"हिन्दी सामान्य ज्ञान 3": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
छो ("हिन्दी सामान्य ज्ञान 3" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (बेमियादी) [move=sysop] (बेमियादी))) |
No edit summary |
||
पंक्ति 49: | पंक्ति 49: | ||
-श्यामनारायण पाण्डेय | -श्यामनारायण पाण्डेय | ||
-[[जयशंकर प्रसाद]] | -[[जयशंकर प्रसाद]] | ||
+ | +[[हरिवंश राय बच्चन]] | ||
{[[बिहारी लाल|बिहारी]] किस राजा के दरबारी कवि थे? | {[[बिहारी लाल|बिहारी]] किस राजा के दरबारी कवि थे? | ||
पंक्ति 72: | पंक्ति 57: | ||
-[[नागपुर]] के [[सूर्यवंश|सूर्यवंशी]] भोंसला मकरन्द शाह के | -[[नागपुर]] के [[सूर्यवंश|सूर्यवंशी]] भोंसला मकरन्द शाह के | ||
-चित्रकूट नरेश रुद्रदेव के | -चित्रकूट नरेश रुद्रदेव के | ||
||आमेर नरेश | ||आमेर नरेश मिर्ज़ा [[जयसिंह]] [[मुग़ल काल|मुग़ल]] दरबार का सर्वाधिक प्रभावशाली सामंत था, वह [[औरंगज़ेब]] की आँख का काँटा बना हुआ था। जिस समय दक्षिण में शिवाजी के विजय−अभियानों की घूम थी, और उनसे युद्ध करने में अफजलख़ाँ एवं शाइस्ताख़ाँ की हार हुई थी, तथा राजा [[यशवंतसिंह]] को भी सफलता मिली थी; तब [[औरंगजेब]] ने मिर्ज़ा राजा जयसिंह को शिवाजी को दबाने के लिए भेजा था। इस प्रकार वह एक तीर से दो शिकार करना चाहता था। जयसिंह ने बड़ी बुद्धिमत्ता, वीरता और कूटनीति से [[शिवाजी]] को औरंगजेब से संधि करने के लिए राजी किया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[जयसिंह]] | ||
{[[तुलसीदास]] का वह ग्रंथ कौनसा है, जिसमें ज्योतिष का वर्णन किया गया है? | {[[तुलसीदास]] का वह ग्रंथ कौनसा है, जिसमें ज्योतिष का वर्णन किया गया है? | ||
पंक्ति 106: | पंक्ति 91: | ||
{इनमें किस आलोचक ने अपना कौन सा आलोचना ग्रंथ लिखकर हिन्दी के स्नातकोत्तर कक्षाओं के पाठ्यक्रम में आलोचना के अभाव को पूरा करने का सर्वप्रथम सफल प्रयास किया था? | {इनमें किस आलोचक ने अपना कौन सा आलोचना ग्रंथ लिखकर हिन्दी के स्नातकोत्तर कक्षाओं के पाठ्यक्रम में आलोचना के अभाव को पूरा करने का सर्वप्रथम सफल प्रयास किया था? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-पदुमलाल | -[[पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी]] : विश्व साहित्यविकल्प | ||
-गयाप्रसाद अग्निहोत्री : समालोचना | -गयाप्रसाद अग्निहोत्री : समालोचना | ||
-रामचन्द्र शुक्ल : चिंतामणि | -[[रामचन्द्र शुक्ल]] : चिंतामणि | ||
+श्यामसुन्दर दास : साहित्यालोचन | +[[श्यामसुन्दर दास]] : साहित्यालोचन | ||
{आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने 'त्रिवेणी' में किन तीन महाकवियों की समीक्षाएँ प्रस्तुत की हैं? | {[[आचार्य रामचन्द्र शुक्ल]] ने 'त्रिवेणी' में किन तीन महाकवियों की समीक्षाएँ प्रस्तुत की हैं? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[कबीर]], [[जायसी]], [[सूरदास|सूर]] | -[[कबीर]], [[जायसी]], [[सूरदास|सूर]] | ||
पंक्ति 122: | पंक्ति 107: | ||
||'''मलिक मुहम्मद जायसी''' - मलिक मुहम्मद जायसी (जन्म- 1397 ई॰ और 1494 ई॰ के बीच, मृत्यु- 1542 ई.) भक्ति काल की निर्गुण प्रेमाश्रयी धारा व मलिक वंश के कवि है। जायसी अत्यंत उच्चकोटि के सरल और उदार सूफ़ी महात्मा थे। हिन्दी के प्रसिद्ध सूफ़ी कवि, जिनके लिए केवल 'जायसी' शब्द का प्रयोग भी, उनके उपनाम की भाँति, किया जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[मलिक मुहम्मद जायसी]] | ||'''मलिक मुहम्मद जायसी''' - मलिक मुहम्मद जायसी (जन्म- 1397 ई॰ और 1494 ई॰ के बीच, मृत्यु- 1542 ई.) भक्ति काल की निर्गुण प्रेमाश्रयी धारा व मलिक वंश के कवि है। जायसी अत्यंत उच्चकोटि के सरल और उदार सूफ़ी महात्मा थे। हिन्दी के प्रसिद्ध सूफ़ी कवि, जिनके लिए केवल 'जायसी' शब्द का प्रयोग भी, उनके उपनाम की भाँति, किया जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[मलिक मुहम्मद जायसी]] | ||
{भक्तिकाल में एक ऐसा कवि हुआ, जिसने अपने भाव व्यक्त करने के लिए उर्दू, | {भक्तिकाल में एक ऐसा कवि हुआ, जिसने अपने भाव व्यक्त करने के लिए [[उर्दू भाषा|उर्दू]], [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]], खड़ीबोली आदि के शब्दों का मुक्त उपयोग किया है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[तुलसीदास]] | -[[तुलसीदास]] | ||
पंक्ति 128: | पंक्ति 113: | ||
-[[सूरदास]] | -[[सूरदास]] | ||
+[[कबीर]] | +[[कबीर]] | ||
||महात्मा कबीरदास के जन्म के समय में [[भारत]] की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं धार्मिक दशा शोचनीय थी। एक तरफ मुसलमान शासकों की धर्मांन्धता से जनता परेशान थी और दूसरी तरफ हिन्दू धर्म के कर्मकांड, विधान और पाखंड से धर्म का ह्रास हो रहा था। जनता में भक्ति- भावनाओं का सर्वथा अभाव था। पंडितों के पाखंडपूर्ण वचन समाज में फैले थे। ऐसे संघर्ष के समय में, कबीरदास का प्रार्दुभाव हुआ।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[कबीरदास]] | ||महात्मा कबीरदास के जन्म के समय में [[भारत]] की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं धार्मिक दशा शोचनीय थी। एक तरफ मुसलमान शासकों की धर्मांन्धता से जनता परेशान थी और दूसरी तरफ [[हिन्दू धर्म]] के कर्मकांड, विधान और पाखंड से धर्म का ह्रास हो रहा था। जनता में भक्ति- भावनाओं का सर्वथा अभाव था। पंडितों के पाखंडपूर्ण वचन समाज में फैले थे। ऐसे संघर्ष के समय में, कबीरदास का प्रार्दुभाव हुआ।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[कबीरदास]] | ||
{[[बिहारी लाल|बिहारी]] किस राजा के दरबारी कवि थे? | {[[बिहारी लाल|बिहारी]] किस राजा के दरबारी कवि थे? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-महाराणा प्रताप | -[[महाराणा प्रताप]] | ||
-[[शिवाजी]] | -[[शिवाजी]] | ||
-तेज सिंह | -तेज सिंह | ||
पंक्ति 139: | पंक्ति 124: | ||
{आचार्य शुक्ल के अनुसार इनमें एक ऐसा कवि है, जिसका 'वियोग वर्णन, वियोग वर्णन के लिए ही है, परिस्थिति के अनुरोध से नहीं'? | {[[आचार्य रामचन्द्र शुक्ल]] के अनुसार इनमें एक ऐसा कवि है, जिसका 'वियोग वर्णन, वियोग वर्णन के लिए ही है, परिस्थिति के अनुरोध से नहीं'? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+[[कबीर]] | +[[कबीर]] | ||
पंक्ति 153: | पंक्ति 138: | ||
-[[तुलसीदास]] | -[[तुलसीदास]] | ||
+[[सूरदास]] | +[[सूरदास]] | ||
||हिन्दी साहित्य में [[भक्तिकाल]] में [[कृष्ण]] भक्ति के भक्त कवियों में महाकवि सूरदास का नाम अग्रणी है। सूरदास जी वात्सल्य रस के सम्राट माने जाते हैं। उन्होंने श्रृंगार और शान्त रसों का भी बड़ा मर्मस्पर्शी वर्णन किया है। उनका जन्म 1478 ईस्वी में [[मथुरा]] [[आगरा]] मार्ग पर स्थित [[रुनकता]] नामक | ||हिन्दी साहित्य में [[भक्तिकाल]] में [[कृष्ण]] भक्ति के भक्त कवियों में महाकवि सूरदास का नाम अग्रणी है। सूरदास जी वात्सल्य रस के सम्राट माने जाते हैं। उन्होंने श्रृंगार और शान्त रसों का भी बड़ा मर्मस्पर्शी वर्णन किया है। उनका जन्म 1478 ईस्वी में [[मथुरा]] [[आगरा]] मार्ग पर स्थित [[रुनकता]] नामक गाँव में हुआ था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[सूरदास]] | ||
{[[भक्तिकाल]] का एक कवि अवतारवाद और मूर्तिपूजा का विरोधी है. इसके | {[[भक्तिकाल]] का एक कवि अवतारवाद और मूर्तिपूजा का विरोधी है. इसके बावज़ूद वह [[हिन्दू धर्म|हिन्दूओं]] के जन्म-मृत्यु सम्बन्धी सिद्धांत को मानता है, ऐसा रचनाकार है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[जायसी]] | -[[जायसी]] | ||
पंक्ति 175: | पंक्ति 160: | ||
-चन्द्रबली पाण्डेय | -चन्द्रबली पाण्डेय | ||
-डॉ. भगवतीप्रसाद सिंह | -डॉ. भगवतीप्रसाद सिंह | ||
+रामचन्द्र शुक्ल | +[[रामचन्द्र शुक्ल]] | ||
{दोहा छन्द में श्रृंगारी रचना प्रस्तुत करने वालों में हिन्दी के सर्वाधिक ख्यातिलब्ध कवि हैं? | {दोहा छन्द में श्रृंगारी रचना प्रस्तुत करने वालों में [[हिन्दी]] के सर्वाधिक ख्यातिलब्ध कवि हैं? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[रहीम]] | -[[रहीम]] |
06:06, 31 दिसम्बर 2010 का अवतरण
सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी
राज्यों के सामान्य ज्ञान
पन्ने पर जाएँ
|