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{खड़ीबोली का अरबी-फ़ारसीमय रूप है?
{वैदिककालीन लोगों ने सर्वप्रथम किस धातु का प्रयोग किया?
|type="()"}
|type="()"}
- [[फ़ारसी भाषा]]
- लोहा
- [[अरबी भाषा]]
- कांसा
+ [[उर्दू भाषा]]
+ तांबा
- अदालती भाषा
- सोना
|| [[उर्दू भाषा]] भारतीय-आर्य भाषा है, जो भारतीय संघ की 18 राष्ट्रीय भाषाओं में से एक व [[पाकिस्तान]] की राष्ट्रभाषा है। हालाँकि यह [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] और [[अरबी भाषा|अरबी]] से प्रभावित है, लेकिन यह [[हिन्दी भाषा|हिन्दी]] के निकट है और इसकी उत्पत्ति और विकास भारतीय उपमहाद्वीप में ही हुआ। दोनों भाषाएँ एक ही भारतीय आधार से उत्पन्न हुई हैं। हिन्दी के लिए [[देवनागरी लिपि|देवनागरी]] का उपयोग होता है और उर्दू के लिए फ़ारसी-अरबी लिपि प्रयुक्त होती है, जिसे आवश्यकतानुसार स्थानीय रूप में परिवर्तित कर लिया गया है। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[उर्दू भाषा]]


{[[हिन्दी भाषा]] का पहला समाचार-पत्र 'उदंत मार्ताण्ड' किस सन् में प्रकाशित हुआ था?
=====उत्तरवैदिक काल के महत्वपूर्ण देवता कौन थे?=====
|type="()"}
{{Opt|विकल्प 1=रुद्र |विकल्प 2=विष्णु|विकल्प 3=प्रजापति|विकल्प 4=पूषन}}{{Ans|विकल्प 1=[[रुद्र]]|विकल्प 2=[[विष्णु]] |विकल्प 3='''प्रजापति'''{{Check}} |विकल्प 4=पूषन|विवरण=}}
- (1821)
=====[[भारत]] का राष्ट्रीय आदर्श वाक्य 'सत्यमेव जयते' कहाँ से उद्धत है?=====
+ (1826)
{{Opt|विकल्प 1=मुण्डकोपनिषद से |विकल्प 2=कठोपनिषद से|विकल्प 3=छान्दोग्य उपनिषद से|विकल्प 4=उपर्युक्त में से कोई नहीं}}{{Ans|विकल्प 1='''[[मुण्डकोपनिषद]] से'''{{Check}} |विकल्प 2=[[कठोपनिषद]] से |विकल्प 3=[[छान्दोग्य उपनिषद]] से |विकल्प 4=उपर्युक्त में से कोई नहीं|विवरण=यह उपनिषद अथर्ववेदीय शौनकीय शाखा से सम्बन्धित है। इसमें अक्षर-ब्रह्म ': का विशद विवेचन किया गया है। इसे मन्त्रोपनिषद नाम से भी पुकारा जाता है। इसमें तीन मुण्डक हैं और प्रत्येक मुण्डक के दो-दो खण्ड हैं तथा कुल चौंसठ मन्त्र हैं। 'मुण्डक' का अर्थ है- मस्तिष्क को अत्यधिक शक्ति प्रदान करने वाला और उसे अविद्या-रूपी अन्धकार से मुक्त करने वाला। इस उपनिषद में महर्षि [[अंगिरा]] ने शौनक को 'परा-अपरा' विद्या का ज्ञान कराया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[मुण्डकोपनिषद]]}}
- (1828)
- (1830)
 
{हिन्दी के किस समाचार-पत्र में 'खड़ीबोली' को 'मध्यदेशीय भाषा' कहा गया है?
|type="()"}
+ बनारस अखबार
- सुधाकर
- बुद्धिप्रकाश
- उदंत मार्तण्ड
 
{'गाथा' (गाहा) कहने से किस लोक प्रचलित काव्यभाषा का बोध होता है?
|type="()"}
- [[पालि भाषा|पालि]]
+ '[[प्राकृत]]
- अपभ्रंश
- [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]]
|| प्राकृत भाषा भारतीय आर्यभाषा का एक प्राचीन रूप है। इसके प्रयोग का समय 500 ई.पू. से 1000 ई. सन तक माना जाता है। धार्मिक कारणों से जब [[संस्कृत]] का महत्व कम होने लगा तो प्राकृत भाषा अधिक व्यवहार में आने लगी। इसके चार रूप विशेषत: उल्लेखनीय हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[प्राकृत|प्राकृत भाषा]]
 
 
 
{सिद्धों की उद्धृत रचनाओं की काव्य भाषा है?
|type="()"}
+ देशभाषा मिश्रित अपभ्रंश अर्थात् पुरानी हिन्दी
- प्राकृत भाषा
- अवहट्ठ भाषा
- [[पालि भाषा]]
 
{अपभ्रंश भाषा के प्रथम व्याकरणाचार्य थे?
|type="()"}
- [[पाणिनि]]
- [[कात्यायन]]
+ [[हेमचन्द्र]]
- [[पतंजलि]]
{'जो जिण सासण भाषियउ सो मई कहियउ सार। जो पालइ सइ भाउ करि सो तरि पावइ पारु॥' इस दोहे के रचनाकार का नाम है?
|type="()"}
- स्वयभू
+ [[देवसेन]]
- पुष्यदन्त
- कनकामर
 
{प्रादेशिक बोलियाँ के साथ [[ब्रज]] या मध्य देश की भाषा का आश्रय लेकर एक सामान्य साहित्यिक भाषा स्वीकृत हुई, जिसे चारणों ने नाम दिया?
|type="()"}
- डिंगल भाषा
- मेवाड़ी भाषा
- मारवाड़ी भाषा
+ पिंगल भाषा
 
 
{अपभ्रंश के योग से [[राजस्थानी भाषा]] का जो साहित्यिक रुप बना, उसे कहा जाता है?
|type="()"}
- पिंगल भाषा
+ डिंगल भाषा
- मेवाड़ी भाषा
- बाँगरु भाषा
 
{[[अमीर ख़ुसरो]] ने जिन मुकरियों, पहेलियों और दो सुखनों की रचना की है, उसकी मुख्य भाषा है?
|type="()"}
- दक्खिनी
+ खड़ीबोली
- बुन्देली
- बघेली
 
{'एक नगर पिया को भानी। तन वाको सगरा ज्यों पानी।' यह पंक्ति किस भाषा की है?
|type="()"}
+ [[ब्रजभाषा]]
- खड़ीबोली भाषा
- अपभ्रंश भाषा
- कन्नौजी भाषा
||[[ब्रजभाषा]] मूलत: ब्रजक्षेत्र की बोली है। विक्रम की 13वीं शताब्दी से लेकर 20वीं शताब्दी तक भारत में साहित्यिक भाषा रहने के कारण [[ब्रज]] की इस जनपदीय बोली ने अपने विकास के साथ भाषा नाम प्राप्त किया और ब्रजभाषा नाम से जानी जाने लगी। शुद्ध रूप में यह आज भी [[मथुरा]], [[आगरा]], [[धौलपुर]] और अलीगढ़ जिलों में बोली जाती है। इसे हम केंद्रीय ब्रजभाषा भी कह सकते हैं। आधुनिक ब्रजभाषा 1 करोड़ 23 लाख जनता के द्वारा बोली जाती है और लगभग 38,000 वर्गमील के क्षेत्र में फैली हुई है। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[ब्रजभाषा]]
 
{किस भाषा को वैज्ञानिक ने [[बिहारी भाषाएँ|बिहारी]] और [[मैथिली भाषा|मैथिली]] मागधी से निकली होने के कारण हिन्दी से पृथक् माना है?
|type="()"}
- हार्नले
+ सुनीति कुमार चटर्जी
- जॉर्ज ग्रियर्सन
- धीरेन्द्र वर्मा
 
{[[देवनागरी लिपि]] को राष्ट्रलिपि के रूप में कब स्वीकार किया गया था??
|type="()"}
+([[14 सितम्बर]], [[1949]])
- ([[21 सितम्बर]], 1949)
- ([[23 सितम्बर]], 1949)
- ([[25 सितम्बर]], 1949)
 
{'रानी केतकी की कहानी' की भाषा को कहा जाता है?
|type="()"}
- हिन्दुस्तानी
+ खड़ीबोली
- [[उर्दू भाषा|उर्दू]]
- अपभ्रंश
 
{[[देवनागरी लिपि]] का विकास किस लिपि से हुआ है?
|type="()"}
- [[खरोष्ठी लिपि]]
- कुटिल लिपि
+ [[ब्राह्मी लिपि]]
- गुप्तकाल की लिपि
||[[चित्र:Devnagari-Lipi.jpg|thumb|200px|[[अशोक]] की ब्राह्मी लिपि के अक्षर]] प्राचीन ब्राह्मी लिपि के उत्कृष्ट उदाहरण सम्राट [[अशोक]] (असोक) द्वारा ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी में बनवाये गये शिलालेखों के रूप में अनेक स्थानों पर मिलते है । नये अनुसंधानों के आधार 6 वीं शताब्दी ईसा पूर्व के लेख भी मिले है। ब्राह्मी भी [[खरोष्ठी]] की तरह ही पूरे [[एशिया]] में फैली हुई थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[ब्राह्मी लिपि]]
 
{'बाँगरू' बोली का किस बोली से निकट सम्बन्ध है?
|type="()"}
- कन्नौजी
- बुन्देली
- [[ब्रजभाषा]]
+खड़ीबोली
 
{मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषाओं का स्थिति काल रहा है?
|type="()"}
- (1500 ई.पू. से 500 ई.पू.)
- (1000 ई.पू. से 500 ई.पू.)
- (500 ई.पू. से 600 ई.पू.)]
+ (500 ई.पू. से 1000 ई.पू.)
 
{'प्राचीन देशभाषा' (पूर्व अपभ्रंश) को 'अपभ्रंश' तथा परवर्ती अर्थात् अग्रसरीभूत अपभ्रंश को 'अवहट्ठ' किस भाषा वैज्ञानिक ने कहा है?
|type="()"}
- ग्रियर्सन
- भोलानाथ तिवारी
+सुनीतिकुमार चटर्जी एवं सुकुमार सेन
-उदयनारायण तिवारी
 
{अर्द्धमागधी अपभ्रंश से इनमें से किस बोली का विकास हुआ है?
|type="()"}
- पश्चिमी
- [[बिहारी भाषाएँ|बिहारी]]
- [[बांग्ला भाषा|बंगाली]]
+ [[बांग्ला भाषा|बंगाली]]
 
{कामताप्रसाद गुरु का हिन्दी व्याकरण विषयक ग्रंथ, जो नागरी प्रचारिणी सभा, काशी से प्रकाशित हुआ था, उसका नाम था?
|type="()"}
- [[हिन्दी]] का सरल व्याकरण
- हिन्दी का प्रामाणिक व्याकरण
+ हिन्दी व्याकरण
- हिन्दी का व्यावहारिक व्याकरण
 
{[[देवनागरी लिपि]] है?
|type="()"}
- वर्णात्मक
- वर्णात्मक और अक्षरात्मक दोनों
+ अक्षरात्मक
-इनमें से कोई नहीं
 
{विद्यापति की उस प्रमुख रचना का नाम बताइए, जिसमें 'अवहट्ठ' भाषा का बहुतायत से प्रयोग हुआ है?
|type="()"}
- कीर्तिपताका
+ कीर्तिलता
- विद्यापति पदावली
-पुरुष परीक्षा
 
{जॉर्ज ग्रियर्सन ने पश्चिमोत्तर समुदाय की भाषा को आधुनिक भारतीय आर्यभाषाओं की किस उपशाखा में रखा है?
|type="()"}
- भीतरी उपशाखा
+ बाहरी उपशाखा
- मध्यवर्गीय उपशाखा
-इनमें से कोई नहीं
 
{[[उर्दू भाषा|उर्दू]] किस भाषा का मूल शब्द है?
|type="()"}
+ तुर्की भाषा''
- ईरानी भाषा
- [[अरबी भाषा]]
-[[फ़ारसी भाषा]]
 
{'साहित्य का इतिहास दर्शन' ग्रंथ के लेखक का नाम है?
|type="()"}
- डॉ. श्यामसुन्दर दास
-आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
+ डॉ. नलिन विलोचन शर्मा
-डॉ. गुलाब राय
 
{आचार्य रामचन्द्र शुक्ल कृत 'हिन्दी साहित्य का इतिहास' की अधिकांश सामग्री पुस्तकाकार प्रकाशन के पूर्व 'हिन्दी शब्द- सागर की भूमिका में छपी थी। इस भूमिका में उसका शीर्षक था?
|type="()"}
- [[हिन्दी]] साहित्य का उद्भव और विकास
+हिन्दी साहित्य का विकास
- हिन्दी साहित्य का विकासात्मक इतिहास
-हिन्दी साहित्य की विकास यात्रा
 
{जॉर्ज ग्रियर्सन का इतिहास ग्रन्थ 'मॉडर्न वर्नाक्युलर लिटरेचर ऑफ़ नॉदर्न हिन्दुस्तान' का प्रकाशन हुआ था?
|type="()"}
-([[1887]])
+([[1888]])
-([[1889]])
-([[1890]])
 
 
{"जिस कालखण्ड के भीतर किसी विशेष ढंग की रचनाओं की प्रचुरता दिखाई पड़ी है, वह एक अलग काल माना गया है और उसका नामकरण उन्हीं रचनाओं के अनुसार किया गया है" यह मान्यता किस इतिहासकार की है? 
|type="()"}
-डॉ. श्यामसुन्दर दास
+आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
-डॉ. हजारीप्रसाद द्विवेदी
-डॉ. रामविलास शर्मा
 
{आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी के उस इतिहास ग्रंथ का नाम बतलाइए जिसमें मात्र आदिकालीन हिन्दी साहित्य सम्बन्धी सामग्री संग्रहीत है?
|type="()"}
-[[हिन्दी]] साहित्य की भूमिका
-हिन्दी साहित्य: उद्भव और विकास
-मध्यकालीन धर्मसाधना)
+हिन्दी साहित्य का आदिकाल
 
{आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने किन दो प्रमुख तथ्यों को ध्यान में रखकर 'हिन्दी साहित्य के इतिहास' के काल खण्डों का नामकरण किया है?
|type="()"}
-ग्रंथों की प्रसिद्धि
+ग्रंथों की प्रचुरता एवं ग्रंथों की प्रसिद्धि
-ग्रंथों की उपलब्धता
-रचनाकारों की संख्या
 
{इनमें किस इतिहासकार ने सर्वप्रथम रीतिकालीन कवियों के सर्वाधिक परिचयात्मक विवरण दिए है?
|type="()"}
-डॉ. विश्वनाथ प्रसाद मिश्र
-डॉ. नगेन्द्र
-डॉ.रामशंकर शुक्ल 'रसाल'
+मिश्रबन्धु
 
{'हिन्दी साहित्य का अतीत: भाग- एक' के लेखक का नाम है?
|type="()"}
-आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी
+डॉ. विश्वनाथ प्रसाद मिश्र
-डॉ. माताप्रसाद गुप्त
-डॉ. विद्यानिवास मिश्र
 
 
{प्रेम लक्षणा भक्ति को किस भक्ति शाखा ने अपनी साधना का मुख्य आधार बनाया है?
|type="()"}
-रामभक्ति शाखा
-ज्ञानाश्रयी शाखा
+कृष्णभक्ति शाखा
-प्रेममार्गी शाखा
 
{मनुष्यत्व की सामान्य भावना को आगे करके निम्न श्रेणी की जनता में आत्म- गौरव का भाव जगाने वाले सर्वश्रेष्ठ कवि थे?
|type="()"}
-[[तुलसीदास]]
+[[कबीर]]
-[[जायसी]]
-[[सूरदास]]
||महात्मा कबीरदास के जन्म के समय में [[भारत]] की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं धार्मिक दशा शोचनीय थी। एक तरफ मुसलमान शासकों की धर्मांन्धता से जनता परेशान थी और दूसरी तरफ हिन्दू धर्म के कर्मकांड, विधान और पाखंड से धर्म का ह्रास हो रहा था। जनता में भक्ति- भावनाओं का सर्वथा अभाव था। पंडितों के पाखंडपूर्ण वचन समाज में फैले थे। ऐसे संघर्ष के समय में, कबीरदास का प्रार्दुभाव हुआ।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[सूरदास]]
 
{'हंस जवाहिर' रचना किस सूफी कवि द्वारा रची गई थी?
|type="()"}
-मंझन
-कुतुबन
-उसमान
+क़ासिमशाह
 
 
{'देखन जौ पाऊँ तौ पठाऊँ जमलोक हाथ, दूजौ न लगाऊँ, वार करौ एक कर को।' ये पंक्तियाँ किस कवि द्वारा सृजित हैं?
|type="()"}
-ह्रदयराम
-अग्रदास
-[[तुलसीदास]]
+नाभादास
 
{'[[भक्तमाल]]' भक्तिकाल के कवियों की प्राथमिक जानकारी देता है, इसके रचयिता थे?
|type="()"}
-[[वल्लभाचार्य]]
+नाभादास
-रामानन्द
-नन्ददास
 
 
{आचार्य विश्वनाथ प्रसाद मिश्र ने रीतिकाल को 'श्रृंगारकाल' नाम दिया, लेकिन उन्होंने इस पर जो ग्रंथ लिखा, उसका नाम 'हिन्दी का श्रृंगारकाल' नहीं है, बल्कि उसका नाम है?
|type="()"}
-रीतिकाव्य की भूमिका
-रीतिकाव्य की पृष्ठभूमि
-रीतिकाव्य की प्रस्तावना
+हिन्दी साहित्य का अतीत, भाग -2
 
{'भारत मित्र' पत्र (जो [[कलकत्ता]] से स. [[1934]] वि. में प्रकाशित हुआ था) के एक सम्पादक थे?
|type="()"}
-तोताराम
+रुद्रदत्त शर्मा
-[[कन्हैयालाल नंदन|कन्हैयालाल]]
-बल्देव प्रसाद
 
 
{'हरिश्चन्द्री हिन्दी' शब्द का प्रयोग किस इतिहासकार ने अपने इतिहास ग्रंथ में किया है?
|type="()"}
-मिश्रबंधु
-शिवसिंह 'सेंगर'
+रामचन्द्र शुक्ल
-रामविलास शर्मा
 
 
{'गिला' कहानी के लेखक का नाम है?
|type="()"}
+[[मुंशी प्रेमचंद|प्रेमचन्द्र]]
-यशपाल
-अज्ञेय
-निर्मल वर्मा
[[भारत]] के उपन्यास सम्राट '''मुंशी प्रेमचंद''' (जन्म- [[31 जुलाई]], [[1880]] - मृत्यु- [[8 अक्टूबर]], [[1936]]) के युग का विस्तार सन 1880 से 1936 तक है। यह कालखण्ड भारत के इतिहास में बहुत महत्त्व का है। इस युग में भारत का स्वतंत्रता-संग्राम नई मंज़िलों से गुज़रा। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[प्रेमचंद]]
 
 
{'मेवाड़ की पन्ना नामक धाय के अलौकिक त्याग का ऐतिहासिक वृत्त लेकर 'राजमुकुट' नाटक की रचना की गई थी, इस नाटक के लेखक का नाम है?
|type="()"}
-हरिकृष्ण प्रेमी
-लक्ष्मीनारायण मिश्र
-उदयशंकर भट्ट
+[[गोविंद बल्लभ पंत]]
||[[चित्र:Pandit-Govind-Ballabh-Pant.jpg|thumb|[[गोविंद बल्लभ पंत]]<br /> Govind Ballabh Pant]] <small><sub>(10 सितम्बर , 1887 -  7 मार्च, 1961)</sub></small> <br /> गोविंद बल्लभ पंत प्रसिद्ध स्वतन्त्रता सेनानी और [[उत्तर प्रदेश]] के प्रथम मुख्यमंत्री थे। गोविंद वल्लभ पंत जी अगस्त 15, 1947 - मई 27, 1964 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। अपने संकल्प और साहस के मशहूर पंत जी का जन्म वर्तमान [[उत्तराखंड]] राज्य के [[अल्मोड़ा ज़िला|अल्मोडा ज़िले]] के खूंट (धामस) नामक गाँव में हुआ था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[गोविंद बल्लभ पंत]]
 
{डॉ. कृष्ण शंकर शुक्ल ने आचार्य [[केशवदास]] पर एक समीक्षात्मक पुस्तक लिखी थी, उस पुस्तक का नाम है?
|type="()"}
-केशव का आचार्यत्व
-केशव की प्रतिभा
-केशव की कला
+केशव की काव्यकला
 
{'गंगावतरण' काव्य के रचियता हैं?
|type="()"}
-अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
+जगन्नाथदास 'रत्नाकर
-श्रीधर पाठक
-रामनरेश त्रिपाठी
 
 
{छायावादी कवियों ने जब आध्यात्मिक प्रेम को अपनी कविताओं में व्यक्त किया तो ऐसी कविताओं को किस वाद के अंतर्गत रखा गया है?=====
|type="()"}
-छायावाद
-प्रतीकवाद
+रहस्यवाद
-बिम्बवाद
 
{'परिवर्तन' नामक कविता सर्वप्रथम सुमित्रानन्दन पंत के किस कविता संग्रह में संगृहीत हुई है?
|type="()"}
-वीणा
+पल्लव
-तारापथ
-ग्रंथि
 
{भिखारीदास की रचना का नाम है?
|type="()"}
+काव्य निर्णय
-काव्य विवेक
-भाव विलास
-नवरस तरंग
 
 
{उन्नीसवीं सदी की साहित्य- सर्जना का मूल हेतु है?
|type="()"}
-ईसाई विरोध
-मुस्लिम विरोध
+पराधीनता का बोध
-परमाणु परीक्षण
 
{'यह प्रेम को पंथ कराल महा तलवार की धार पै धावनी है', नामक पंक्ति किस कवि द्वारा सृजित है?
|type="()"}
-घनानंद
+बोधा
-आलम
-ठाकुर
 
{आचार्य [[केशवदास]] को 'कठिन काव्य का प्रेत' किस आलोचक ने कहा है?
|type="()"}
-आचार्य पद्मसिंह शर्मा
-आचार्य नंददुलारे बाजपेयी
-आचार्य विश्वनाथप्रसाद मिश्र
+आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
 
{बूँदी नरेश महाराज भावसिंह का आश्रित कवि निम्नलिखित में से कौन था?
|type="()"}
-बिहारी
-बोधा
+मतिराम
-ठाकुर
 
{भूषण का निम्नलिखित में से कौन सा लक्षण ग्रंथ है?
|type="()"}
+शिवराज भूषण
-भूषण हजारा
-शिवा बावनी
-छत्रसाल दशक
 
{निम्नलिखित में से किस रचना की सर्वाधिक टीकाएँ लिखी गई हैं?
|type="()"}
-मतिराम सतसई
+बिहारी सतसई
-वृन्द सतसई
-विक्रम सतसई
 
{इनमें किस नाटककार ने अपने नाटकों के लिए रंगमंच को अनिवार्य नहीं माना है?
|type="()"}
-डॉ. रामकुमार वर्मा
-सेठ गोविन्ददास
-लक्ष्मीनारायण मिश्र
+[[जयशंकर प्रसाद]]
||महाकवि जयशंकर प्रसाद (जन्म- [[30 जनवरी]], [[1889]] ई.,[[वाराणसी]], [[उत्तर प्रदेश]], मृत्यु- [[15 नवम्बर]], सन [[1937]]) हिंदी नाट्य जगत और कथा साहित्य में एक विशिष्ट स्थान रखते हैं। कथा साहित्य के क्षेत्र में भी उनकी देन महत्त्वपूर्ण है। '''भावना-प्रधान कहानी लिखने वालों में जयशंकर प्रसाद अनुपम थे।'''{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[जयशंकर प्रसाद]]}}
 
{'प्रभातफेरी' काव्य के रचनाकार कौन हैं?
|type="()"}
-केदारनाथ सिंह
-सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'
+नरेन्द्र शर्मा
-[[रामधारी सिंह दिनकर|रामधारी सिंह 'दिनकर']]
 
 
{'निशा -निमंत्रण के रचनाकार कौन हैं?
|type="()"}
-[[महादेवी वर्मा]]
-श्यामनारायण पाण्डेय
-[[जयशंकर प्रसाद]]
+हरिवंशराय 'बच्चन
 
{ 'बिहारी सतसई' पर किस ग्रंथ का सर्वाधिक प्रभाव पड़ा है?
|type="()"}
+गाथा सप्तशती
-अमरूफ शतक
-आर्या सप्तशती
-उपर्युक्त में किसी का नहीं
 
 
{ 'बिहारी सतसई' की प्रसिद्धि का प्रमुख कारण है?
|type="()"}
+कल्पना की समाहार शक्ति
-नायिका -भेद वर्णन
-प्रतीकों का नपा -तुला प्रयोग
-पिंगल वर्णन
 
{ बिहारी किस राजा के दरबारी कवि थे?
|type="()"}
-बूँदी नरेश महाराज भावसिंह के
+[[जयपुर]] नरेश [[जयसिंह]] के
-[[नागपुर]] के[[सूर्यवंश|सूर्यवंशी]] भोंसला मकरन्द शाह के
-चित्रकूट नरेश रुद्रदेव के
||आमेर नरेश मिर्जा [[जयसिंह]] [[मुग़ल काल|मुग़ल]] दरबार का सर्वाधिक प्रभावशाली सामंत था, वह [[औरंगजेब]] की आँख का काँटा बना हुआ था। जिस समय दक्षिण में [[शिवाजी]] के विजय−अभियानों की घूम थी, और उनसे युद्ध करने में अफजलख़ाँ एवं शाइस्ताख़ाँ की हार हुई थी, तथा राजा [[यशवंतसिंह]] को भी सफलता मिली थी; तब [[औरंगजेब]] ने मिर्जा राजा जयसिंह को शिवाजी को दबाने के लिए भेजा था। इस प्रकार वह एक तीर से दो शिकार करना चाहता था। जयसिंह ने बड़ी बुद्धिमत्ता, वीरता और कूटनीति से [[शिवाजी]] को औरंगजेब से संधि करने के लिए राजी किया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[जयसिंह]]
 
{[[तुलसीदास]] का वह ग्रंथ कौनसा है, जिसमें ज्योतिष का वर्णन किया गया है?
|type="()"}
-दोहावली
-गीतावली
+रामाज्ञा प्रश्नावली
-कवितावली
 
{'[[रामचरितमानस]]' में प्रधान रस के रूप में किस रस को मान्यता मिली है?
|type="()"}
-शांत रस
+भक्ति रस
-वात्सल्य रस
-अद्भुत रस
 
 
{'समांतर कहानी' के प्रवर्तक कौन थे?
|type="()"}
+कमलेश्वर
-हिमांशु जोशी
-मोहन राकेश
-मन्मथनाथ गुप्त
 
 
{सर्वप्रथम किस आलोचक ने अपने किस ग्रंथ में 'देव बड़े हैं कि बिहारी' विवाद को जन्म दिया?
|type="()"}
+मिश्रबंधु : हिन्दी नवरत्न
-पद्मसिंह शर्मा : बिहारी सतसई की भूमिका
-कृष्ण बिहारी मिश्र : देव और बिहारी
-लाला भगवान दीन : बिहारी और देव
 
{इनमें किस आलोचक ने अपना कौन सा आलोचना ग्रंथ लिखकर हिन्दी के स्नातकोत्तर कक्षाओं के पाठ्यक्रम में आलोचना के अभाव को पूरा करने का सर्वप्रथम सफल प्रयास किया था?
|type="()"}
-पदुमलाल पन्नालाल बख्ती : विश्व साहित्यविकल्प
-गयाप्रसाद अग्निहोत्री : समालोचना
-रामचन्द्र शुक्ल : चिंतामणि
+श्यामसुन्दर दास : साहित्यालोचन
 
 
{आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने 'त्रिवेणी' में किन तीन महाकवियों की समीक्षाएँ प्रस्तुत की हैं?
|type="()"}
-[[कबीर]], [[जायसी]], [[सूरदास|सूर]]
-[[कबीर]], [[जायसी]], [[तुलसीदास|तुलसी]]
+[[सूरदास|सूर]], [[तुलसीदास|तुलसी]], [[जायसी]]
-[[कबीर]], [[सूरदास|सूर]], [[तुलसीदास|तुलसी]]
||सूरदास हिन्दी साहित्य में [[भक्तिकाल]] में [[कृष्ण]] भक्ति के भक्त कवियों में महाकवि सूरदास का नाम अग्रणी है। सूरदास जी वात्सल्य रस के सम्राट माने जाते हैं। उन्होंने श्रृंगार और शान्त रसों का भी बड़ा मर्मस्पर्शी वर्णन किया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[सूरदास]]तुलसीदास;गोस्वामी तुलसीदास [1497(1532?) - 1623] एक महान कवि थे। उनका जन्म राजापुर, (वर्तमान बाँदा ज़िला) [[उत्तर प्रदेश]] में हुआ था। तुलसीदास द्वारा रचित ग्रंथों की संख्या 39 बताई जाती है। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[तुलसीदास]]
;मलिक मुहम्मद जायसी
मलिक मुहम्मद जायसी (जन्म- 1397 ई॰ और 1494 ई॰ के बीच, मृत्यु- 1542 ई.) भक्ति काल की निर्गुण प्रेमाश्रयी धारा व मलिक वंश के कवि है। जायसी अत्यंत उच्चकोटि के सरल और उदार सूफ़ी महात्मा थे। हिन्दी के प्रसिद्ध सूफ़ी कवि, जिनके लिए केवल 'जायसी' शब्द का प्रयोग भी, उनके उपनाम की भाँति, किया जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[मलिक मुहम्मद जायसी]]
 
{भक्तिकाल में एक ऐसा कवि हुआ, जिसने अपने भाव व्यक्त करने के लिए उर्दू, फारसी, खड़ीबोली आदि के शब्दों का मुक्त उपयोग किया है?
|type="()"}
-[[तुलसीदास]]
-[[जायसी]]
-[[सूरदास]]
+[[कबीर]]
||महात्मा कबीरदास के जन्म के समय में [[भारत]] की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं धार्मिक दशा शोचनीय थी। एक तरफ मुसलमान शासकों की धर्मांन्धता से जनता परेशान थी और दूसरी तरफ हिन्दू धर्म के कर्मकांड, विधान और पाखंड से धर्म का ह्रास हो रहा था। जनता में भक्ति- भावनाओं का सर्वथा अभाव था। पंडितों के पाखंडपूर्ण वचन समाज में फैले थे। ऐसे संघर्ष के समय में, कबीरदास का प्रार्दुभाव हुआ।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[कबीरदास]]
 
{'समांतर कहानी' के प्रवर्तक कौन थे?
|type="()"}
+कमलेश्वर
-हिमांशु जोशी
-मोहन राकेश
-मन्मथनाथ गुप्त
 
 
{आचार्य शुक्ल के अनुसार इनमें एक ऐसा कवि है, जिसका 'वियोग वर्णन, वियोग वर्णन के लिए ही है, परिस्थिति के अनुरोध से नहीं'?
|type="()"}
+[[कबीर]]
-[[सूरदास]]
-[[जायसी]]
-[[तुलसी]]
 
 
{'सुन्दर परम किसोर बयक्रम चंचल नयन बिसाल। कर मुरली सिर मोरपंख पीतांबर उर बनमाल॥ ये पंक्तियाँ किस रचनाकार की हैं? 
|type="()"}
-[[बिहारी लाल|बिहारी]]
-[[केशवदास]]
-[[तुलसीदास]]
+[[सूरदास]]
||हिन्दी साहित्य में [[भक्तिकाल]] में [[कृष्ण]] भक्ति के भक्त कवियों में महाकवि सूरदास का नाम अग्रणी है। सूरदास जी वात्सल्य रस के सम्राट माने जाते हैं। उन्होंने श्रृंगार और शान्त रसों का भी बड़ा मर्मस्पर्शी वर्णन किया है। उनका जन्म 1478 ईस्वी में [[मथुरा]] [[आगरा]] मार्ग पर स्थित [[रुनकता]] नामक गांव में हुआ था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[सूरदास]]
 
{[[भक्तिकाल]] का एक कवि अवतारवाद और मूर्तिपूजा का विरोधी है. इसके बावजूद वह हिन्दूओं के जन्म-मृत्यु सम्बन्धी सिद्धांत को मानता है, ऐसा रचनाकार है?
|type="()"}
-[[जायसी]]
+[[कबीर]]
-[[तुलसीदास]]
-[[कुम्भनदास]]


{भक्तिकालीन कवियों में एक ऐसा ख्यातिलब्ध रचनाकार है जो अपने काव्य में लोकव्यापी प्रभाव वाले कर्म और लोकव्यापिनी दशाओं के वर्णन में माहिर है. ऐसे रचनाकार का नाम है?
=====उत्तर वैदिक कालीन ग्रंथों की रचना लगभग 1000 ई. पू.-600 ई. पू. के मध्य किन स्थानों पर की गई?=====
|type="()"}
{{Opt|विकल्प 1=सैन्धव घाटी के मैदान में |विकल्प 2=आर्यावर्त के मैदान में|विकल्प 3=गंगा के उत्तरी मैदान में|विकल्प 4=मध्य एशिया के मैदान में}}{{Ans|विकल्प 1=सैन्धव घाटी के मैदान में|विकल्प 2=आर्यावर्त के मैदान में |विकल्प 3='''गंगा के उत्तरी मैदान में'''{{Check}} |विकल्प 4=मध्य एशिया के मैदान में|विवरण=}}
-[[जायसी]]
====='सभा और समिति प्रजापति की दो पुत्रियाँ थीं' का उल्लेख किस ग्रंथ में मिलता है?=====
-[[सूरदास]]
{{Opt|विकल्प 1=ऋग्वेद में |विकल्प 2=अथर्ववेद में|विकल्प 3=यजुर्वेद में|विकल्प 4=सामवेद में}}{{Ans|विकल्प 1=[[ऋग्वेद]] में|विकल्प 2='''[[अथर्ववेद]]'''{{Check}} में |विकल्प 3=[[यजुर्वेद]] में |विकल्प 4=[[सामवेद]] में|विवरण=[[चित्र:Atharvaveda.jpg|thumb|150px|अथर्ववेद का आवरण पृष्ठ]]
+[[तुलसीदास]]
-रविदास
||गोस्वामी तुलसीदास [1497(1532?) - 1623] एक महान कवि थे। उनका जन्म राजापुर, (वर्तमान बाँदा ज़िला) [[उत्तर प्रदेश]] में हुआ था। तुलसी का बचपन बड़े कष्टों में बीता। माता-पिता दोनों चल बसे और इन्हें भीख मांगकर अपना पेट पालना पड़ा था। इसी बीच इनका परिचय राम-भक्त साधुओं से हुआ और इन्हें ज्ञानार्जन का अनुपम अवसर मिल गया। पत्नी के व्यंग्यबाणों से विरक्त होने की लोकप्रचलित कथा को कोई प्रमाण नहीं मिलता। अपने जीवनकाल में तुलसीदास जी ने 12 ग्रन्थ लिखे और उन्हें [[संस्कृत]] विद्वान होने के साथ ही हिन्दी भाषा के प्रसिद्ध और सर्वश्रेष्ट कवियों में एक माना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[तुलसीदास]]


{'जायसी -ग्रंथावली' के सम्पादक का नाम है?
अथर्ववेद की भाषा और स्वरूप के आधार पर ऐसा माना जाता है कि इस [[वेद]] की रचना सबसे बाद में हुई। अथर्ववेद के दो पाठों (शौनक और पैप्पलद) में संचरित हुए लगभग सभी स्तोत्र ॠग्वेदीय स्तोत्रों के छदों में रचित हैं। दोनो वेदों में इसके अतिरिक्त अन्य कोई समानता नहीं है। अथर्ववेद मे दैनिक जीवन से जुड़े तांत्रिक धार्मिक सरोकारों को व्यक्त करता है, इसका स्वर [[ॠग्वेद]] के उस अधिक पुरोहिती स्वर से भिन्न है, जो महान [[देवता|देवों]] को महिमामंडित करता है और [[सोम रस|सोम]] के प्रभाव में कवियों की उत्प्रेरित दृष्टि का वर्णन करता है। [[यज्ञ|यज्ञों]] व देवों को अनदेखा करने के कारण वैदिक पुरोहित वर्ग इसे अन्य तीन वेदों के बराबर नहीं मानता था। इसे यह दर्जा बहुत बाद में मिला। इसकी भाषा ॠग्वेद की भाषा की तुलना में स्पष्टतः बाद की है और कई स्थानों पर ब्राह्मण ग्रंथों से मिलती है। अतः इसे लगभग 1000 ई.पू. का माना जा सकता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[अथर्ववेद]]}}
|type="()"}
=====उत्तर वैदिक कालीन ग्रंथों में किस आश्रम का उल्लेख नहीं मिलता?=====
-डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल
{{Opt|विकल्प 1=संन्यास |विकल्प 2=ब्रह्मचर्य|विकल्प 3=गृहस्थ|विकल्प 4=वानप्रस्थ}}{{Ans|विकल्प 1='''संन्यास'''{{Check}}|विकल्प 2=ब्रह्मचर्य |विकल्प 3=गृहस्थ |विकल्प 4=वानप्रस्थ|विवरण=}}
-चन्द्रबली पाण्डेय
====='गायत्री मंत्र' किस [[वेद]] से लिया गया है?=====
-डॉ. भगवतीप्रसाद सिंह
{{Opt|विकल्प 1=ऋग्वेद |विकल्प 2=सामवेद|विकल्प 3=यजुर्वेद|विकल्प 4=अथर्ववेद}}{{Ans|विकल्प 1='''[[ऋग्वेद]]'''{{Check}}|विकल्प 2=[[सामवेद]] |विकल्प 3=[[यजुर्वेद]] |विकल्प 4=[[अथर्ववेद]]|विवरण=}}
+रामचन्द्र शुक्ल
=====[[वेद|वेदों]] को 'अपौरुषेय' क्यों कहा जाता है?=====
 
{{Opt|विकल्प 1=क्योंकि वेदों की रचना देवताओं द्वारा की गई है |विकल्प 2=क्योंकि वेदों की रचना पुरुषों द्वारा की गई है|विकल्प 3=क्योंकि वेदों की रचना ऋषियों द्वारा की गई है|विकल्प 4=उपर्युक्त में से कोई नहीं}}{{Ans|विकल्प 1='''क्योंकि वेदों की रचना देवताओं द्वारा की गई है'''{{Check}}|विकल्प 2=क्योंकि वेदों की रचना पुरुषों द्वारा की गई है |विकल्प 3=क्योंकि वेदों की रचना ऋषियों द्वारा की गई है |विकल्प 4=उपर्युक्त में से कोई नहीं|विवरण=}}
{दोहा छन्द में श्रृंगारी रचना प्रस्तुत करने वालों में हिन्दी के सर्वाधिक ख्यातिलब्ध कवि हैं?
=====राष्ट्र एवं राजा शब्द का उल्लेख सर्वप्रथम कब हुआ?=====
|type="()"}
{{Opt|विकल्प 1=सैन्धव काल में |विकल्प 2=ऋग्वैदिक काल में|विकल्प 3=उत्तरवैदिक काल में|विकल्प 4=महाकाव्य में}}{{Ans|विकल्प 1=सैन्धव काल में|विकल्प 2=ऋग्वैदिक काल में |विकल्प 3='''उत्तरवैदिक काल में'''{{Check}} |विकल्प 4=महाकाव्य में|विवरण=}}
-[[रहीम]]
=====आर्यों के मूल निवास स्थान के बारे में सर्वाधिक मान्य मत कौन-सा है?=====
+[[बिहारी लाल|बिहारी]]
{{Opt|विकल्प 1=दक्षिणी रूस |विकल्प 2=मध्य एशिया में बैक्ट्रिया|विकल्प 3=भारत में सप्तसैन्धव प्रदेश|विकल्प 4=मध्य एशिया का पामीर क्षेत्र}}{{Ans|विकल्प 1=दक्षिणी रूस|विकल्प 2='''मध्य एशिया में बैक्ट्रिया'''{{Check}} |विकल्प 3=भारत में सप्तसैन्धव प्रदेश |विकल्प 4=मध्य एशिया का पामीर क्षेत्र|विवरण=}}
-[[भूषण]]
=====सर्वप्रथम चारों आश्रमों के विषय में जानकारी कहाँ से मिलती है?=====
-[[सूरदास]]
{{Opt|विकल्प 1=जाबालोपनिषद से |विकल्प 2=छान्दोग्य उपनिषद|विकल्प 3=मुण्डकोपनिषद से|विकल्प 4=कठोपनिषद से}}{{Ans|विकल्प 1='''[[जाबालोपनिषद]] से'''{{Check}}|विकल्प 2=[[छान्दोग्य उपनिषद]] से |विकल्प 3=[[मुण्डकोपनिषद]] से |विकल्प 4=[[कठोपनिषद]] से|विवरण=[[चित्र:Yajurveda.jpg|thumb|150px|यजुर्वेद का आवरण पृष्ठ]]
||हिन्दी साहित्य के रीति काल के कवियों में बिहारीलाल का नाम महत्वपूर्ण है। महाकवि बिहारीलाल का जन्म 1595 के लगभग [[ग्वालियर]] में हुआ। वे जाति के माथुर चौबे थे। उनके पिता का नाम केशवराय था। उनका बचपन [[बुंदेलखंड]] में कटा और युवावस्था ससुराल [[मथुरा]] में व्यतीत हुई।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[बिहारी लाल]]
[[यजुर्वेद|शुक्ल यजुर्वेद]] के इस उपनिषद में कुल छह खण्ड हैं।
 
#प्रथम खण्ड में भगवान [[बृहस्पति ऋषि|बृहस्पति]] और ऋषि [[याज्ञवल्क्य]] के संवाद द्वारा प्राण-विद्या का विवेचन किया गया है।
{'कंचन तन धन बरन बर रहयौ रंग मिलि रंग। जानी जाति सुबास ही केसरि लाई अंग॥ ये पंक्तियाँ किसकी हैं?
#द्वितीय खण्ड में [[अत्रि]] मुनि और याज्ञवल्क्य के संवाद द्वारा 'अविमुक्त' क्षेत्र को भृकुटियों के मध्य बताया गया है।
|type="()"}
#तृतीय खण्ड में ऋषि याज्ञवल्क्य द्वारा मोक्ष-प्राप्ति का उपाय बताया गया है।
-[[रहीम]]
#चतुर्थ खण्ड में विदेहराज [[जनक]] के द्वारा संन्यास के विषय में पूछे गये प्रश्नों का उत्तर याज्ञवल्क्य देते हैं।
-[[तुलसीदास|तुलसी]]
#पंचम खण्ड में अत्रि मुनि संन्यासी के यज्ञोपवीत, वस्त्र, भिक्षा आदि पर याज्ञवल्क्य से मार्गदर्शन प्राप्त करते हैं और
+[[बिहारी लाल|बिहारी]]
#षष्ठ खण्ड में प्रसिद्ध संन्यासियों आदि के आचरण की समीक्षा की गयी है और दिगम्बर परमंहस का लक्षण बताया गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[यजुर्वेद]] }}
-[[भूषण]]
 
 
{जलप्लावन भारतीय इतिहास की ऐसी प्राचीन घटना है जिसको आधार बनाकर छायावादी युग में एक महाकाव्य लिखा गया है. उसका नाम है?
|type="()"}
-लोकायतन
-[[कुरुक्षेत्र]]
+कामायनी
-चिताम्बरा
 
{'लहरे व्योम चूमती उठती। चपलाएं असंख्य नचती।' पंक्ति जयशंकर प्रसाद के किस रचना का अंश है?
|type="()"}
-लहर
-झरना
-आँसू
+कामायनी


{'नखत की आशा - किरन -समान\ ह्रदय के कोमल कवि की कांत।' पंक्ति किसकी लिखी हुई है?
====='गोत्र' व्यवस्था प्रचलन में कब आई?=====
|type="()"}
{{Opt|विकल्प 1=ऋग्वैदिक काल में |विकल्प 2=उत्तरवैदिक काल में|विकल्प 3=सैन्धव काल में|विकल्प 4=सूत्रकाल में}}{{Ans|विकल्प 1=ऋग्वैदिक काल में|विकल्प 2='''उत्तरवैदिक काल में'''{{Check}} |विकल्प 3=सैन्धव काल में |विकल्प 4=सूत्रकाल में|विवरण=}}
-[[सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला|सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला']]
=====[[ब्राह्मण ग्रंथ|ब्राह्मण ग्रंथों]] में सर्वाधिक प्राचीन कौन है?=====
+[[जयशंकर प्रसाद]]
{{Opt|विकल्प 1=ऐतरेय ब्राह्मण |विकल्प 2=शतपथ ब्राह्मण|विकल्प 3=पंचविंश ब्राह्मण|विकल्प 4=गोपथ ब्राह्मण}}{{Ans|विकल्प 1=[[ऐतरेय ब्राह्मण]]|विकल्प 2='''[[शतपथ ब्राह्मण]]'''{{Check}} |विकल्प 3=[[पंचविंश ब्राह्मण]] |विकल्प 4=[[गोपथ ब्राह्मण]]|विवरण=शतपथ ब्राह्मण शुक्ल यजुर्वेद के दोनों शाखाओं काण्व व माध्यन्दिनी से सम्बद्ध है। यह सभी ब्राह्मण ग्रन्थों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण ग्रन्थ है। इसके रचियता [[याज्ञवल्क्य]] को माना जाता है। शतपथ के अन्त में उल्लेख है- 'ष्आदिन्यानीमानि शुक्लानि यजूशि बाजसनेयेन याज्ञावल्येन ख्यायन्ते।' शतपथ ब्राह्मण में 14 काण्ड हैं जिसमें विभिन्न प्रकार के [[यज्ञ|यज्ञों]] का पूर्ण एवं विस्तृत अध्ययन मिलता हे। 6 से 10 काण्ड तक को शाण्डिल्य काण्ड कहते हैं। इसमें [[गांधार|गंधार]], कैकय और शाल्व जनपदों की विशेष चर्चा की गई है। अन्य काण्डों में [[आर्यावर्त]] के मध्य तथा पूर्वी भाग कुरू, [[पांचाल|पंचाल]], [[कोसल]], विदेह, सृजन्य आदि जनपदों का उल्लेख हैं। शतपथ ब्राह्मण में वैदिक [[संस्कृत]] के सारस्वत मण्डल से पूर्व की ओर प्रसार होने का संकेत मिलता है। शतपथ ब्राह्मण में यज्ञों को जीवन का सबसे महत्वपूर्ण कृत्य बताया गया है। [[अश्वमेध यज्ञ]] के सन्दर्भ में अनेक प्राचीन सम्राटों का उल्लेख है, जिसमें [[जनक]], [[दुष्यन्त]] और [[जनमेजय]] का नाम महत्वपूर्ण है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[शतपथ ब्राह्मण]]}}
-[[सुमित्रानंदन पंत]]
-[[महादेवी वर्मा]]


{'मौन, नाश, विध्वंस, अंधेरा। शून्य बना जो प्रकट अभाव।। पंक्ति किसके द्वारा लिखी गई?
=====षड्दर्शन का बीजारोपण किस काल में हुआ है?=====
|type="()"}
{{Opt|विकल्प 1=ऋग्वैदिक काल में |विकल्प 2=उत्तरवैदिक काल में|विकल्प 3=सैन्धव काल में|विकल्प 4=सूत्रकाल में}}{{Ans|विकल्प 1=ऋग्वैदिक काल में|विकल्प 2='''उत्तरवैदिक काल में'''{{Check}} |विकल्प 3=सैन्धव काल में |विकल्प 4=सूत्रकाल में|विवरण=}}
-[[सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला]]
=====[[जैन धर्म]] का वास्तविक संस्थापक किसे माना जाता है?=====
+[[जयशंकर प्रसाद]]
{{Opt|विकल्प 1=पार्श्वनाथ |विकल्प 2=ऋषभदेव|विकल्प 3=महावीर स्वामी|विकल्प 4=नेमिनाथ}}{{Ans|विकल्प 1=[[तीर्थंकर पार्श्वनाथ|पार्श्वनाथ]]|विकल्प 2=[[ॠषभनाथ तीर्थंकर|ऋषभदेव]] |विकल्प 3='''[[महावीर|महावीर स्वामी]]'''{{Check}} |विकल्प 4=[[नेमिनाथ तीर्थंकर|नेमिनाथ]]|विवरण=[[चित्र:Mahaveer.jpg|महावीर<br /> Mahaveer|thumb|150px]]
-[[सुमित्रानंदन पंत]]
'''वर्धमान महावीर''' या महावीर, [[जैन धर्म]] के प्रवर्तक भगवान श्री ऋषभनाथ (श्री आदिनाथ) की परम्परा में 24वें तीर्थंकर थे। इनका जीवन काल 599 ईसवी ,ईसा पूर्व से 527 ईस्वी ईसा पूर्व तक माना जाता है। जैन धर्म के चौबीसवें और अंतिम तीर्थंकर महावीर वर्धमान का जन्म [[वृज्जि]] गणराज्य की [[वैशाली]] नगरी के निकट कुण्डग्राम में हुआ था। इनके पिता सिद्धार्थ उस गणराज्य के राजा थे। कलिंग नरेश की कन्या यशोदा से महावीर का विवाह हुआ। किंतु 30 वर्ष की उम्र में अपने जेष्ठबंधु की आज्ञा लेकर इन्होंने घर-बार छोड़ दिया और तपस्या करके कैवल्य ज्ञान प्राप्त किया। महावीर ने पार्श्वनाथ के आरंभ किए तत्वज्ञान को परिमार्जित करके उसे [[जैन]] दर्शन का स्थायी आधार प्रदान किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[महावीर]]}}
-[[महादेवी वर्मा]]
||महाकवि जयशंकर प्रसाद (जन्म- [[30 जनवरी]], [[1889]] ई.,[[वाराणसी]], [[उत्तर प्रदेश]], मृत्यु- [[15 नवम्बर]], सन [[1937]]) हिंदी नाट्य जगत और कथा साहित्य में एक विशिष्ट स्थान रखते हैं। कथा साहित्य के क्षेत्र में भी उनकी देन महत्त्वपूर्ण है। '''भावना-प्रधान कहानी लिखने वालों में जयशंकर प्रसाद अनुपम थे।'''{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[जयशंकर प्रसाद]]


{'दुरित, दुःख, दैन्य न थे जब ज्ञात। पंक्ति अपरिचित जरा- मरण -भ्रू पात।।' पंक्ति के रचनाकार हैं?
=====जैन परम्परा के अनुसार [[जैन धर्म]] में कुल कितने तीर्थकर हुए हैं?=====
|type="()"}
{{Opt|विकल्प 1=(25) |विकल्प 2=(23)|विकल्प 3=(20)|विकल्प 4=(24)}}{{Ans|विकल्प 1=(25)|विकल्प 2=(23) |विकल्प 3=(20) |विकल्प 4='''(24)'''{{Check}}|विवरण=}}
-[[सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला]]
-[[जयशंकर प्रसाद]]
+[[सुमित्रानंदन पंत]]
-[[महादेवी वर्मा]]
||सुमित्रानंदन पंत हिन्दी साहित्य में छायावादी युग के चार स्तंभों में से एक है। सुमित्रानंदन पंत उस नये युग के प्रवर्तक के रूप में आधुनिक हिन्दी साहित्य में उदित हुए। सुमित्रानंदन पंत का जन्म [[20 मई]] [[1900]] में कौसानी, [[उत्तराखण्ड]], [[भारत]] में हुआ था। जन्म के छह घंटे बाद ही माँ को क्रूर मृत्यु ने छीन लिया। शिशु को उसकी दादी ने पाला पोसा। शिशु का नाम रखा गया गुसाई दत्त।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[सुमित्रानंदन पंत]]


{'काल का अकरुण भृकुटि -विलास। तुमारा ही परिहास।।' नामक पंक्ति पंत की किस कविता का अंश है?
====='राजगृह' में [[महावीर|महावीर स्वामी]] ने सर्वाधिक निवास किस ऋतु में किया?=====
|type="()"}
{{Opt|विकल्प 1=ग्रीष्म ऋतु |विकल्प 2=वर्षा ऋतु|विकल्प 3=शीत ऋतु|विकल्प 4=बसन्त ऋतु}}{{Ans|विकल्प 1=ग्रीष्म ऋतु|विकल्प 2='''वर्षा ऋतु'''{{Check}} |विकल्प 3=शीत ऋतु |विकल्प 4=बसन्त ऋतु|विवरण=}}
+परिवर्तन
=====[[जैन धर्म]] के पहले तीर्थंकर के रूप में किसे जाना जाता है?=====
-नौका विहार
{{Opt|विकल्प 1=महावीर स्वामी को |विकल्प 2=ऋषभदेव को|विकल्प 3=पार्श्वनाथ को|विकल्प 4=अजितनाथ को}}{{Ans|विकल्प 1=[[महावीर|महावीर स्वामी]] को|विकल्प 2='''[[ॠषभनाथ तीर्थंकर|ऋषभदेव]]'''{{Check}} को |विकल्प 3=[[तीर्थंकर पार्श्वनाथ|पार्श्वनाथ]] को |विकल्प 4=अजितनाथ को|विवरण=[[चित्र:Seated-Rishabhanath-Jain-Museum-Mathura-38.jpg|thumb|150px|आसनस्थ ऋषभनाथ<br /> Seated Rishabhanatha<br /> [[जैन संग्रहालय मथुरा|राजकीय जैन संग्रहालय]], [[मथुरा]]]]
-मौन निमंत्रण
*इनमें प्रथम तीर्थंकर ॠषभदेव हैं। [[जैन|जैन]] साहित्य में इन्हें प्रजापति, आदिब्रह्मा, आदिनाथ, बृहद्देव, पुरुदेव, नाभिसूनु और वृषभ नामों से भी समुल्लेखित किया गया है।
-ओ रहस्य
*युगारंभ में इन्होंने प्रजा को आजीविका के लिए कृषि (खेती), मसि (लिखना-पढ़ना, शिक्षण), असि (रक्षा , हेतु तलवार, लाठी आदि चलाना), शिल्प, वाणिज्य (विभिन्न प्रकार का व्यापार करना) और सेवा- इन षट्कर्मों (जीवनवृतियों) के करने की शिक्षा दी थी, इसलिए इन्हें 'प्रजापति', माता के गर्भ से आने पर हिरण्य (सुवर्ण रत्नों) की वर्षा होने से ‘हिरण्यगर्भ’, विमलसूरि-, दाहिने पैर के तलुए में बैल का चिह्न होने से ‘ॠषभ’, धर्म का प्रवर्तन करने से ‘वृषभ’, शरीर की अधिक ऊँचाई होने से ‘बृहद्देव’ एवं पुरुदेव, सबसे पहले होने से ‘आदिनाथ’ और सबसे पहले मोक्षमार्ग का उपदेश करने से ‘आदिब्रह्मा’ कहा गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[ॠषभनाथ तीर्थंकर]]}}


{'अब पहुँची चपला बीच धार। छिप गया चाँदनी का कगार।।' पंक्ति सुमित्रानंदन पंत की किस कविता का अंश है?
=====[[महावीर|महावीर स्वामी]] 'यती' कब कहलाए?=====
|type="()"}
{{Opt|विकल्प 1=घर त्यागने के बाद |विकल्प 2=इन्द्रियों को जीतने के बाद|विकल्प 3=ज्ञान प्राप्त करने के बाद|विकल्प 4=उपर्युक्त में से कोई नहीं}}{{Ans|विकल्प 1='''घर त्यागने के बाद'''{{Check}}|विकल्प 2=इन्द्रियों को जीतने के बाद |विकल्प 3=ज्ञान प्राप्त करने के बाद |विकल्प 4=उपर्युक्त में से कोई नहीं|विवरण=}}
-परिवर्तन
====='स्यादवान' किस धर्म का मूलाधार था?=====
+नौका विहार
{{Opt|विकल्प 1=बौद्ध धर्म |विकल्प 2=जैन धर्म|विकल्प 3=वैष्णव धर्म|विकल्प 4=शैव धर्म}}{{Ans|विकल्प 1=[[बौद्ध धर्म]]|विकल्प 2='''[[जैन धर्म]]'''{{Check}} |विकल्प 3=[[वैष्णव धर्म]] |विकल्प 4=[[शैव धर्म]]|विवरण=[[चित्र:23rd-Tirthankara-Parsvanatha-Jain-Museum-Mathura-9.jpg|150px|thumb|[[तीर्थंकर पार्श्वनाथ]]<br /> Tirthankara Parsvanatha<br /> [[जैन संग्रहालय मथुरा|राजकीय जैन संग्रहालय]], [[मथुरा]]]]
-मौन निमंत्रण
जैन धर्म [[भारत]] की श्रमण परम्परा से निकला धर्म और दर्शन है। 'जैन' कहते हैं उन्हें, जो 'जिन' के अनुयायी हों । 'जिन' शब्द बना है 'जि' धातु से। 'जि' माने-जीतना। 'जिन' माने जीतने वाला। जिन्होंने अपने मन को जीत लिया, अपनी वाणी को जीत लिया और अपनी काया को जीत लिया, वे हैं 'जिन'। जैन धर्म अर्थात 'जिन' भगवान्‌ का धर्म।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[जैन धर्म]]}}
-बादल


{'निराला के [[राम]] [[तुलसीदास]] के राम से भिन्न और भवभूति के राम के निकट हैं।' यह कथन किस [[हिन्दी]] आलोचना का है?
=====[[महावीर]] के निर्वाण के बाद जैन संघ का अगला अध्यक्ष कौन हुआ?=====
|type="()"}
{{Opt|विकल्प 1=गोशल |विकल्प 2=मल्लिनाथ|विकल्प 3=सुधर्मन|विकल्प 4=वज्र स्वामी}}{{Ans|विकल्प 1=गोशल|विकल्प 2=मल्लिनाथ |विकल्प 3='''सुधर्मन'''{{Check}} |विकल्प 4=वज्र स्वामी|विवरण=}}
-डॉ. रामस्वरूप चतुर्वेदी
=====आदि जैन ग्रंथों की भाषा क्या थी?=====
-डॉ. सूर्यप्रसाद दीक्षित
{{Opt|विकल्प 1=संस्कृत भाषा |विकल्प 2=प्राकृत भाषा|विकल्प 3=पालि भाषा|विकल्प 4=अपभ्रंश भाषा}}{{Ans|विकल्प 1=[[संस्कृत भाषा]]|विकल्प 2='''[[प्राकृत भाषा]]'''{{Check}} |विकल्प 3=[[पालि भाषा]] |विकल्प 4=अपभ्रंश भाषा|विवरण=प्राकृत भाषा भारतीय आर्यभाषा का एक प्राचीन रूप है। इसके प्रयोग का समय 500 ई.पू. से 1000 ई. सन तक माना जाता है। धार्मिक कारणों से जब [[संस्कृत]] का महत्व कम होने लगा तो प्राकृत भाषा अधिक व्यवहार में आने लगी। इसके चार रूप विशेषत: उल्लेखनीय हैं।
+डॉ. रामविलास शर्मा
#अर्धमागधी प्राकृत
-डॉ. गंगाप्रसाद पाण्डेय
#पैशाची प्राकृत 
#महाराष्ट्री प्राकृत
#शौरसेनी प्राकृत{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[प्राकृत]]}}


{'[[राम]] की शक्तिपूजा' में [[सूर्यकांत त्रिपाठी निराला|निराला]] की इन दो कविताओं का सारतत्व समाहित है?
=====[[जैन धर्म]] के पाँचों व्रतों में से सर्वाधिक महत्वपूर्ण व्रत कौन-सा है?=====
|type="()"}
{{Opt|विकल्प 1=अमृषा (सत्य) |विकल्प 2=अहिंसा|विकल्प 3=अचीर्य (अस्तेय)|विकल्प 4=अपरिग्रह}}{{Ans|विकल्प 1=अमृषा (सत्य)|विकल्प 2='''अहिंसा'''{{Check}} |विकल्प 3=अचीर्य (अस्तेय) |विकल्प 4=अपरिग्रह|विवरण=}}
-[[तुलसीदास]] और सरोजस्मृति
=====[[जैन धर्म]] का सर्वाधिक प्रचार-प्रसार किस समुदाय में हुआ?=====
-तुलसीदास और बादल
{{Opt|विकल्प 1=शासक वर्ग |विकल्प 2=किसान वर्ग|विकल्प 3=व्यापारी वर्ग|विकल्प 4=शिल्पी वर्ग}}{{Ans|विकल्प 1=शासक वर्ग|विकल्प 2=किसान वर्ग |विकल्प 3='''व्यापारी वर्ग'''{{Check}} |विकल्प 4=शिल्पी वर्ग|विवरण=}}
-सरोजस्मृति और तोड़ती पत्थर
=====[[जैन धर्म]] 'श्वेताम्बर' एवं 'दिगम्बर' सम्प्रदायों में कब विभाजित हुआ?=====
+जागो फिर एक बार और तुलसीदास
{{Opt|विकल्प 1=चन्द्रगुप्त मौर्य के समय में |विकल्प 2=अशोक के समय में|विकल्प 3=कनिष्क के समय में|विकल्प 4=उपर्युक्त में से कोई नहीं}}{{Ans|विकल्प 1='''[[चन्द्रगुप्त मौर्य]] के समय में'''{{Check}}|विकल्प 2=[[अशोक]] के समय में |विकल्प 3=[[कनिष्क]] के समय में |विकल्प 4=उपर्युक्त में से कोई नहीं|विवरण=चंद्रगुप्त धर्म में भी रुचि रखता था। यूनानी लेखकों के अनुसार जिन चार अवसरों पर राजा महल से बाहर जाता था, उनमें एक था [[यज्ञ]] करना। कौटिल्य उसका पुरोहित तथा मुख्यमंत्री था। [[हेमचंद्र]] ने भी लिखा है कि वह ब्राह्मणों का आदर करता है। [[मेगस्थनीज़]] ने लिखा है कि चंद्रगुप्त वन में रहने वाले तपस्वियों से परामर्श करता था और उन्हें [[देवता|देवताओं]] की पूजा के लिए नियुक्त करता था। वर्ष में एक बार विद्वानों (ब्राह्मणों) की सभा बुलाई जाती थी ताकि वे जनहित के लिए उचित परामर्श दे सकें। दार्शनिकों से सम्पर्क रखना चंद्रगुप्त की जिज्ञासु प्रवृत्ति का सूचक है। [[जैन]] अनुयायियों के अनुसार जीवन के अन्तिम चरण में चंद्रगुप्त ने [[जैन धर्म]] स्वीकार कर लिया। कहा जाता है कि जब मगध में 12 वर्ष का दुर्भिक्ष पड़ा तो चंद्रगुप्त राज्य त्यागकर जैन आचार्य [[भद्रबाहु]] के साथ [[श्रवण बेल्गोला]] (मैसूर के निकट) चला गया और एक सच्चे जैन भिक्षु की भाँति उसने निराहार समाधिस्थ होकर प्राणत्याग किया (अर्थात केवल्य प्राप्त किया)। 900 ई0 के बाद के अनेक अभिलेख भद्रबाहु और चंद्रगुप्त का एक साथ उल्लेख करते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[चन्द्रगुप्त मौर्य]]}}
=====[[जैन धर्म]] के विषय में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?=====
{{Opt|विकल्प 1=जैन धर्म में देवताओं का अस्तित्व स्वीकार किया गया है |विकल्प 2=वर्ण व्यवस्था की निन्दा की गई है|विकल्प 3=पूर्व जन्म में अर्जित पुण्य और पाप के आधार पर मनुष्य का जन्म उच्च या निम्न कुल में होता है|विकल्प 4=जैन धर्म ने अपने को स्पष्टत: ब्राह्मण धर्म से अलग नहीं किया है}}{{Ans|विकल्प 1=जैन धर्म में देवताओं का अस्तित्व स्वीकार किया गया है|विकल्प 2='''वर्ण व्यवस्था की निन्दा की गई है'''{{Check}} |विकल्प 3=पूर्व जन्म में अर्जित पुण्य और पाप के आधार पर मनुष्य का जन्म उच्च या निम्न कुल में होता है |विकल्प 4=जैन धर्म ने अपने को स्पष्टत: ब्राह्मण धर्म से अलग नहीं किया है|विवरण=}}
=====[[ऋग्वेद]] में 'निष्क' शब्द का प्रयोग किसी आभूषण के लिए किया गया है, वह है?=====
{{Opt|विकल्प 1=कान का बुन्दा|विकल्प 2=माथे का टीका|विकल्प 3=हाथ का कंगन|विकल्प 4=गले का हार}}{{Ans|विकल्प 1=कान का बुन्दा|विकल्प 2=माथे का टीका|विकल्प 3=हाथ का कंग|विकल्प 4='''गले का हार'''{{Check}} |विवरण=}}
=====[[अथर्ववेद]] में किन दो संस्थाओं को प्रजापति की दो पुत्रियाँ कहा गया है?=====
{{Opt|विकल्प 1=पंचायत एवं ग्राम सभा|विकल्प 2=समिति एवं विरथ|विकल्प 3=सभा एवं समिति|विकल्प 4=सभा एवं विश्र}}{{Ans|विकल्प 1=पंचायत एवं ग्राम सभा|विकल्प 2=समिति एवं विरथ|विकल्प 3='''सभा एवं समिति'''{{Check}} |विकल्प 4=सभा एवं विश्|विवरण=}}
=====विशाखादत्त के [[मुद्राराक्षस]] में वर्णित नाम चन्द्रसिरी (चन्द्र श्री) के रूप में किस राजा की पहचान की गई है?=====
{{Opt|विकल्प 1=अशोक महान्|विकल्प 2=चन्द्रगुप्त|विकल्प 3=बिन्दुसार|विकल्प 4=इनमें से कोई नहीं}}{{Ans|विकल्प 1=[[अशोक|अशोक महान]] |विकल्प 2='''[[चंद्रगुप्त मौर्य|चन्द्रगुप्त]]'''{{Check}}|विकल्प 3=[[बिन्दुसार]]|विकल्प 4=इनमें से कोई नहीं|विवरण=}}


{किस छायावादी कवि ने संवाद शैली का सर्वाधिक उपयोग किया है?
=====[[महाभारत]] में [[माद्री]], [[देवकी]], भद्रा, [[रोहिणी]], मदिरा, आदि स्त्रियों का वर्णन किस सन्दर्भ में किया है?=====
|type="()"}
{{Opt|विकल्प 1=धार्मिक उपासना के सन्दर्भ में|विकल्प 2=पति के साथ सती होने के सन्दर्भ में|विकल्प 3=गणिकाओं के रूप में |विकल्प 4=उपर्युक्त में से कोई नहीं}}{{Ans|विकल्प 1=धार्मिक उपासना के सन्दर्भ में|विकल्प 2='''पति के साथ [[सती]] होने के सन्दर्भ में'''{{Check}} |विकल्प 3=गणिकाओं के रूप में|विकल्प 4=उपर्युक्त में से कोई नहीं|विवरण=}}
+[[जयशंकर प्रसाद]]
=====पाण्ड्य राज की राजधानी थी?=====
-[[सुमित्रानंदन पंत]]
{{Opt|विकल्प 1=रामनद|विकल्प 2=तिन्नेबेल्ली|विकल्प 3=तिरुपति|विकल्प 4=मदुरा}}{{Ans|विकल्प 1=रामनद|विकल्प 2=तिन्नेबेल्ली|विकल्प 3=तिरुपति|विकल्प 4='''मदुरा'''{{Check}} |विवरण=}}
-[[महादेवी वर्मा]]
=====भद्रबाहु गुफ़ा अवस्थित है?=====
-[[सूर्यकांत त्रिपाठी निराला]]
{{Opt|विकल्प 1=श्री महावीर जी में|विकल्प 2=पावापुरी में|विकल्प 3=बराबर की गुफ़ाओं में|विकल्प 4=श्रवण बेलगोला में}}{{Ans|विकल्प 1=श्री [[महावीर]] जी में|विकल्प 2=[[पावापुरी]] में|विकल्प 3=बराबर की गुफ़ाओं में|विकल्प 4='''श्रवण बेलगोला में'''{{Check}} |विवरण=}}
====='इण्डिका' का लेखक था, जिसने इस पुस्तक में विदेशी व्यापार का ज़िक्र किया था?=====
{{Opt|विकल्प 1=अज्ञात|विकल्प 2=एरियन|विकल्प 3=स्टौबो|विकल्प 4=प्लुटार्क}}{{Ans|विकल्प 1=अज्ञात|विकल्प 2='''एरियन'''{{Check}} |विकल्प 3=स्टौबो|विकल्प 4=प्लुटार्क|विवरण=}}
=====मुस्लिम क़ानून के चार स्रोतों में से तीन क़ुरान, हदीस एवं इज्मा हैं। निम्नलिखित में से कौनसा चौथा स्रोत है?=====
{{Opt|विकल्प 1=ख़म्स|विकल्प 2=क़यास|विकल्प 3=ख़राज|विकल्प 4=आयतें}}{{Ans|विकल्प 1=ख़म्स|विकल्प 2='''क़यास'''{{Check}} |विकल्प 3=ख़राज|विकल्प 4=आयतें|विवरण=}}
====='क़ुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद' का निर्माण किस मुस्लिम शासक ने कराया था?=====
{{Opt|विकल्प 1=शाहजहाँ|विकल्प 2=ग़यासुद्दीन तुग़लक़|विकल्प 3=कुतुबुद्दीन ऐबक|विकल्प 4=फ़ीरोज़ शाह}}{{Ans|विकल्प 1=[[शाहजहाँ]]|विकल्प 2=[[ग़यासुद्दीन तुग़लक़]]|विकल्प 3='''[[कुतुबुद्दीन ऐबक]]'''{{Check}} |विकल्प 4=फ़ीरोज़ शाह|विवरण=*तराइन के युद्ध के बाद मुइज्जुद्दीन ग़ज़नी लौट गया और [[भारत]] के विजित क्षेत्रों का शासन अपने विश्वनीय ग़ुलाम 'क़ुतुबुद्दीन ऐबक' के हाथों में छोड़ दिया।
*पृथ्वीराज के पुत्र को रणथम्भौर सौंप दिया गया जो तेरहवीं शताब्दी में शक्तिशाली चौहानों की राजधानी बना। अगले दो वर्षों में ऐबक ने, ऊपरी दोआब में [[मेरठ]], बरन तथा कोइल (आधुनिक [[अलीगढ़]]) पर क़ब्ज़ा किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[कुतुबुद्दीन ऐबक]]}}


{व्यवस्थाप्रियता और विद्रोह का विलक्षण संयोग किस प्रयोगवादी कवि में सबसे अधिक मिलता है?
=====[[टीपू सुल्तान]] ने किस क्लब की सदस्यता प्राप्त कर श्रीरंगपट्टनम् में स्वतंत्रता का वृक्ष रोपा था?=====
|type="()"}
{{Opt|विकल्प 1=लॉयन्स क्लब|विकल्प 2=फ्रीडम फाइटर्स क्लब|विकल्प 3=जैकोबिन क्लब|विकल्प 4=ईस्ट इण्डिया क्लब}}{{Ans|विकल्प 1=लॉयन्स क्लब|विकल्प 2=फ्रीडम फाइटर्स क्लब|विकल्प 3='''जैकोबिन क्लब'''{{Check}} |विकल्प 4=ईस्ट इण्डिया क्लब|विवरण=}}
-[[गजानन माधव मुक्तिबोध]] में
=====दादाभाई नौरोजी ने अंग्रेज़ों की किस नीति को 'अनिष्टों का अनिष्ट' कहा था?=====
-भारतभूषण अग्रवाल में
{{Opt|विकल्प 1=भारतीयों के प्रति अत्याचार की नीति|विकल्प 2=भारतीयों के प्रति शोषण की नीति|विकल्प 3=शौक्षणिक परिवेश में विकृति लाने की नीति|विकल्प 4=भारत से धन निष्कासन की नीति}}{{Ans|विकल्प 1=भारतीयों के प्रति अत्याचार की नीति|विकल्प 2=भारतीयों के प्रति शोषण की नीति|विकल्प 3=शौक्षणिक परिवेश में विकृति लाने की नीति|विकल्प 4='''[[भारत]] से धन निष्कासन की नीति'''{{Check}} |विवरण=}}
-नेमिचन्द्र जैन में
=====किस इतिहासकार ने सन् [[1857]] के स्वतंत्रता संग्राम को 'धर्मान्धों का ईसाइयों के विरुद्ध युद्ध' कहा था?=====
+अज्ञेय में
{{Opt|विकल्प 1=बेंजामिन डिजरेली|विकल्प 2=एल. ई. आर. रीज|विकल्प 3=ड्ब्लू. टेलर|विकल्प 4=टी. आर. होम्ज}}{{Ans|विकल्प 1=बेंजामिन डिजरेली|विकल्प 2='''एल. ई. आर. रीज'''{{Check}} |विकल्प 3=ड्ब्लू. टेलर|विकल्प 4=टी. आर. होम्ज|विवरण=}}
=====[[झाँसी]] की [[रानी लक्ष्मीबाई]] की मृत्यु हुई थी?=====
{{Opt|विकल्प 1=(18 जून, 1858)|विकल्प 2=(18 जुलाई, 1857)|विकल्प 3=(25 मई, 1858)|विकल्प 4=(29 अक्टूबर, 1859)}}{{Ans|विकल्प 1='''([[18 जून]], [[1858]])'''{{Check}} |विकल्प 2=([[18 जुलाई]], [[1857]])|विकल्प 3=([[25 मई]], 1858)|विकल्प 4=([[29 अक्टूबर]], [[1859]])|विवरण=}}
====='इण्डिपेन्डेन्स' नामक समाचार-पत्र का प्रकाशन प्रारम्भ किया था?=====
{{Opt|विकल्प 1=पं. जवाहर लाल नेहरु|विकल्प 2=पं. मोती लाल नेहरु|विकल्प 3=शिव प्रसाद गुप्त|विकल्प 4=मदन मोहन मालवीय}}{{Ans|विकल्प 1=[[जवाहर लाल नेहरु|पं. जवाहर लाल नेहरु]]|विकल्प 2='''[[मोतीलाल नेहरू|पं. मोती लाल नेहरु]]'''{{Check}} |विकल्प 3=शिव प्रसाद गुप्त|विकल्प 4=[[मदन मोहन मालवीय]]|विवरण=}}


{'वह उस महत्ता का। हम सरीखों के लिए उपयोग। उस आंतरिकता का बताता में महत्व।।' पंक्तियाँ मुक्तिबोध की किस कविता से ली गई हैं?
====="[[कांग्रेस]] की स्थापना ब्रिटिश सरकार की एक पूर्व निश्चित गुप्त योजना के अनुसार की गई।" यह किस पुस्तक में लिखा गया है?=====
|type="()"}
{{Opt|विकल्प 1=नवजीवन|विकल्प 2=इण्डिया टुडे|विकल्प 3=द पॉवर्टी एण्ड अनब्रिटिश रूल इन इण्डिया|विकल्प 4=गोरा}}{{Ans|विकल्प 1=नवजीवन|विकल्प 2='''इण्डिया टुडे'''{{Check}} |विकल्प 3=द पॉवर्टी एण्ड अनब्रिटिश रूल इन इण्डिया|विकल्प 4=गोरा|विवरण=}}
+ब्रह्मराक्षस
====='ब्रिटेन की हाउस ऑफ़ लार्डस' ने किस [[अंग्रेज़]] अधिकारी को' [[ब्रिटिश साम्राज्य]] का [[बाघ|शेर]] कहा था?=====
-भूलगलती
{{Opt|विकल्प 1=सर टॉमस स्मिथ को|विकल्प 2=मि. राइस जनरल को|विकल्प 3=मि. जस्टिस एस्किन को|विकल्प 4=जनरल डायर को}}{{Ans|विकल्प 1=सर टॉमस स्मिथ को|विकल्प 2=मि. राइस जनरल को|विकल्प 3=मि. जस्टिस एस्किन को|विकल्प 4='''[[जनरल डायर]] को'''{{Check}} |विवरण=}}
-पता नहीं
=====ऐसा कौन सा प्रथम सूफ़ी साधक था, जिसने अपने आपको अनलहक घोषित किया था?=====
-अँधेरे में
{{Opt|विकल्प 1=मंसूर हल्लाज|विकल्प 2=जलालुद्दीन रूमी|विकल्प 3=फ़रीदुद्दीन अत्तार|विकल्प 4=इब्नुल अरबी}}{{Ans|विकल्प 1='''मंसूर हल्लाज'''{{Check}} |विकल्प 2=जलालुद्दीन रूमी|विकल्प 3=फ़रीदुद्दीन अत्तार|विकल्प 4=इब्नुल अरबी|विवरण=}}
=====प्रान्तों की सेना को [[मुग़ल काल|मुग़लकालीन]] [[भारत]] में कहा जाता था?=====
{{Opt|विकल्प 1=हशमे कल्ब|विकल्प 2=हशमे अतराफ़|विकल्प 3=हाजिब|विकल्प 4=हदीस}}{{Ans|विकल्प 1=हशमे कल्ब|विकल्प 2='''हशमे अतराफ़'''{{Check}} |विकल्प 3=हाजिब|विकल्प 4=हदीस|विवरण=}}
=====किस विदेशी ने अपने व्याख्यानों में [[मुग़ल]] सम्राटों का उल्लेख 'अभागे ज़ालिम' के लिए किया था?=====
{{Opt|विकल्प 1=लॉर्ड मैकाले|विकल्प 2=सदरलैण्ड|विकल्प 3=महारानी एलिजाबेथ|विकल्प 4=मि. चैपलैन}}{{Ans|विकल्प 1='''लॉर्ड मैकाले'''{{Check}} |विकल्प 2=सदरलैण्ड|विकल्प 3=महारानी एलिजाबेथ|विकल्प 4=मि. चैपलैन|विवरण=}}
=====[[अगस्त्य|ऋषि अगस्त्य]] के शिष्य 'तोलक्कपियर' ने 'तोलकापियम' नामक ग्रन्थ की रचना की थी, उसमें वर्णीत विषय था?=====
{{Opt|विकल्प 1=तमिल व्याकरण|विकल्प 2=संस्कृत व्याकरण|विकल्प 3=श्रंगार कविताएँ|विकल्प 4=महापुरुषों का जीवन चरित्र}}{{Ans|विकल्प 1='''[[तमिल भाषा|तमिल]] व्याकरण'''{{Check}} |विकल्प 2=[[संस्कृत भाषा|संस्कृत]] व्याकरण|विकल्प 3=श्रंगार कविताएँ|विकल्प 4=महापुरुषों का जीवन चरित्र|विवरण=तमिल भाषा एक द्रविड़ भाषा है, जिसके विश्वभर में पाँच करोड़ से अधिक बोलने वालों में से लगभग 90% [[भारत]] में रहते हैं और [[तमिलनाडु]] राज्य में केन्द्रित 83 प्रतिशत हैं। यह [[भारत]] की पाँचवी सबसे बड़ी भाषा है, जो देश की लगभग सात प्रतिशत आबादी का प्रतिनिधित्व करती है। मूल रूप से क़रीब 34 लाख तमिल भाषा-भाषी लोग [[श्रीलंका]] में, तीन लाख [[सिंगापुर]] में और दो लाख [[मलेशिया]] में रहते हैं। औपनिवेशिक काल में प्रवास कर गए तमिलभाषी लोगों के वंशज मॉरीशस, फ़िजी और दक्षिण अमेरिका में बस गए हैं, इनकी तमिल दक्षता अलग-अलग है, साथ ही विद्यालयों में औपचारिक अध्ययन की सुविधा में भी भिन्नता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[तमिल भाषा]]}}


{ऋतु वसंत का सुप्रभात था। मंद मंद था अनिल बह रहा॥ बालारुण की मृदु किरणें थीं। अगल बगल स्वर्णाभ शिखर थे॥' ये पंक्तियाँ नागार्जुन की किस कविता की हैं?
=====हरविलास शारदा द्वारा प्रस्तावित अधिनियम जिसे सामान्यतया शारदा अधिनियम कहा जाता है, क्या था?=====
|type="()"}
{{Opt|विकल्प 1=विधवा पुनर्विवाह अधिनियम|विकल्प 2=हिन्दू महिला उत्तराधिकारी अधिनियम|विकल्प 3=बाल विवाह निरोधक अधिनियम 1929|विकल्प 4=हिन्दू सिविल विवाह अधिनियम}}{{Ans|विकल्प 1=विधवा पुनर्विवाह अधिनियम|विकल्प 2=हिन्दू महिला उत्तराधिकारी अधिनियम|विकल्प 3='''बाल विवाह निरोधक अधिनियम [[1929]]'''{{Check}} |विकल्प 4=हिन्दू सिविल विवाह अधिनियम|विवरण=}}
-प्रतिबद्ध हूँ
=====[[चेन्नई|मद्रास]] में जस्टिस पार्टी आन्दोलन का विलय किसके साथ हुआ?=====
-तालाब की [[मछली|मछलियाँ]]
{{Opt|विकल्प 1=सेल्फ रेस्पेक्ट लीग|विकल्प 2=द्रविड़ कड़गम|विकल्प 3=दलित वर्ग लीग|विकल्प 4=उपर्युक्त (1) और (2) दोनों}}{{Ans|विकल्प 1=सेल्फ रेस्पेक्ट लीग|विकल्प 2=द्रविड़ कड़गम|विकल्प 3=दलित वर्ग लीग|विकल्प 4='''उपर्युक्त (1) और (2) दोनों'''{{Check}} |विवरण=}}
+बादल को घिरते देखा है
=====निम्नलिखित में से किस ग्रन्थ में सर्वप्रथम पुनर्जन्म के सिद्धान्त का उल्लेख मिलता है?=====
-सिन्दूर तिलकित भाल
{{Opt|विकल्प 1=ऋग्वेद|विकल्प 2= ऐतरेय ब्राह्मण|विकल्प 3=वृहदारण्यक अपनिषद|विकल्प 4=श्वेताश्वतरोपनिषद}}{{Ans|विकल्प 1=[[ऋग्वेद]]|विकल्प 2=[[ऐतरेय ब्राह्मण]]|विकल्प 3='''[[बृहदारण्यकोपनिषद]]'''{{Check}} |विकल्प 4=[[श्वेताश्वतरोपनिषद]]|विवरण=यह उपनिषद शुक्ल [[यजुर्वेद]] की काण्व-शाखा के अन्तर्गत आता है। 'बृहत' (बड़ा) और '[[आरण्यक]]' (वन) दो शब्दों के मेल से इसका यह '[[बृहद आरण्यक|बृहदारण्यक]]' नाम पड़ा है। इसमें छह अध्याय हैं और प्रत्येक अध्याय में अनेक '[[ब्राह्मण]]' हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[बृहदारण्यकोपनिषद]]}}


{'अकाल और उसके बाद' नामक कविता के रचनाकार हैं?
=====तमिल राष्ट्र में दुर्गा का तादात्म्य तमिल देवी 'कोरवई' से किया गया है, वे किस तत्व की तमिल देवी थीं?=====
|type="()"}
{{Opt|विकल्प 1=मातृत्व|विकल्प 2=प्रकृति और अर्वरकता|विकल्प 3=युद्ध और विजय|विकल्प 4=पृथ्वी}}{{Ans|विकल्प 1=मातृत्व|विकल्प 2=प्रकृति और अर्वरकता|विकल्प 3='''युद्ध और विजय'''{{Check}} |विकल्प 4=[[पृथ्वी]]|विवरण=}}
-केदारनाथ अग्रवाल
=====वह प्रथम भारतीय शासक था, जिसने रोमन मुद्रा प्रणाली के अनुरूप अपने सिक्कों का प्रसारण किया। उसका सम्बन्ध किस साम्राज्य से था?=====
-त्रिलोचन
{{Opt|विकल्प 1=शुंग|विकल्प 2=हिन्द-यूनानी|विकल्प 3=कुषाण|विकल्प 4=गुप्त वंशीय}}{{Ans|विकल्प 1=[[शुंग]]|विकल्प 2=हिन्द-यूनानी|विकल्प 3='''[[कुषाण]]'''{{Check}} |विकल्प 4=[[गुप्त वंश|गुप्त वंशीय]]|विवरण=युइशि लोगों के पाँच राज्यों में अन्यतम का कुएई-शुआंगा था। 25 ई. पू. के लगभग इस राज्य का स्वामी [[कुषाण]] नाम का वीर पुरुष हुआ, जिसके शासन में इस राज्य की बहुत उन्नति हुई। उसने धीरे-धीरे अन्य युइशि राज्यों को जीतकर अपने अधीन कर लिया। वह केवल युइशि राज्यों को जीतकर ही संतुष्ट नहीं हुआ, अपितु उसने समीप के पार्थियन और [[शक]] राज्यों पर भी आक्रमण किए। अनेक ऐतिहासिकों का मत है, कि कुषाण किसी व्यक्ति विशेष का नाम नहीं था। यह नाम युइशि जाति की उस शाखा का था, जिसने अन्य चारों युइशि राज्यों को जीतकर अपने अधीन कर लिया था। जिस राजा ने पाँचों युइशि राज्यों को मिलाकर अपनी शक्ति का उत्कर्ष किया, उसका अपना नाम कुजुल कदफ़ियस था। पर्याप्त प्रमाण के अभाव में यह निश्चित कर सकना कठिन है कि जिस युइशि वीर ने अपनी जाति के विविध राज्यों को जीतकर एक सूत्र में संगठित किया, उसका वैयक्तिक नाम कुषाण था या कुजुल था। यह असंदिग्ध है, कि बाद के युइशि राजा भी कुषाण वंशी थे। राजा कुषाण के वंशज होने के कारण वे कुषाण कहलाए, या युइशि जाति की कुषाण शाखा में उत्पन्न होने के कारण—यह निश्चित न होने पर भी इसमें सन्देह नहीं कि ये राजा कुषाण कहाते थे और इन्हीं के द्वारा स्थापित साम्राज्य को कुषाण साम्राज्य कहा जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[कुषाण]]}}
+नागार्जुन
-इनमें से कोई नहीं


{भारतेन्दु कृत 'भारत दुर्दशा' किस साहित्य रूप का हिस्सा है?
=====[[हैदराबाद]] नगर की स्थापना की थी?=====
|type="()"}
{{Opt|विकल्प 1=इब्राहीम कुत्बशाह ने|विकल्प 2=मुहम्मद कुली कुत्बशाह ने|विकल्प 3=मुहम्मद कुत्बशाह|विकल्प 4=जमशिद कुत्बशा}}{{Ans|विकल्प 1=इब्राहीम कुत्बशाह ने|विकल्प 2='''मुहम्मद कुली कुत्बशाह ने'''{{Check}} |विकल्प 3=मुहम्मद कुत्बशा|विकल्प 4=जमशिद कुत्बशा|विवरण=}}
-कथा साहित्य
=====[[बहमनी वंश|बहमनी साम्राज्य]] के प्रान्तों को क्या कहा जाता था?=====
+नाटक साहित्य
{{Opt|विकल्प 1=तराफ़ या अतराफ़|विकल्प 2=सूबा|विकल्प 3=सूबा-ए-लश्कर|विकल्प 4=महामण्डल}}{{Ans|विकल्प 1='''तराफ़ या अतराफ़'''{{Check}} |विकल्प 2=सूबा|विकल्प 3=सूबा-ए-लश्कर|विकल्प 4=महामण्डल|विवरण=}}
-संस्मरण साहित्य
=====[[औरंगज़ेब]] के शासनकाल में [[जाट]] विद्रोह का नेता कौन था?=====
-जीवनी साहित्य
{{Opt|विकल्प 1=तिलपत का जमींदार गोकुल सिंह|विकल्प 2=चम्पतराय|विकल्प 3=राजाराम|विकल्प 4=चूड़ामन}}{{Ans|विकल्प 1='''तिलपत का जमींदार [[गोकुल सिंह]]'''{{Check}} |विकल्प 2=चम्पतराय|विकल्प 3=[[राजाराम]]|विकल्प 4=चूड़ामन|विवरण=}}
=====[[अकबर]] निम्नलिखित में से किस वाद्य यन्त्र को कुशलता से बजाता था?=====
{{Opt|विकल्प 1=वीणा|विकल्प 2=पखावज|विकल्प 3=सितार|विकल्प 4=नक्कारा}}{{Ans|विकल्प 1=वीणा|विकल्प 2=पखावज|विकल्प 3=[[सितार]]|विकल्प 4='''नक्कारा'''{{Check}} |विवरण=}}
=====[[पश्चिम बंगाल|बंगाल]] के किस बन्दरगाह को [[पुर्तग़ाल|पुर्तग़ाली]] पोर्टो ग्राण्डे या महान बन्दरगाह कहते थे?=====
{{Opt|विकल्प 1=सतगाँव|विकल्प 2=चटगाँव|विकल्प 3=हुगली|विकल्प 4=चन्द्रद्वीप}}{{Ans|विकल्प 1=सतगाँव|विकल्प 2='''चटगाँव'''{{Check}} |विकल्प 3=[[हुगली नदी|हुगली]]|विकल्प 4=चन्द्रद्वीप|विवरण=}}
=====[[मराठा|मराठों]] ने गुरिल्ला युद्ध प्रणाली का कुशल प्रशिक्षण सम्भवतः किससे प्राप्त किया था?=====
{{Opt|विकल्प 1=गोलकुण्डा के मीर जुमला|विकल्प 2=अहमद नगर के अबीसीनियायी मंत्री [[मलिक अम्बर]]|विकल्प 3=मलिक क़ाफूर|विकल्प 4=मीर ज़ाफ़र}}{{Ans|विकल्प 1=[[गोलकुण्डा]] के मीर जुमला|विकल्प 2='''अहमद नगर के अबीसीनियायी मंत्री मलिक अम्बर'''{{Check}} |विकल्प 3=मलिक क़ाफूर|विकल्प 4=मीर ज़ाफ़र|विवरण=}}
=====निम्नलिखित में से किसे 'जाटों का प्लेटो' कहा जाता था?=====
{{Opt|विकल्प 1=राजाराम|विकल्प 2=चूड़ामन|विकल्प 3=सूरजमल|विकल्प 4=बदनसिंह}}{{Ans|विकल्प 1=[[राजाराम]]|विकल्प 2=[[ठाकुर चूड़ामन सिंह|चूड़ामन]]|विकल्प 3='''[[सूरजमल]]'''{{Check}} |विकल्प 4=[[बदनसिंह]]|विवरण=}}
=====[[1857]] के विद्रोह का रुहेलखण्ड में नेतृत्व किसने किया था?=====
{{Opt|विकल्प 1=ख़ान बहादुर ख़ाँ|विकल्प 2=शहज़ादा फ़िरोज़ ख़ाँ|विकल्प 3=राजा बेनी माधोसिंह|विकल्प 4=मुहम्मद हसन ख़ाँ}}{{Ans|विकल्प 1='''ख़ान बहादुर ख़ाँ'''{{Check}}|विकल्प 2=शहज़ादा फ़िरोज़ ख़ाँ|विकल्प 3=राजा बेनी माधोसिंह|विकल्प 4=मुहम्मद हसन ख़ाँ|विवरण=}}
=====सन् [[1932]] ई. में अखिल भारतीय हरिजन संघ की स्थापना किसने की थी?=====
{{Opt|विकल्प 1=बाबा साहेब अम्बेडकर|विकल्प 2=महात्मा गाँधी|विकल्प 3=बाल गंगाधर तिलक|विकल्प 4=ज्योतिबा फुले}}{{Ans|विकल्प 1=[[भीमराव आम्बेडकर|बाबा साहेब अम्बेडकर]]|विकल्प 2='''[[महात्मा गाँधी]]'''{{Check}}|विकल्प 3=[[बाल गंगाधर तिलक]]|विकल्प 4=ज्योतिबा फुले|विवरण=महात्मा गाँधी ([[2 अक्तूबर]], [[1869]] - [[30 जनवरी]], [[1948]]) को ब्रिटिश शासन के ख़िलाफ़ भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का नेता और '''राष्ट्रपिता''' माना जाता है। इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था। राजनीतिक और सामाजिक प्रगति की प्राप्ति हेतु अपने अहिंसक विरोध के सिद्धांत के लिए उन्हें अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हुई।  मोहनदास करमचंद गांधी [[भारत]] एवं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनीतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[महात्मा गाँधी]]}}
=====[[राजा राममोहन राय]] के प्रथम शिष्य, जिन्होंने उनके मरणोपरांत ब्रह्म समाज का नेतृत्व सँभाला था?=====
{{Opt|विकल्प 1=द्वारकानाथ टैगोर|विकल्प 2=रामचन्द्र विद्यावागीश|विकल्प 3=केशवचन्द्र सेन|विकल्प 4=देवेन्द्रनाथ टैगोर}}{{Ans|विकल्प 1=द्वारकानाथ टैगोर|विकल्प 2='''रामचन्द्र विद्यावागीश'''{{Check}}|विकल्प 3=केशवचन्द्र सेन|विकल्प 4=देवेन्द्रनाथ टैगोर|विवरण=}}


{'आदमी कितना स्वार्थी हो जाता है, जिसके लिए मरो, वही जान का दुश्मन हो जाता है।' यह कथन 'गोदान के किस पात्र का है?
=====वह राष्ट्रकूट शासक कौन था, जिसकी तुलना उदार तथा विद्वानों के संरक्षक के रूप में विख्यात [[चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य|राजा विक्रमादित्य]] से की गई है?=====
|type="()"}
{{Opt|विकल्प 1=गोविन्द तृतीय|विकल्प 2=ध्रुव चतुर्थ|विकल्प 3=कृष्ण तृतीय|विकल्प 4=अमोघवर्ष}}{{Ans|विकल्प 1=गोविन्द तृतीय|विकल्प 2=ध्रुव चतुर्थ|विकल्प 3=कृष्ण तृतीय|विकल्प 4='''अमोघवर्ष'''{{Check}}|विवरण=}}
-मेहता
=====[[महमूद ग़ज़नवी|महमूद]] के आक्रमण के समय हिन्दूशाही साम्राज्य की राजधानी कहाँ थी?=====
-खन्ना
{{Opt|विकल्प 1=क़ाबुल|विकल्प 2=पेशावर|विकल्प 3=अटक|विकल्प 4=उदमाण्डपुर या ओहिन्द}}{{Ans|विकल्प 1=[[क़ाबुल]]|विकल्प 2=[[पेशावर]]|विकल्प 3=अटक|विकल्प 4='''उदमाण्डपुर या ओहिन्द'''{{Check}}|विवरण=}}
-मालती
=====निम्नलिखित में से कौनसा संस्कार स्त्रियों एवं शूद्रों के लिए वर्जित था?=====
+होरी
{{Opt|विकल्प 1=चूड़ाकर्म|विकल्प 2=उपनयन|विकल्प 3=नायकरण|विकल्प 4=पुंसवन}}{{Ans|विकल्प 1=चूड़ाकर्म|विकल्प 2='''[[उपनयन संस्कार|उपनयन]]'''{{Check}}|विकल्प 3=नायकरण|विकल्प 4=पुंसवन|विवरण=[[चित्र:Upanayana-1.jpg|thumb|150px|उपनयन<br /> Upanayana]]
 
'उपनयन' का अर्थ है "पास या सन्निकट ले जाना।" किन्तु किसके पास ले जाना? सम्भवत: आरम्भ में इसका तात्पर्य था "आचार्य के पास (शिक्षण के लिए) ले जाना।" हो सकता है; इसका तात्पर्य रहा हो नवशिष्य को विद्यार्थीपन की अवस्था तक पहुँचा देना। कुछ गृह्यसूत्रों से ऐसा आभास मिल जाता है, यथा हिरण्यकेशि के अनुसार; तब गुरु बच्चे से यह कहलवाता है "मैं ब्रह्मसूत्रों को प्राप्त हो गया हूँ। मुझे इसके पास ले चलिए। सविता देवता द्वारा प्रेरित मुझे ब्रह्मचारी होने दीजिए।" मानवग्रह्यसूत्र एवं काठक. ने 'उपनयन' के स्थान पर 'उपायन' शब्द का प्रयोग किया है। काठक के टीकाकार आदित्यदर्शन ने कहा है कि उपानय, उपनयन, मौञ्चीबन्धन, बटुकरण, व्रतबन्ध समानार्थक हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[उपनयन संस्कार]]}}
{'नारी में पुरुष के गुण आ जाते हैं, तो वह कुलटा हो जाती है।' यह कथन 'गोदान' के किस पात्र का है?
=====[[ऋग्वेद]] में जिस अपराध का सबसे अधिक उल्लेख किया गया है, वह था?=====
|type="()"}
{{Opt|विकल्प 1=हत्या|विकल्प 2=अपहरण|विकल्प 3=पशु चोरी|विकल्प 4=लूट और राहजनी}}{{Ans|विकल्प 1=हत्या|विकल्प 2=अपहरण|विकल्प 3='''पशु चोरी'''{{Check}}|विकल्प 4=लूट और राहजनी|विवरण=}}
-रायसाहब
-ओंकारनाथ
+मेहता
-होरी
 
{'जो अपनी जान खपाते हैं, उनका हक उन लोगों से ज्यादा है, जो केवल रुपया लगाते हैं।' यह कथन 'गोदान' के किस पात्र द्वारा कहा गया है?
|type="()"}
-मालती
-ओंकारनाथ
+मेहता
-खन्ना
 
{'पवित्रता की माप है, मलिनता, सुख का आलोचना है. दुःख, पुण्य की कसौटी है पाप।' यह कथन 'स्कन्दगुप्त' नाटक के किस पात्र का है?
|type="()"}
-विजया
+देवसेना
-भटार्क
-प्रपंचबुद्धि
 
{'मनुष्य अपूर्ण है. इसलिए सत्य का विकास जो उसके द्वारा होता है, अपूर्ण होता है. यही विकास का रहस्य है।' यह कथन 'स्कन्दगुप्त' नाटक के किस पात्र का है?
|type="()"}
+प्रख्यातकीर्ति
-देवसेना
-मातृगुप्त
-धातुसेन
 
{'विश्व -प्रेम, सर्व-भूत -हित- कामना परम धर्म हैः परंतु इसका अर्थ यह नहीं हो सकता कि अपने पर प्रेम न हो।' यह कथन 'स्कन्दगुप्त' नाटक के किस पात्र का है?
|type="()"}
-बंधु वर्मा
-चक्रपालित
-भीम वर्मा
+जयमाला
 
 
{'मनुष्य के आचरण के प्रवर्तक भाव या मनोविकार ही होते हैं, बुद्धि नहीं।' यह कथन है?
|type="()"}
-सरदार पूर्णसिंह का
+रामचन्द्र शुक्ल का
-महावीर प्रसाद द्विवेदी का
-बालकृष्ण भट्ट का
 
{'रस मीमांसा' रस -सिद्धांत से सम्बन्धित पुस्तक है, इस पुस्तक के लेखक हैं?
|type="()"}
-डॉ. श्यामसुन्दर दास
-डॉ. गुलाब राय
-डॉ. नगेन्द्र
+आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
 
{'यह युग (भारतेन्दु) बच्चे के समान हँसता-खेलता आया था, जिसमें बच्चों की सी निश्छलता' अक्खड़पन, सरलता और तन्मयता थी।' यह कथन किस आलोचक का है?
|type="()"}
-डॉ. पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल
-डॉ. रामविलास शर्मा
-डॉ. हजारीप्रसाद द्विवेदी
+आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
 
 
{मनुष्य से बड़ा है उसका अपना विश्वास और उसका ही रचा हुआ विधान। अपने विवशता अनुभव करता है और स्वयं ही वह उसे बदल भी देता है॥' यह कथन किस उपन्यासकार लिखा है?
|type="()"}
-[[मुंशी प्रेमचंद|प्रेमचन्द्र]]
-भगवतीचरण वर्मा
+हजारीप्रसाद द्विवेदी
-यशपाल
 
{'अपने अतीत का मनन और मंथन हम भविष्य के लिए संकेत पाने के प्रयोजन से करते हैं।' यह कथन किस उपन्यासकार का है?
|type="()"}
+हजारीप्रसाद द्विवेदी
-यशपाल
-वृन्दावनलाल वर्मा
-रांगेय राघव
 
{'मनुष्य अपूर्ण है, इसलिए सत्य का विकास जो उसके द्वारा होता है, अपूर्ण होता है. यही विकास का रहस्य है।' यह कथन 'स्कन्दगुप्त' नाटक के किस पात्र का है?
|type="()"}
+प्रख्यातकीर्ति
-देवसेना
-मातृगुप्त
-धातुसेन

11:47, 23 दिसम्बर 2010 का अवतरण

<quiz display=simple> {वैदिककालीन लोगों ने सर्वप्रथम किस धातु का प्रयोग किया?

type="()"}

- लोहा - कांसा + तांबा - सोना

उत्तरवैदिक काल के महत्वपूर्ण देवता कौन थे?

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भारत का राष्ट्रीय आदर्श वाक्य 'सत्यमेव जयते' कहाँ से उद्धत है?

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उत्तर वैदिक कालीन ग्रंथों की रचना लगभग 1000 ई. पू.-600 ई. पू. के मध्य किन स्थानों पर की गई?

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'सभा और समिति प्रजापति की दो पुत्रियाँ थीं' का उल्लेख किस ग्रंथ में मिलता है?

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उत्तर वैदिक कालीन ग्रंथों में किस आश्रम का उल्लेख नहीं मिलता?

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'गायत्री मंत्र' किस वेद से लिया गया है?

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वेदों को 'अपौरुषेय' क्यों कहा जाता है?

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राष्ट्र एवं राजा शब्द का उल्लेख सर्वप्रथम कब हुआ?

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आर्यों के मूल निवास स्थान के बारे में सर्वाधिक मान्य मत कौन-सा है?

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सर्वप्रथम चारों आश्रमों के विषय में जानकारी कहाँ से मिलती है?

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'गोत्र' व्यवस्था प्रचलन में कब आई?

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ब्राह्मण ग्रंथों में सर्वाधिक प्राचीन कौन है?

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षड्दर्शन का बीजारोपण किस काल में हुआ है?

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जैन धर्म का वास्तविक संस्थापक किसे माना जाता है?

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जैन परम्परा के अनुसार जैन धर्म में कुल कितने तीर्थकर हुए हैं?

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'राजगृह' में महावीर स्वामी ने सर्वाधिक निवास किस ऋतु में किया?

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जैन धर्म के पहले तीर्थंकर के रूप में किसे जाना जाता है?

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महावीर स्वामी 'यती' कब कहलाए?

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'स्यादवान' किस धर्म का मूलाधार था?

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महावीर के निर्वाण के बाद जैन संघ का अगला अध्यक्ष कौन हुआ?

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आदि जैन ग्रंथों की भाषा क्या थी?

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जैन धर्म के पाँचों व्रतों में से सर्वाधिक महत्वपूर्ण व्रत कौन-सा है?

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जैन धर्म का सर्वाधिक प्रचार-प्रसार किस समुदाय में हुआ?

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जैन धर्म 'श्वेताम्बर' एवं 'दिगम्बर' सम्प्रदायों में कब विभाजित हुआ?

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जैन धर्म के विषय में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?

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ऋग्वेद में 'निष्क' शब्द का प्रयोग किसी आभूषण के लिए किया गया है, वह है?

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अथर्ववेद में किन दो संस्थाओं को प्रजापति की दो पुत्रियाँ कहा गया है?

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विशाखादत्त के मुद्राराक्षस में वर्णित नाम चन्द्रसिरी (चन्द्र श्री) के रूप में किस राजा की पहचान की गई है?

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महाभारत में माद्री, देवकी, भद्रा, रोहिणी, मदिरा, आदि स्त्रियों का वर्णन किस सन्दर्भ में किया है?

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पाण्ड्य राज की राजधानी थी?

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भद्रबाहु गुफ़ा अवस्थित है?

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'इण्डिका' का लेखक था, जिसने इस पुस्तक में विदेशी व्यापार का ज़िक्र किया था?

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मुस्लिम क़ानून के चार स्रोतों में से तीन क़ुरान, हदीस एवं इज्मा हैं। निम्नलिखित में से कौनसा चौथा स्रोत है?

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'क़ुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद' का निर्माण किस मुस्लिम शासक ने कराया था?

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टीपू सुल्तान ने किस क्लब की सदस्यता प्राप्त कर श्रीरंगपट्टनम् में स्वतंत्रता का वृक्ष रोपा था?

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दादाभाई नौरोजी ने अंग्रेज़ों की किस नीति को 'अनिष्टों का अनिष्ट' कहा था?

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किस इतिहासकार ने सन् 1857 के स्वतंत्रता संग्राम को 'धर्मान्धों का ईसाइयों के विरुद्ध युद्ध' कहा था?

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झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की मृत्यु हुई थी?

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'इण्डिपेन्डेन्स' नामक समाचार-पत्र का प्रकाशन प्रारम्भ किया था?

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"कांग्रेस की स्थापना ब्रिटिश सरकार की एक पूर्व निश्चित गुप्त योजना के अनुसार की गई।" यह किस पुस्तक में लिखा गया है?

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'ब्रिटेन की हाउस ऑफ़ लार्डस' ने किस अंग्रेज़ अधिकारी को' ब्रिटिश साम्राज्य का शेर कहा था?

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ऐसा कौन सा प्रथम सूफ़ी साधक था, जिसने अपने आपको अनलहक घोषित किया था?

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प्रान्तों की सेना को मुग़लकालीन भारत में कहा जाता था?

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किस विदेशी ने अपने व्याख्यानों में मुग़ल सम्राटों का उल्लेख 'अभागे ज़ालिम' के लिए किया था?

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ऋषि अगस्त्य के शिष्य 'तोलक्कपियर' ने 'तोलकापियम' नामक ग्रन्थ की रचना की थी, उसमें वर्णीत विषय था?

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हरविलास शारदा द्वारा प्रस्तावित अधिनियम जिसे सामान्यतया शारदा अधिनियम कहा जाता है, क्या था?

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मद्रास में जस्टिस पार्टी आन्दोलन का विलय किसके साथ हुआ?

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निम्नलिखित में से किस ग्रन्थ में सर्वप्रथम पुनर्जन्म के सिद्धान्त का उल्लेख मिलता है?

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तमिल राष्ट्र में दुर्गा का तादात्म्य तमिल देवी 'कोरवई' से किया गया है, वे किस तत्व की तमिल देवी थीं?

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वह प्रथम भारतीय शासक था, जिसने रोमन मुद्रा प्रणाली के अनुरूप अपने सिक्कों का प्रसारण किया। उसका सम्बन्ध किस साम्राज्य से था?

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हैदराबाद नगर की स्थापना की थी?

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बहमनी साम्राज्य के प्रान्तों को क्या कहा जाता था?

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औरंगज़ेब के शासनकाल में जाट विद्रोह का नेता कौन था?

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अकबर निम्नलिखित में से किस वाद्य यन्त्र को कुशलता से बजाता था?

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बंगाल के किस बन्दरगाह को पुर्तग़ाली पोर्टो ग्राण्डे या महान बन्दरगाह कहते थे?

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मराठों ने गुरिल्ला युद्ध प्रणाली का कुशल प्रशिक्षण सम्भवतः किससे प्राप्त किया था?

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निम्नलिखित में से किसे 'जाटों का प्लेटो' कहा जाता था?

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1857 के विद्रोह का रुहेलखण्ड में नेतृत्व किसने किया था?

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सन् 1932 ई. में अखिल भारतीय हरिजन संघ की स्थापना किसने की थी?

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राजा राममोहन राय के प्रथम शिष्य, जिन्होंने उनके मरणोपरांत ब्रह्म समाज का नेतृत्व सँभाला था?

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वह राष्ट्रकूट शासक कौन था, जिसकी तुलना उदार तथा विद्वानों के संरक्षक के रूप में विख्यात राजा विक्रमादित्य से की गई है?

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महमूद के आक्रमण के समय हिन्दूशाही साम्राज्य की राजधानी कहाँ थी?

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निम्नलिखित में से कौनसा संस्कार स्त्रियों एवं शूद्रों के लिए वर्जित था?

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ऋग्वेद में जिस अपराध का सबसे अधिक उल्लेख किया गया है, वह था?

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