"धूमकेतु": अवतरणों में अंतर
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*धूमकेतु हमेशा के लिए टिकाऊ नहीं होते हैं, फिर भी प्रत्येक धूमकेतु के लौटने का समय निश्चित होता है। | *धूमकेतु हमेशा के लिए टिकाऊ नहीं होते हैं, फिर भी प्रत्येक धूमकेतु के लौटने का समय निश्चित होता है। | ||
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12:37, 10 जनवरी 2011 का अवतरण
![](/w/images/thumb/d/d5/Comet.jpg/150px-Comet.jpg)
Comet
- सौरमण्डल के छोर पर बहुत ही छोटे–छोटे अरबों पिण्ड विद्यमान हैं, जो धूमकेतु या पुच्छल तारा कहलाते हैं।
- यह गैस एवं धूल का संग्रह हैं, जो आकाश में लम्बी चमकदार पूँछ सहित प्रकाश के चमकीले गोले के रूप में दिखाई देते हैं।
- धूमकेतु केवल तभी दिखाई पड़ता है, जब वह सूर्य की ओर अग्रसर होता है, क्योंकि सूर्य कि किरणें इसकी गैस को चमकीला बना देती हैं।
- धूमकेतु की पूँछ हमेशा सूर्य से दूर होती प्रतीत होती है।
- हैले नामक धूमकेतु का परिक्रमण काल 76 वर्ष है, यह अन्तिम बार 1986 में दिखाई दिया था। अगली बार यह 1986+76=2062 में दिखाई देगा।
- धूमकेतु हमेशा के लिए टिकाऊ नहीं होते हैं, फिर भी प्रत्येक धूमकेतु के लौटने का समय निश्चित होता है।
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