"भारतकोश:Quotations/रविवार": अवतरणों में अंतर
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*प्रेम रीति से जो मिलै, तासों मिलिए धाय ।<br > अंतर राखे जो मिलै, तासौ मिलै बलाय॥ -'''[[कबीर]]''' | *प्रेम रीति से जो मिलै, तासों मिलिए धाय ।<br > अंतर राखे जो मिलै, तासौ मिलै बलाय॥ -'''[[कबीर]]''' | ||
*धन खोकर अगर हम अपनी आत्मा को पा सकें, तो यह कोई महँगा सौदा नहीं है। -'''[[प्रेमचंद|प्रेमचन्द]]''' (गोदान, पृ॰297) | *धन खोकर अगर हम अपनी आत्मा को पा सकें, तो यह कोई महँगा सौदा नहीं है। -'''[[प्रेमचंद|प्रेमचन्द]]''' (गोदान, पृ॰297) | ||
*भाषा संस्कृति का वाहन है और उसका अंग भी। -'''रामविलास शर्मा''' (भाषा और समाज, पृ॰ 445) '''[[सूक्ति और कहावत|.... और पढ़ें]]''' | *भाषा संस्कृति का वाहन है और उसका अंग भी। -'''[रामविलास शर्मा]''' (भाषा और समाज, पृ॰ 445) '''[[सूक्ति और कहावत|.... और पढ़ें]]''' |
10:39, 31 जनवरी 2011 का अवतरण
- कला का सत्य जीवन की परिधि में सौन्दर्य के माध्यम द्वारा व्यक्त अखण्ड सत्य है। -महादेवी वर्मा (दीपशिखा चिंतन के कुछ क्षण, पृ. 10)
- द्वेष का मायाजाल बड़ी-बड़ी मछलियों को ही फँसाता है। छोटी मछलियाँ या तो उसमें फँसती ही नहीं या तुरन्त निकल जाती हैं। उनके लिए वह घातक जाल क्रीड़ा की वस्तु है, भय की नहीं। -प्रेमचन्द (गोदान, पृ॰ 44)
- प्रेम रीति से जो मिलै, तासों मिलिए धाय ।
अंतर राखे जो मिलै, तासौ मिलै बलाय॥ -कबीर - धन खोकर अगर हम अपनी आत्मा को पा सकें, तो यह कोई महँगा सौदा नहीं है। -प्रेमचन्द (गोदान, पृ॰297)
- भाषा संस्कृति का वाहन है और उसका अंग भी। -[रामविलास शर्मा] (भाषा और समाज, पृ॰ 445) .... और पढ़ें