"दृष्टकूट": अवतरणों में अंतर
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|उदाहरण= वह कविता जिसको शब्दों के वाच्यार्थ से न जाना जा सके अपितु प्रसंग और रूढ़ अर्थों की सहायता से जाना जाए। | |उदाहरण= वह कविता जिसको शब्दों के वाच्यार्थ से न जाना जा सके अपितु प्रसंग और रूढ़ अर्थों की सहायता से जाना जाए। | ||
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06:50, 11 जनवरी 2011 का अवतरण
हिन्दी | पहेली, गूढ़, प्रश्न |
-व्याकरण | पुल्लिंग- कठिन प्रश्न, (कर्मवाचक संज्ञा) |
-उदाहरण | वह कविता जिसको शब्दों के वाच्यार्थ से न जाना जा सके अपितु प्रसंग और रूढ़ अर्थों की सहायता से जाना जाए। |
-विशेष | इसका एक उदाहरण दृष्टव्य है- कृष्ण वियोग में गोपिकाओं का कथन है- ग्रह, नक्षत्र जुग जोरि अरध करि सोई बनत अब खात। यहाँ ग्रह अर्थात् 9, नक्षत्र अर्थात् 27, जुग अर्थात् 4 को जोरि (जोड़कर) प्राप्त 40 को अरध करि (आशा करके) प्राप्त 'बीस' (अर्थात् बिस=विष) खाते ही अब बनता है। |
-विलोम | |
-पर्यायवाची | |
संस्कृत | दृष्ट सामान्यत: कूट |
अन्य ग्रंथ | |
संबंधित शब्द | दृष्ट, दृष्ट दोष, दृष्टफल, दृष्टवत, दृष्टवाद, दृष्टांत, दृष्टार्थ |
संबंधित लेख |