"देवनागरी वर्णमाला": अवतरणों में अंतर
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हिन्दी वर्णमाला के समस्त वर्णों को दो भागों में विभक्त किया गया है- स्वर और व्यंजन। | हिन्दी वर्णमाला के समस्त वर्णों को [[व्याकरण (व्यावहारिक)|व्याकरण]] दो भागों में विभक्त किया गया है- स्वर और व्यंजन। | ||
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*जिन वर्णों का उच्चारण करते समय साँस कंठ, तालु आदि स्थानों से बिना रुके हुए निकलती है, उन्हें 'स्वर' कहा जाता है। | *जिन वर्णों का उच्चारण करते समय साँस, कंठ, तालु आदि स्थानों से बिना रुके हुए निकलती है, उन्हें 'स्वर' कहा जाता है। | ||
*हिन्दी में 13 स्वर होते हैं- | *हिन्दी में 13 स्वर होते हैं- | ||
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05:23, 25 दिसम्बर 2010 का अवतरण
हिन्दी वर्णमाला के समस्त वर्णों को व्याकरण दो भागों में विभक्त किया गया है- स्वर और व्यंजन।
स्वर
मुख्य लेख : स्वर (व्याकरण)
- जिन वर्णों का उच्चारण करते समय साँस, कंठ, तालु आदि स्थानों से बिना रुके हुए निकलती है, उन्हें 'स्वर' कहा जाता है।
- हिन्दी में 13 स्वर होते हैं-
अ, आ, इ, ई, उ,
ऊ, ए, ऐ, ओ,
औ, अं, अ:।
व्यंजन
मुख्य लेख : व्यंजन (व्याकरण)
- जिन वर्णों का उच्चारण करते समय साँस कंठ, तालु आदि स्थानों से रुककर निकलती है, उन्हें 'व्यंजन' कहा जाता है।
- प्राय: व्यंजनों का उच्चारण स्वर की सहायता से किया जाता है।
- हिन्दी में 35 व्यंजन होते हैं-
क, ख, ग, घ, ङ (कवर्ग)
च, छ, ज, झ, ञ (चवर्ग)
ट, ठ, ड, ढ, ण (टवर्ग)
त, थ, द, ध, न (तवर्ग)
प, फ, ब, भ, म (पवर्ग)
य, र, ल, व, श
ष, स, ह, ड़, ढ़
संयुक्त व्यंजन
मुख्य लेख : संयुक्त व्यंजन (व्याकरण)
- दो व्यंजनों के योग से बने हुए व्यंजनों को 'संयुक्त-व्यंजन कहते हैं।
- हिन्दी में निम्नलिखित तीन व्यंजन ऐसे हैं, जो दो-दो व्यंजनों के योग से बने हैं, किन्तु एक व्यंजन के रूप में प्रयुक्त होते हैं-
क् और ष के योग से बना हुआ-क्ष
त् और र के योग से बना हुआ-त्र
ज् और ञ के योग से बना हुआ-ज्ञ
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