"बरार": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
पंक्ति 6: पंक्ति 6:
यह क्षेत्र मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर करता है, जिसके आधे मूभाग पर नक़दी फ़सलों ( कपास और तिलहन ) की उपज होती है। लगभग सभी उद्योग इन फ़सलों के प्रसंस्करण पर निर्भर करते हैं।
यह क्षेत्र मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर करता है, जिसके आधे मूभाग पर नक़दी फ़सलों ( कपास और तिलहन ) की उपज होती है। लगभग सभी उद्योग इन फ़सलों के प्रसंस्करण पर निर्भर करते हैं।


==संबंधित लेख==
{{महाराष्ट्र के पर्यटन स्थल}}
[[Category:इतिहास_कोश]][[Category:महाराष्ट्र]][[Category:महाराष्ट्र_के_नगर]]__INDEX__
[[Category:इतिहास_कोश]][[Category:महाराष्ट्र]][[Category:महाराष्ट्र_के_नगर]]__INDEX__

11:18, 19 जनवरी 2011 का अवतरण

स्थापना

बरार कपास उत्पादक क्षेत्र, पूर्वी-मध्य महाराष्ट्र राज्य, के पश्चिमी भारत, में है। यह क्षेत्र पुर्णा नदी बेसिन के साथ-साथ लगभग 320 किमी पूर्व-पश्चिम दिशा की ओर फैला हुआ है। समुद्र तल से इसकी ऊँचाई 200 से 500 मीटर है। बरार उत्तर में गाविलगढ़ की पहाड़ियों ( मेलघाट ) से और दक्षिण में अजंता पर्वतश्रेणी से घिरा हुआ है।

इतिहास

ऐतिहासिक तौर पर बरार एक अपरिभाषित सीमा क्षेत्र वाले प्रांत का नाम था, जिसका प्रशासनिक महत्त्व समाप्त हो चुका है, क्योंकि विदर्भ शब्द ने इसका स्थान ले लिया है। वैसे यह नाम काफ़ी विस्तृत क्षेत्र के लिए प्रयुक्त होता है, जिसमें नागपुर के मैदानी एवं महाराष्ट्र के सुदूर पूर्वी हिस्से सम्मिलित हैं। 13वीं शताब्दी में मुस्लिम सेनाओं के आक्रमण के बाद बरार एक स्पष्ट राजनीतिक इकाई के रूप में उभरा था। मुस्लिम साम्राज्य के बिखरने तक यह अनेक मुस्लिम राज्यों का हिस्सा रहा और उसके बाद हैदराबाद के निज़ाम के अधीन हो गया। 1853 में यह ब्रिटिश नियंत्रण में आया और 1948 में प्रांत के रूप में इसका अस्तित्व समाप्त कर दिया गया। अमरावती और अकोला इसके मुख्य शहर हैं। बुलधाना-यवतमाल पठार पर बरार का सुदूर दक्षिणी इलाक़ा पुर्णा नदी बेसिक की तुलना में कम विकसित है।

कृषि और खनिज

यह क्षेत्र मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर करता है, जिसके आधे मूभाग पर नक़दी फ़सलों ( कपास और तिलहन ) की उपज होती है। लगभग सभी उद्योग इन फ़सलों के प्रसंस्करण पर निर्भर करते हैं।

संबंधित लेख