"श्लेष अलंकार": अवतरणों में अंतर
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जिस जगह पर ऐसे [[शब्द (व्याकरण)|शब्दों]] का प्रयोग हो, जिन शब्दों के एक से अधिक अर्थ निलकते हो, वहाँ पर श्लेष अलंकार होता है।<ref>{{cite web |url=http://www.hindikunj.com/2009/08/blog-post_29.html |title=अलंकार |accessmonthday=[[4 जनवरी]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format=एच टी एम एल |publisher=हिन्दीकुंज |language=हिन्दी }}</ref> | जिस जगह पर ऐसे [[शब्द (व्याकरण)|शब्दों]] का प्रयोग हो, जिन शब्दों के एक से अधिक अर्थ निलकते हो, वहाँ पर श्लेष अलंकार होता है।<ref>{{cite web |url=http://www.hindikunj.com/2009/08/blog-post_29.html |title=अलंकार |accessmonthday=[[4 जनवरी]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format=एच टी एम एल |publisher=हिन्दीकुंज |language=हिन्दी }}</ref> | ||
< | ;<u>उदाहरण</u> | ||
चिरजीवो जोरी जुरे क्यों न सनेह गंभीर। | चिरजीवो जोरी जुरे क्यों न सनेह गंभीर। | ||
को घटि ये वृष भानुजा, वे हलधर के बीर।।</poem> | को घटि ये वृष भानुजा, वे हलधर के बीर।।</poem> | ||
*इस जगह पर वृषभानुजा के दो अर्थ हैं- | *इस जगह पर वृषभानुजा के दो अर्थ हैं- | ||
#वृषभानु की पुत्री राधा | #वृषभानु की पुत्री राधा |
10:55, 4 जनवरी 2011 का अवतरण
जिस जगह पर ऐसे शब्दों का प्रयोग हो, जिन शब्दों के एक से अधिक अर्थ निलकते हो, वहाँ पर श्लेष अलंकार होता है।[1]
- उदाहरण
चिरजीवो जोरी जुरे क्यों न सनेह गंभीर। को घटि ये वृष भानुजा, वे हलधर के बीर।।</poem>
- इस जगह पर वृषभानुजा के दो अर्थ हैं-
- वृषभानु की पुत्री राधा
- वृषभ की अनुजा गाय।
- इसी प्रकार हलधर के भी दो अर्थ है-
- बलराम
- हल को धारण करने वाला बैल
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