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*आज यह क़िला सशस्त्र सेना के अधीन है तथा पर्यटकों को इसमें स्थित ''पातालपुरी मंदिर'' एवं अक्षय वट-वृक्ष तक जाने की अनुमति है।
*आज यह क़िला सशस्त्र सेना के अधीन है तथा पर्यटकों को इसमें स्थित ''पातालपुरी मंदिर'' एवं अक्षय वट-वृक्ष तक जाने की अनुमति है।


====अशोक स्तम्भ====
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*इलाहाबाद क़िले के मुख्य द्वार पर स्थित 10.6 मीतर की ऊँचाई का यह [[स्तम्भ]] 232 ई.पू. के समय का है।
*इलाहाबाद क़िले के मुख्य द्वार पर स्थित 10.6 मीतर की ऊँचाई का यह [[स्तम्भ]] 232 ई.पू. के समय का है।
*200 ई. में [[समुद्रगुप्त]] इसे कौशाम्बी से [[प्रयाग]] लाया और उसके दरबारी कवि हरिषेण द्वारा रचित प्रयाग-प्रशस्ति इस पर ख़ुदवाया गया।  
*200 ई. में [[समुद्रगुप्त]] इसे कौशाम्बी से [[प्रयाग]] लाया और उसके दरबारी कवि हरिषेण द्वारा रचित प्रयाग-प्रशस्ति इस पर ख़ुदवाया गया।  

13:12, 27 जनवरी 2011 का अवतरण

इलाहाबाद में कुम्भ मेला

एक प्राचीन किंवदन्ती के अनुसार प्रयाग का एक नाम इलाबास भी था जो मनु की पुत्री इला के नाम पर था। प्रयाग के निकट भुसी या प्रतिष्ठानपुर में चन्द्रवंशी राजाओं की राजधानी थी। इसका पहला राजा इला और बुध का पुत्र पुरुरवा एल हुआ। उसी ने अपनी राजधानी को इलाबास की संज्ञा दी जिसका रूपांतर अकबर के समय में इलाहाबाद हो गया।

पर्यटन स्थल

पर्यटकों के लिये यहाँ ब्रिटिश काल का एक सरकारी बंगला, आंग्ल व रोमन कैथॅलिक गिरजाघर और जामी मस्जिद भी हैं। उत्तर प्रदेश के इस ऐतिहासिक शहर का प्रशासनिक, शैक्षिक, धार्मिक, और सांस्कृतिक दृष्टि से अग्रणी स्थान है। इस शहर का उल्लेख भारत के धार्मिक ग्रन्थों में भी मिलता है। वेद, पुराण, रामायण और महाभारत में इस स्थान को प्रयाग कहा गया है। गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का यहां संगम होता है।

संगम

  • यह तीन पवित्र नदियों (गंगा, यमुना और सरस्वती) के मिलन का स्थान है।
  • यहाँ वर्ष भर लाखों श्रद्धालु आते है और संगम में डुबकी लगाकर अपने आपको धन्य समझते हैं।

इलाहाबाद क़िला

  • गंगा-यमुना के पवित्र संगम के किनारे स्थित इस भव्य क़िले का निर्माण बादशाह अकबर ने 1583 ई. में करवाया था।
  • आज यह क़िला सशस्त्र सेना के अधीन है तथा पर्यटकों को इसमें स्थित पातालपुरी मंदिर एवं अक्षय वट-वृक्ष तक जाने की अनुमति है।

अशोक स्‍तम्‍भ

  • इलाहाबाद क़िले के मुख्य द्वार पर स्थित 10.6 मीतर की ऊँचाई का यह स्तम्भ 232 ई.पू. के समय का है।
  • 200 ई. में समुद्रगुप्त इसे कौशाम्बी से प्रयाग लाया और उसके दरबारी कवि हरिषेण द्वारा रचित प्रयाग-प्रशस्ति इस पर ख़ुदवाया गया।
  • 1800 ई. में किले की प्राचीर सीधी बनाने हेतु इस स्तम्भ को गिरा दिया गया और 1838 में अंग्रेज़ों ने इसे पुनः खड़ा किया।[1]

स्वराज भवन

संगम, इलाहाबाद
Sangam Allahabad
  • इस ऐतिहासिक इमारत को मोतीलाल नेहरू ने बनवाया था। 1930 में उन्होंने इसे राष्ट्र को समर्पित कर दिया था और एक नया भवन बनवाया और इसका नाम भी ‘आनंद भवन’ रखा।
  • इसी स्वराज भवन मे आज़ादी की लड़ाई के दौरन यहाँ के तहखाने मे बने एक कमरे मे स्वतंत्रता संग्रामियों की मीटिंग होती थी।
  • इस भवन मे मोती लाल नेहरू, सरोजिनी नायडू, कमला नेहरू और जवाहर लाल नेहरू के कमरे और उनका ऑफिस वगैरा देखने को मिलता है।[2]

आनंद भवन

  • आनंद भवन और उसके बराबर में स्थित स्वराज भवन आज ऐतिहासिक धरोहर के रूप में विख्यात है।
  • एक जमाने में आनंद भवन भारतीय राजनीति में अहम स्थान रखने वाले नेहरू परिवार का निवास स्थान था।

हनुमान मंदिर

  • संगम के निकट स्थित यह मंदिर प्रसिद्ध है।
  • हनुमान मंदिर में भगवान हनुमान की विशाल मूर्ति लेटे हुए दिखाया गया है।

इलाहाबाद संग्रहालय

  • इलाहाबाद संग्रहालय चन्द्र शेखर आजाद पार्क के निकट स्थित है।
  • इलाहाबाद संग्रहालय में गुप्त साम्राज्य के समय की टेराकोटा एवं वास्तुकला की चीजें प्रदर्शीत हैं।

पत्थर गिरजाघर

  • पत्थर गिरजाघर 1870 ई. में सर विलियम एम्र्सन ने इसका निर्माण गोथिक शैली में करवाया था।
  • पत्थर गिरजाघर भी शहर की एक देखने योग्य ऐतिहासिक इमारत है।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. तीर्थराज प्रयाग: इतिहास के आईने में (हिन्दी) सृजनगाथा। अभिगमन तिथि: 27 दिसंबर, 2010
  2. इलाहाबाद यात्रा की यादें (४) स्वराज भवन घूमना (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल)। {{{publisher}}}। अभिगमन तिथि: 27 दिसंबर, 2010

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