"उदयगिरि पहाड़ियाँ": अवतरणों में अंतर

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*इनमें से सबसे विशाल उदयगिरि की हाल में हुई खुदाई के कारण प्रमुखता मिली है।  
*इनमें से सबसे विशाल उदयगिरि की हाल में हुई खुदाई के कारण प्रमुखता मिली है।  
*खुदाई से ज्ञात पेगोड़ा (बौद्ध मठ) का नाम माधवपुरा महाविहार था।  
*खुदाई से ज्ञात पेगोड़ा (बौद्ध मठ) का नाम माधवपुरा महाविहार था।  
*इन पहाड़ियों में सबसे महत्वपूर्ण रत्नगिरि है, जिले तत्कालीन समय का उल्लेखनीय बौद्ध केन्द्र माना गया है।  
*इन पहाड़ियों में सबसे महत्त्वपूर्ण रत्नगिरि है, जिले तत्कालीन समय का उल्लेखनीय बौद्ध केन्द्र माना गया है।  
*प्राचीन काल के विद्वान इस संकुल में रत्नगिरि को मानते हैं।  
*प्राचीन काल के विद्वान इस संकुल में रत्नगिरि को मानते हैं।  
*गुप्तोत्तर काल में यह स्थान बौद्ध शिल्प का सम्भवतः सबसे बड़ा केन्द्र था।  
*गुप्तोत्तर काल में यह स्थान बौद्ध शिल्प का सम्भवतः सबसे बड़ा केन्द्र था।  
*यहाँ के बौद्ध विहार के कलात्मक शिल्प एवं उत्कीर्ण द्धार-पार्श्वों से यह प्रमाणित होता है।  
*यहाँ के बौद्ध विहार के कलात्मक शिल्प एवं उत्कीर्ण द्धार-पार्श्वों से यह प्रमाणित होता है।  
*प्रथम शताब्दी का ललितगिरि इन तीनों में सबसे पुराना है।  
*प्रथम शताब्दी का ललितगिरि इन तीनों में सबसे पुराना है।  
*ललितगिरि में हाल ही में हुई खुदाई में महत्वपूर्ण पुरातात्विक सामग्री मिली है, जिससे ज्ञात होता है कि यह बौद्ध आकर्षण का एक महान केन्द्र था।  
*ललितगिरि में हाल ही में हुई खुदाई में महत्त्वपूर्ण पुरातात्विक सामग्री मिली है, जिससे ज्ञात होता है कि यह बौद्ध आकर्षण का एक महान केन्द्र था।  


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13:23, 4 जनवरी 2011 का अवतरण

  • ये पहाड़ियाँ पूर्वी भारत में उड़ीसा प्रांत का बौद्ध संकुल हैं।
  • चीनी यात्री ह्येनसांग ने इस क्षेत्र को पुष्पगिरि नामक समृद्ध बौद्ध विश्वविद्यालय के रुप में देखा था।
  • कटक के निकट केन्द्रपाड़ा-जाजपुर जिलों में स्थित इन तीन पहाड़ियों में उत्खनन से बने पेगोड़ा के अवशेष, नक़्क़ाशीदार पत्थर के प्रवेशद्वार तथा रहस्यमयी बौद्ध प्रतिमाएँ मिली है।
  • इनमें से सबसे विशाल उदयगिरि की हाल में हुई खुदाई के कारण प्रमुखता मिली है।
  • खुदाई से ज्ञात पेगोड़ा (बौद्ध मठ) का नाम माधवपुरा महाविहार था।
  • इन पहाड़ियों में सबसे महत्त्वपूर्ण रत्नगिरि है, जिले तत्कालीन समय का उल्लेखनीय बौद्ध केन्द्र माना गया है।
  • प्राचीन काल के विद्वान इस संकुल में रत्नगिरि को मानते हैं।
  • गुप्तोत्तर काल में यह स्थान बौद्ध शिल्प का सम्भवतः सबसे बड़ा केन्द्र था।
  • यहाँ के बौद्ध विहार के कलात्मक शिल्प एवं उत्कीर्ण द्धार-पार्श्वों से यह प्रमाणित होता है।
  • प्रथम शताब्दी का ललितगिरि इन तीनों में सबसे पुराना है।
  • ललितगिरि में हाल ही में हुई खुदाई में महत्त्वपूर्ण पुरातात्विक सामग्री मिली है, जिससे ज्ञात होता है कि यह बौद्ध आकर्षण का एक महान केन्द्र था।


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