलोचन|विकल्प 3='''नागार्जुन'''{{Check}}|विकल्प 4=इनमें से कोई नहीं|विवरण=}} | |||
====भारतेन्दु कृत 'भारत दुर्दशा' किस साहित्य रूप का हिस्सा है?==== | |||
{{Opt|विकल्प 1=कथा साहित्य|विकल्प 2=नाटक साहित्य|विकल्प 3=संस्मरण साहित्य|विकल्प 4=जीवनी साहित्य}}{{Ans|विकल्प 1=कथा साहित्य|विकल्प 2='''नाटक साहित्य'''{{Check}}|विकल्प 3=संस्मरण साहित्य|विकल्प 4=जीवनी साहित्य|विवरण=}} | |||
===='आदमी कितना स्वार्थी हो जाता है, जिसके लिए मरो, वही जान का दुश्मन हो जाता है।' यह कथन 'गोदान के किस पात्र का है?==== | |||
{{Opt|विकल्प 1=मेहता|विकल्प 2=खन्ना|विकल्प 3=मालती|विकल्प 4=होरी}}{{Ans|विकल्प 1=मेहता|विकल्प 2=खन्ना|विकल्प 3=मालती|विकल्प 4='''होरी'''{{Check}}|विवरण=}} | |||
===='नारी में पुरुष के गुण आ जाते हैं, तो वह कुलटा हो जाती है।' यह कथन 'गोदान' के किस पात्र का है?==== | |||
{{Opt|विकल्प 1=रायसाहब|विकल्प 2=ओंकारनाथ|विकल्प 3=मेहता|विकल्प 4=होरी}}{{Ans|विकल्प 1=रायसाहब|विकल्प 2=ओंकारनाथ|विकल्प 3='''मेहता'''{{Check}}|विकल्प 4=होरी|विवरण=}} | |||
===='जो अपनी जान खपाते हैं, उनका हक उन लोगों से ज्यादा है, जो केवल रुपया लगाते हैं।' यह कथन 'गोदान' के किस पात्र द्वारा कहा गया है?==== | |||
{{Opt|विकल्प 1=ओंकारनाथ|विकल्प 2=मेहता|विकल्प 3=मालती|विकल्प 4=खन्ना}}{{Ans|विकल्प 1=ओंकारनाथ|विकल्प 2='''मेहता'''{{Check}}|विकल्प 3=मालती|विकल्प 4=खन्ना|विवरण=}} | |||
===='पवित्रता की माप है, मलिनता, सुख का आलोचना है. दुःख, पुण्य की कसौटी है पाप।' यह कथन 'स्कन्दगुप्त' नाटक के किस पात्र का है?==== | |||
{{Opt|विकल्प 1=विजया|विकल्प 2=देवसेना|विकल्प 3=भटार्क|विकल्प 4=प्रपंचबुद्धि}}{{Ans|विकल्प 1=विजया|विकल्प 2='''देवसेना'''{{Check}}|विकल्प 3=भटार्क|विकल्प 4=प्रपंचबुद्धि|विवरण=}} | |||
===='मनुष्य अपूर्ण है. इसलिए सत्य का विकास जो उसके द्वारा होता है, अपूर्ण होता है. यही विकास का रहस्य है।' यह कथन 'स्कन्दगुप्त' नाटक के किस पात्र का है?==== | |||
{{Opt|विकल्प 1=प्रख्यातकीर्ति|विकल्प 2=देवसेना|विकल्प 3=मातृगुप्त|विकल्प 4=धातुसेन}}{{Ans|विकल्प 1='''प्रख्यातकीर्ति'''{{Check}}|विकल्प 2=देवसेना|विकल्प 3=मातृगुप्त|विकल्प 4=धातुसेन|विवरण=}} | |||
===='विश्व -प्रेम, सर्व-भूत -हित- कामना परम धर्म हैः परंतु इसका अर्थ यह नहीं हो सकता कि अपने पर प्रेम न हो।' यह कथन 'स्कन्दगुप्त' नाटक के किस पात्र का है?==== | |||
{{Opt|विकल्प 1=बंधु वर्मा|विकल्प 2=चक्रपालित|विकल्प 3भीम वर्मा=|विकल्प 4=जयमाला}}{{Ans|विकल्प 1=बंधु वर्मा|विकल्प 2=चक्रपालित|विकल्प 3=भीम वर्मा|विकल्प 4='''जयमाला'''{{Check}}|विवरण=}} | |||
===='मनुष्य के आचरण के प्रवर्तक भाव या मनोविकार ही होते हैं, बुद्धि नहीं।' यह कथन है?==== | |||
{{Opt|विकल्प 1=सरदार पूर्णसिंह का|विकल्प 2=रामचन्द्र शुक्ल का|विकल्प 3=महावीर प्रसाद द्विवेदी का|विकल्प 4=बालकृष्ण भट्ट का}}{{Ans|विकल्प 1=सरदार पूर्णसिंह का|विकल्प 2='''रामचन्द्र शुक्ल का'''{{Check}}|विकल्प 3=महावीर प्रसाद द्विवेदी का|विकल्प 4=बालकृष्ण भट्ट का|विवरण=}} | |||
===='रस मीमांसा' रस -सिद्धांत से सम्बन्धित पुस्तक है, इस पुस्तक के लेखक हैं?==== | |||
{{Opt|विकल्प 1=डॉ. श्यामसुन्दर दास|विकल्प 2=डॉ. गुलाब राय|विकल्प 3=डॉ. नगेन्द्र|विकल्प 4=आचार्य रामचन्द्र शुक्ल}}{{Ans|विकल्प 1=डॉ. श्यामसुन्दर दास|विकल्प 2=डॉ. गुलाब राय|विकल्प 3=डॉ. नगेन्द्र|विकल्प 4='''आचार्य रामचन्द्र शुक्ल'''{{Check}}|विवरण=}} | |||
===='यह युग (भारतेन्दु) बच्चे के समान हँसता-खेलता आया था, जिसमें बच्चों की सी निश्छलता' अक्खड़पन, सरलता और तन्मयता थी।' यह कथन किस आलोचक का है?==== | |||
{{Opt|विकल्प 1=आचार्य रामचन्द्र शुक्ल|विकल्प 2=डॉ. हजारीप्रसाद द्विवेदी|विकल्प 3=डॉ. रामविलास शर्मा|विकल्प 4=डॉ. पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल}}{{Ans|विकल्प 1='''आचार्य रामचन्द्र शुक्ल'''{{Check}}|विकल्प 2=डॉ. हजारीप्रसाद द्विवेदी|विकल्प 3=डॉ. रामविलास शर्मा|विकल्प 4=डॉ. पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल|विवरण=}} | |||
===='मनुष्य से बड़ा है उसका अपना विश्वास और उसका ही रचा हुआ विधान। अपने विवशता अनुभव करता है और स्वयं ही वह उसे बदल भी देता है॥' यह कथन किस उपन्यासकार लिखा है?==== | |||
{{Opt|विकल्प 1=प्रेमचन्द्र|विकल्प 2=भगवतीचरण वर्मा|विकल्प 3=हजारीप्रसाद द्विवेदी|विकल्प 4=यशपाल}}{{Ans|विकल्प 1=[[मुंशी प्रेमचंद|प्रेमचन्द्र]]|विकल्प 2=भगवतीचरण वर्मा|विकल्प 3='''हजारीप्रसाद द्विवेदी'''{{Check}}|विकल्प 4=यशपाल|विवरण=}} | |||
===='अपने अतीत का मनन और मंथन हम भविष्य के लिए संकेत पाने के प्रयोजन से करते हैं।' यह कथन किस उपन्यासकार का है?==== | |||
{{Opt|विकल्प 1=हजारीप्रसाद द्विवेदी|विकल्प 2=यशपाल|विकल्प 3=वृन्दावनलाल वर्मा|विकल्प 4=रांगेय राघव}}{{Ans|विकल्प 1='''हजारीप्रसाद द्विवेदी'''{{Check}}|विकल्प 2=यशपाल|विकल्प 3=वृन्दावनलाल वर्मा|विकल्प 4=रांगेय राघव|विवरण=}} |
10:17, 19 दिसम्बर 2010 का अवतरण
सामान्य ज्ञान हिन्दी
खड़ीबोली का अरबी-फ़ारसीमय रूप है?
हिन्दी भाषा क पहला समाचार-पत्र 'उदंत मार्ताण्ड' किस सन् में प्रकाशित हुआ था?
हिन्दी के किस समाचार-पत्र में 'खड़ीबोली' को 'मध्यदेशीय भाषा' कहा गया है?
'गाथा' (गाहा) कहने से किस लोक प्रचलित काव्यभाषा का बोध होता है?
'दूहा' कहने से किस लोक प्रचलित काव्यभाषा का बोध होता है?
सिद्धों की उद्धृत रचनाओं की काव्य भाषा है?
अपभ्रंश भाषा के प्रथम व्याकरनाचार्य थे?
'जो जिण सासण भाषियउ सो मई कहियउ सार। जो पालइ सइ भाउ करि सो तरि पावइ पारु॥' इस दोहे के रचनाकार का नाम है?
प्रादेशिक बोलियाँ के साथ ब्रज या मध्य देश की भाषा का आश्रय लेकर एक सामान्य साहित्यिक भाषा स्वीकृत हुई, जिसे चारणों ने नाम दिया?
अपभ्रंश के योग से राजस्थानी भाषा का जो साहित्यिक रुप बना, उसे कहा जाता है?
अमीर ख़ुसरो ने जिन मुकरियों, पहेलियों और दो सुखनों की रचना की है, उसकी मुख्य भाषा है?
'एक नगर पिया को भानी। तन वाको सगरा ज्यों पानी।' यह पंक्ति किस भाषा की है?
किस भाषा को वैज्ञानिक ने बिहारी और मैथिली को मागधी से निकली होने के कारण हिन्दी से पृथक् माना है?
देवनागरी लिपि को राष्ट्रलिपि के रूप में कब स्वीकार किया गया था?
'रानी केतकी की कहानी' की भाषा को कहा जाता है?
देवनागरी लिपि का विकास किस लिपि से हुआ है?
'बाँगरू' बोली का किस बोली से निकट सम्बन्ध है?
मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषाओं का स्थिति काल रहा है?
प्राचीन देशभाषा' (पूर्व अपभ्रंश) को 'अपभ्रंश' तथा परवर्ती अर्थात् अग्रसरीभूत अपभ्रंश को 'अवहट्ठ' किस भाषा वैज्ञानिक ने कहा है?
अर्द्धमागधी अपभ्रंश से इनमें से किस बोली का विकास हुआ है?
कामताप्रसाद गुरु का हिन्दी व्याकरण विषयक ग्रंथ, जो नागरी प्रचारिणी सभा, काशी से प्रकाशित हुआ था, उसका नाम था?
देवनागरी लिपि है?
मध्यकालीन भारतीय आर्यभाषाओं में कितने प्रकार के लिंग प्रयोग में रहे हैं?
विद्यापति की उस प्रमुख रचना का नाम बताइए, जिसमें 'अवहट्ठ' भाषा का बहुतायत से प्रयोग हुआ है?
जॉर्ज ग्रियर्सन ने पश्चिमोत्तर समुदाय की भाषा को आधुनिक भारतीय आर्यभाषाओं की किस उपशाखा में रखा है?
सुनीति कुमार चटर्जी ने आधुनिक भारतीय आर्यभाषाओं के अंतर्गत पूर्वी हिन्दी को किस शाखा के भीतर रखा है?
उर्दू किस भाषा का मूल शब्द है?
'साहित्य का इतिहास दर्शन' ग्रंथ के लेखक का नाम है?
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल कृत 'हिन्दी साहित्य का इतिहास' की अधिकांश सामग्री पुस्तकाकार प्रकाशन के पूर्व 'हिन्दी शब्द- सागर की भूमिका में छपी थी। इस भूमिका में उसका शीर्षक था?
जॉर्ज ग्रियर्सन का इतिहास ग्रन्थ 'मॉडर्न वर्नाक्युलर लिटरेचर ऑफ़ नॉदर्न हिन्दुस्तान' का प्रकाशन हुआ था?
"जिस कालखण्ड के भीतर किसी विशेष ढंग की रचनाओं की प्रचुरता दिखाई पड़ी है, वह एक अलग काल माना गया है और उसका नामकरण उन्हीं रचनाओं के अनुसार किया गया है" यह मान्यता किस इतिहासकार की है?
आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी के उस इतिहास ग्रंथ का नाम बतलाइए जिसमें मात्र आदिकालीन हिन्दी साहित्य सम्बन्धी सामग्री संग्रहीत है?
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने किन दो प्रमुख तथ्यों को ध्यान में रखकर 'हिन्दी साहित्य के इतिहास' के काल खण्डों का नामकरण किया है?
इनमें किस इतिहासकार ने सर्वप्रथम रीतिकालीन कवियों के सर्वाधिक परिचयात्मक विवरण दिए है?
'हिन्दी साहित्य का अतीत: भाग- एक' के लेखक का नाम है?
प्रेम लक्षणा भक्ति को किस भक्ति शाखा ने अपनी साधना का मुख्य आधार बनाया है?
मनुष्यत्व की सामान्य भावना को आगे करके निम्न श्रेणी की जनता में आत्म- गौरव का भाव जगाने वाले सर्वश्रेष्ठ कवि थे?
'हंस जवाहिर' रचना किस सूफी कवि द्वारा रची गई थी?
'देखन जौ पाऊँ तौ पठाऊँ जमलोक हाथ, दूजौ न लगाऊँ, वार करौ एक कर को।' ये पंक्तियाँ किस कवि द्वारा सृजित हैं?
'भक्तमाल' भक्तिकाल के कवियों की प्राथमिक जानकारी देता है, इसके रचयिता थे?
आचार्य विश्वनाथ प्रसाद मिश्र ने रीतिकाल को 'श्रृंगारकाल' नाम दिया, लेकिन उन्होंने इस पर जो ग्रंथ लिखा, उसका नाम 'हिन्दी का श्रृंगारकाल' नहीं है, बल्कि उसका नाम है?
'भारत मित्र' पत्र (जो कलकत्ता से स. 1934 वि. में प्रकाशित हुआ था) के एक सम्पादक थे?
'हरिश्चन्द्री हिन्दी' शब्द का प्रयोग किस इतिहासकार ने अपने इतिहास ग्रंथ में किया है?
'गिला' कहानी के लेखक का नाम है?
मेवाड़ की पन्ना नामक धाय के अलौकिक त्याग का ऐतिहासिक वृत्त लेकर 'राजमुकुट' नाटक की रचना की गई थी, इस नाटक के लेखक का नाम है?
डॉ. कृष्ण शंकर शुक्ल ने आचार्य केशवदास पर एक समीक्षात्मक पुस्तक लिखी थी, उस पुस्तक का नाम है?
'गंगावतरण' काव्य के रचियता हैं?
छायावादी कवियों ने जब आध्यात्मिक प्रेम को अपनी कविताओं में व्यक्त किया तो ऐसी कविताओं को किस वाद के अंतर्गत रखा गया है?
'परिवर्तन' नामक कविता सर्वप्रथम सुमित्रानन्दन पंत के किस कविता संग्रह में संगृहीत हुई है?
भिखारीदास की रचना का नाम है?
उन्नीसवीं सदी की साहित्य- सर्जना का मूल हेतु है?
'यह प्रेम को पंथ कराल महा तलवार की धार पै धावनी है', नामक पंक्ति किस कवि द्वारा सृजित है?
आचार्य केशवदास को 'कठिन काव्य का प्रेत' किस आलोचक ने कहा है?
बूँदी नरेश महाराज भावसिंह का आश्रित कवि निम्नलिखित में से कौन था?
भूषण का निम्नलिखित में से कौन सा लक्षण ग्रंथ है?
निम्नलिखित में से किस रचना की सर्वाधिक टीकाएँ लिखी गई हैं?