"तरबूज़": अवतरणों में अंतर
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तरबूज की खेती सम्पूर्ण [[भारत]] में की जाती है, लेकिन उत्तरी भारत में इसको अधिक महत्व दिया जाता है। तरबूज शरीर को ठंडक पहुँचाने के साथ-साथ [[ऊर्जा]] भी देता है। तरबूज में प्रचुर मात्रा में [[विटामिन]] ए, बी और सी, आयरन के अलावा | तरबूज की खेती सम्पूर्ण [[भारत]] में की जाती है, लेकिन उत्तरी भारत में इसको अधिक महत्व दिया जाता है। तरबूज शरीर को ठंडक पहुँचाने के साथ-साथ [[ऊर्जा]] भी देता है। तरबूज में प्रचुर मात्रा में [[विटामिन]] ए, बी और सी, आयरन के अलावा [[मैग्नीशियम]] और [[पोटैशियम]] भी पाया जाता है। यह खून साफ करने के साथ पथरी, [[हृदय]] रोग और कैंसर जैसी बीमारियों के खतरे से बचाता है। इसमें पानी की मात्रा 92 प्रतिशत जबकि कैलोरी की मात्रा शून्य होती है। | ||
==उत्पत्ति== | ==उत्पत्ति== | ||
तरबूज का जन्म स्थान अफ़्रीका है, | तरबूज का जन्म स्थान अफ़्रीका है, इससे बहुत पहले यह भारत में उगने लगा। अत: इसका उत्पत्ति स्थान भारत ही माना जाता है। | ||
तरबूज का प्रयोग मीठा अचार बनाने में किया जाता है। दक्षिणी रूस में तरबूज के रस से बियर तैयार की जाती है। इसके रस को गाढ़ा बनाकर प्रयोग किया जाता है। इसके बीजों को भी छीलकर खाया जाता है। | तरबूज का प्रयोग मीठा अचार बनाने में किया जाता है। दक्षिणी रूस में तरबूज के रस से बियर तैयार की जाती है। इसके रस को गाढ़ा बनाकर प्रयोग किया जाता है। इसके बीजों को भी छीलकर खाया जाता है। | ||
==जलवायु== | ==जलवायु== | ||
तरबूज की फसल लम्बी अवधि वाली मानी जाती है, | तरबूज की फसल लम्बी अवधि वाली मानी जाती है, जिसकों उच्च तापक्रम की आवश्यकता होती है। पकने के समय [[तेज]] धूप तथा उच्च तापक्रम आवश्यक होता है। ऐसे मौसम में [[भारत के फल|फलों]] में मिठास बढ़ जाती है। इसकी खेती के लिए निम्न तापक्रम तथा नम जलवायु अनुपयुक्त होती है। | ||
==भूमि== | ==भूमि== | ||
इसकी सफल खेती के लिए उपजाऊ हल्की दोमट मिट्टी सर्वोत्तम मानी जाती है। | इसकी सफल खेती के लिए उपजाऊ हल्की दोमट मिट्टी सर्वोत्तम मानी जाती है। | ||
==जातियाँ== | ==जातियाँ== | ||
====विदेशी जातियाँ==== | ====विदेशी जातियाँ==== | ||
आशाही यामेंटो, सुगर बेबी, न्यू हैम्पसाइर मिदगट, दिक्षली क्वीन, क्लेंकले क्लोन डायक। | आशाही यामेंटो, सुगर बेबी, न्यू हैम्पसाइर मिदगट, दिक्षली क्वीन, क्लेंकले क्लोन डायक। | ||
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स्थानीय जातियाँ- [[जयपुर]]-स्थानीय, [[दिल्ली]]-स्थानीय, फरूख़ाबादी, फैजाबादी, जौनपुर लाल, भागलपुरी। | स्थानीय जातियाँ- [[जयपुर]]-स्थानीय, [[दिल्ली]]-स्थानीय, फरूख़ाबादी, फैजाबादी, जौनपुर लाल, भागलपुरी। | ||
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इम्प्रूव्ड शियर, दुर्गापुर केसर, पूसा, वदाना अर्का ज्योति, दुर्गापुरा मीठा, सलैक्सन-1, अर्का मानिक। | इम्प्रूव्ड शियर, दुर्गापुर केसर, पूसा, वदाना अर्का ज्योति, दुर्गापुरा मीठा, सलैक्सन-1, अर्का मानिक। | ||
इंडो अमेरिकन हाइब्रिड सीड कम्पनी द्वारा 'मधु', 'मिलन' एवं 'मोहनी' शंकर किस्में विकसित की गई हैं। | इंडो अमेरिकन हाइब्रिड सीड कम्पनी द्वारा 'मधु', 'मिलन' एवं 'मोहनी' शंकर किस्में विकसित की गई हैं। | ||
==खाद एवं उर्वरक== | ==खाद एवं उर्वरक== | ||
उद्यान विज्ञान विशेषज्ञों द्वारा तरबूज के लिए निम्न खाद की मात्रा अभिस्तावित की गई है। | उद्यान [[विज्ञान]] विशेषज्ञों द्वारा तरबूज के लिए निम्न खाद की मात्रा अभिस्तावित की गई है। | ||
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।गोबर की खाद | |||
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|175 किलोग्राम. प्रतिहैक्टर (80 किलोग्राम. नत्रजन) | |175 किलोग्राम. प्रतिहैक्टर (80 किलोग्राम. नत्रजन) | ||
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गोबर की खाद, फॉस्फोरस एवं पोटाश की पूरी मात्रा एवं नत्रजन की एक तिहाई मात्रा बुवाई से | *गोबर की खाद, फॉस्फोरस एवं पोटाश की पूरी मात्रा एवं नत्रजन की एक तिहाई मात्रा बुवाई से पहले दी जाती है। | ||
*नत्रजन की शेष मात्रा दो बार में बढ़वार एवं [[भारत के पुष्प|फूल]] आने के समय दी जाती हैं। | |||
==बीज की मात्रा== | ==बीज की मात्रा== | ||
4 से 4.5 | 4 से 4.5 कि.ग्रा. बीज प्रति हैक्टर पर्याप्त समझा जाता है। | ||
== बोने का समय== | ==बोने का समय== | ||
मुख्य रूप से बुवाई [[जनवरी]] से [[मार्च]] के प्रथम सप्ताह तक की जाती | मुख्य रूप से बुवाई [[जनवरी]] से [[मार्च]] के प्रथम सप्ताह तक की जाती है; अगर पाले से बचाव हो तो इसकी बुवाई [[अक्टूबर]] से [[नवम्बर]] में भी की जा सकती है। | ||
==निकाई-गुड़ाई== | ==निकाई-गुड़ाई== | ||
2-3 निकाई-गुड़ाई करके खरपतवारों को बेलों के पास से निकाल दिया जाता है। गुड़ाई की क्रिया अधिक गहराई तक नहीं करनी चाहिये, नहीं तो | 2-3 निकाई-गुड़ाई करके खरपतवारों को बेलों के पास से निकाल दिया जाता है। गुड़ाई की क्रिया अधिक गहराई तक नहीं करनी चाहिये, नहीं तो जड़ें कटने का भय रहता है। | ||
==सिंचाई== | ==सिंचाई== | ||
तरबूज में सिंचाई प्रति सप्ताह करानी चाहिये। आवश्यकतानुसार सिंचाईयों के | तरबूज में सिंचाई प्रति सप्ताह करानी चाहिये। आवश्यकतानुसार सिंचाईयों के बीच के अंतर को कम किया जा सकता है। फल पकते समय पानी कम देना चाहिये, जिससे फल अधिक मीठे एवं स्वादिष्ट हो सकें। | ||
==तोड़ाई== | ==तोड़ाई== | ||
तरबूज के फल पकने की जाँच अनुभवी उत्पादक तुरन्त लेता है। फिर भी जानकारी के लिए जब फल के सबसे नजदीक का तंतु बिल्कुल सूख जाये तथा फल बजाने पर दब-दब की आवाज करने लगे, तो फल को पका समझना चाहिये। | तरबूज के फल पकने की जाँच अनुभवी उत्पादक तुरन्त कर लेता है। फिर भी जानकारी के लिए जब फल के सबसे नजदीक का तंतु बिल्कुल सूख जाये तथा फल बजाने पर दब-दब की आवाज करने लगे, तो फल को पका समझना चाहिये। | ||
==उपज== | ==उपज== | ||
तरबूज की पैदावार 250-500 कुंतल प्रति | तरबूज की पैदावार 250-500 कुंतल प्रति हैक्टेयर होती है। | ||
==बीज उत्पादन== | ==बीज उत्पादन== | ||
तरबूज का सही बीज बाजार में उपलब्ध होना एक समस्या होती है क्योंकि इसकी बहुत सी जातियाँ पास-पास खेतों में लगी होती हैं तथा परसेचन द्वारा एक जाति का परागण दूसरी जाति से हो जाता है। बीज की अच्छी किस्म लेने के लिए फल को चख कर देखना चाहिये तथा बीजों को अधिक | तरबूज का सही बीज बाजार में उपलब्ध होना एक समस्या होती है क्योंकि इसकी बहुत सी जातियाँ पास-पास खेतों में लगी होती हैं तथा परसेचन द्वारा एक जाति का परागण दूसरी जाति से हो जाता है। बीज की अच्छी किस्म लेने के लिए फल को चख कर देखना चाहिये तथा बीजों को अधिक मीठें फलों से इकठ्ठा कर लेना चाहिये। तत्पश्चात इन बीजों को अलग से खेतों में बोना चाहिये। यह ध्यान रहे कि कम से कम 3-4 किमी की परधि में इसकी अन्य जाति न लगाई गई हो। फिर से मीठें फलों से बीज इकठ्ठा कर लिया जाता है। एक वर्ष के चुनाव के बाद भी सभी तरबूज मीठें प्राप्त नहीं हो पाते हैं। इस प्रकार का चुनाव अगले कुछ वर्षों तक करते रहना चाहिये, जब तक कि अधिक मात्रा में उच्च कोटि के बीज प्राप्त नहीं हो जाते। | ||
==तरबूज के फ़ायदे== | ==तरबूज के फ़ायदे== | ||
जैसा कि कहा जाता है कि '[[आम]] के आम और गुठलियों के भी दाम' उसी प्रकार तरबूज का सेवन तो हमारे स्वास्थ्य और सौंदर्य दोनों के लिए फायदेमंद होता है परंतु साथ ही इसके बीज भी बहुत गुणकारी होते हैं। | जैसा कि कहा जाता है कि '''[[आम]] के आम और गुठलियों के भी दाम''' उसी प्रकार तरबूज का सेवन तो हमारे स्वास्थ्य और सौंदर्य दोनों के लिए फायदेमंद होता है परंतु साथ ही इसके बीज भी बहुत गुणकारी होते हैं। | ||
*तरबूज आकर्षक और स्वास्थ्यवर्धक फल है। तरबूज खाना इसलिए आवश्यक है क्योंकि यह शरीर में पानी की कमी को पूरा करता | *तरबूज आकर्षक और स्वास्थ्यवर्धक फल है। तरबूज खाना इसलिए आवश्यक है क्योंकि यह शरीर में पानी की कमी को पूरा करता है। हमें वही फल ज़्यादा खाने चाहिए जो शरीर में पानी की आपूर्ति भी करते रहें। | ||
*तरबूज रक्तचाप को संतुलित रखता है और कई बीमारियाँ दूर करता | *तरबूज [[रक्तचाप]] को संतुलित रखता है और कई बीमारियाँ दूर करता है। इसके और भी फायदे हैं जैसे: खाना खाने के उपरांत तरबूज का रस पीने से भोजन शीघ्र पच जाता है। इससे नींद भी अच्छी आती है। | ||
*इसके रस से लू लगने का | *इसके रस से लू लगने का भय भी नहीं रहता। मोटापा कम करने वालों के लिए यह उत्तम आहार है। | ||
*पोलियो रोगियों को तरबूज का सेवन करना बहुत लाभकारी रहता है, क्योंकि यह खून को बढ़ाता है और उसे साफ भी करता | *[[पोलियो]] रोगियों को तरबूज का सेवन करना बहुत लाभकारी रहता है, क्योंकि यह खून को बढ़ाता है और उसे साफ भी करता है। | ||
*त्वचा रोगों के लिए यह फायदेमंद है, तपती धूप में जब सिरदर्द होने लगे तो तरबूज के रस को आधा गिलास पानी में मिलाकर पीना चाहिए। | *त्वचा रोगों के लिए यह फायदेमंद है, तपती धूप में जब सिरदर्द होने लगे तो तरबूज के रस को आधा गिलास पानी में मिलाकर पीना चाहिए। | ||
*पेशाब में जलन हो तो ओस या बर्फ में रखे हुए तरबूज का रस निकालकर सुबह | *पेशाब में जलन हो तो ओस या बर्फ में रखे हुए तरबूज का रस निकालकर सुबह शक्कर मिलाकर पीने से लाभ होता है। | ||
*तरबूज के बीजों को छीलकर अंदर की गिरी खाने से शरीर में ताकत आती है। [[मस्तिष्क]] की कमजोर नसों को बल मिलता है, टखनों के पास की सूजन भी ठीक हो जाती है। | *तरबूज के बीजों को छीलकर अंदर की गिरी खाने से शरीर में ताकत आती है। [[मस्तिष्क]] की कमजोर नसों को बल मिलता है, टखनों के पास की सूजन भी ठीक हो जाती है। | ||
*तरबूज के बीजों की गिरी में मिश्री, सौंफ, बारीक पीसकर मिलाकर खाने से गर्भ में पल रहे शिशु का विकास अच्छा होता है। | *तरबूज के बीजों की गिरी में [[मिश्री]], [[सौंफ]], बारीक पीसकर मिलाकर खाने से गर्भ में पल रहे शिशु का विकास अच्छा होता है। | ||
*बीजों को चबा-चबाकर चूसने से दाँतों के पायरिया रोग में लाभ होता है। यह शरीर में पानी की कमी को पूरा करता है। | *बीजों को चबा-चबाकर चूसने से दाँतों के [[पायरिया]] रोग में लाभ होता है। यह शरीर में पानी की कमी को पूरा करता है। | ||
*प्रतिदिन तरबूज का रस पीने से शरीर को शीतलता मिलती है। | *प्रतिदिन तरबूज का रस पीने से शरीर को शीतलता मिलती है। तरबूज खाने से प्यास लगना कम होता है। | ||
*तरबूज के रस का सेवन करने से लू लगने का खतरा कम हो रहता है। तरबूज में वसा नहीं पाया जाता इसलिए इससे वजन नहीं बढ़ता। | *तरबूज के रस का सेवन करने से लू लगने का खतरा कम हो रहता है। तरबूज में [[वसा]] नहीं पाया जाता इसलिए इससे वजन नहीं बढ़ता। | ||
*सिरदर्द होने पर आधा गिलास तरबूज के रस में मिश्री मिलाकर पीने से आराम मिलेगा। तरबूज दिल की बीमारियों को होने से रोकता | *सिरदर्द होने पर आधा गिलास तरबूज के रस में मिश्री मिलाकर पीने से आराम मिलेगा। तरबूज दिल की बीमारियों को होने से रोकता है। | ||
*तरबूज की फांक पर[[काला रंग|काला]] नमक व काली मिर्च डालकर खाने से खट्टी डकारें आना बंद हो जाती हैं। | *तरबूज की फांक पर [[काला रंग|काला]] नमक व काली मिर्च डालकर खाने से खट्टी डकारें आना बंद हो जाती हैं। | ||
*खून की कमी होने पर तरबूज खाना फायदेमंद होता है। तरबूज पीलिया जैसी बीमारी में खाना काफी फायदेमंद होता है, तथा सूखी खांसी में तरबूज खाने से खांसी आनी बंद हो जाती है। | *खून की कमी होने पर तरबूज खाना फायदेमंद होता है। तरबूज [[पीलिया]] जैसी बीमारी में खाना काफी फायदेमंद होता है, तथा सूखी खांसी में तरबूज खाने से खांसी आनी बंद हो जाती है। | ||
*तरबूज में लाइकोपिन पाया जाता | *तरबूज में '''लाइकोपिन''' पाया जाता है। लाइकोपिन हमारी त्वचा को जवान बनाए रखता है। ये हमारे शरीर में [[कैंसर]] को होने से भी रोकता है। | ||
*विटामिन सी हमारे शरीर के प्रतिरक्षा तन्त्र को मजबूत बनाता है, और विटामिन ए हमारे [[आँख|आँखों]] के स्वास्थ्य के लिए बहुत | *[[विटामिन]] सी हमारे शरीर के प्रतिरक्षा तन्त्र को मजबूत बनाता है, और विटामिन ए हमारे [[आँख|आँखों]] के स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी होता है। | ||
जरूरी होता | *तरबूज मोटापे को कम करने में भी बहुत सहायक होता है। | ||
*तरबूज मोटापे को कम करने में भी बहुत सहायक होता है | *जो लोग काम के तनाव में अधिक रहते हैं उनके लिए तरबूज बहुत फायदेमंद होता है। तरबूज खाने से दिमाग शांत और खुश रहता है। जिन लोगों को गुस्सा अधिक आता है तरबूज खाने से उनको अपना गुस्सा शांत करने में बहुत मदद मिलती है। | ||
==तरबूज से होने वाले नुक़सान== | ==तरबूज से होने वाले नुक़सान== | ||
*तरबूज खाकर तुरंत पानी या [[दूध]]-दही या बाजार के पेय नहीं पीने चाहिए। | *तरबूज खाकर तुरंत पानी या [[दूध]]-[[दही]] या बाजार के पेय नहीं पीने चाहिए। | ||
*तरबूज खाने के 2 घंटे पूर्व तथा 3 घंटे बाद तक [[चावल]] का सेवन न करें। | *तरबूज खाने के 2 घंटे पूर्व तथा 3 घंटे बाद तक [[चावल]] का सेवन न करें। | ||
*गर्म या कटा बासी तरबूज सेवन न करें। इससे कई बीमारियाँ फैलने की आशंका रहती है। | *गर्म या कटा बासी तरबूज सेवन न करें। इससे कई बीमारियाँ फैलने की आशंका रहती है। | ||
*दमा के | *दमा के मरीज़ों को तरबूज का रस नहीं पीना चाहिए। | ||
10:55, 31 जनवरी 2011 का अवतरण
तरबूज की खेती सम्पूर्ण भारत में की जाती है, लेकिन उत्तरी भारत में इसको अधिक महत्व दिया जाता है। तरबूज शरीर को ठंडक पहुँचाने के साथ-साथ ऊर्जा भी देता है। तरबूज में प्रचुर मात्रा में विटामिन ए, बी और सी, आयरन के अलावा मैग्नीशियम और पोटैशियम भी पाया जाता है। यह खून साफ करने के साथ पथरी, हृदय रोग और कैंसर जैसी बीमारियों के खतरे से बचाता है। इसमें पानी की मात्रा 92 प्रतिशत जबकि कैलोरी की मात्रा शून्य होती है।
उत्पत्ति
तरबूज का जन्म स्थान अफ़्रीका है, इससे बहुत पहले यह भारत में उगने लगा। अत: इसका उत्पत्ति स्थान भारत ही माना जाता है। तरबूज का प्रयोग मीठा अचार बनाने में किया जाता है। दक्षिणी रूस में तरबूज के रस से बियर तैयार की जाती है। इसके रस को गाढ़ा बनाकर प्रयोग किया जाता है। इसके बीजों को भी छीलकर खाया जाता है।
जलवायु
तरबूज की फसल लम्बी अवधि वाली मानी जाती है, जिसकों उच्च तापक्रम की आवश्यकता होती है। पकने के समय तेज धूप तथा उच्च तापक्रम आवश्यक होता है। ऐसे मौसम में फलों में मिठास बढ़ जाती है। इसकी खेती के लिए निम्न तापक्रम तथा नम जलवायु अनुपयुक्त होती है।
भूमि
इसकी सफल खेती के लिए उपजाऊ हल्की दोमट मिट्टी सर्वोत्तम मानी जाती है।
जातियाँ
विदेशी जातियाँ
आशाही यामेंटो, सुगर बेबी, न्यू हैम्पसाइर मिदगट, दिक्षली क्वीन, क्लेंकले क्लोन डायक।
देशी जातियाँ
स्थानीय जातियाँ- जयपुर-स्थानीय, दिल्ली-स्थानीय, फरूख़ाबादी, फैजाबादी, जौनपुर लाल, भागलपुरी।
उन्नतशील जातियाँ
इम्प्रूव्ड शियर, दुर्गापुर केसर, पूसा, वदाना अर्का ज्योति, दुर्गापुरा मीठा, सलैक्सन-1, अर्का मानिक। इंडो अमेरिकन हाइब्रिड सीड कम्पनी द्वारा 'मधु', 'मिलन' एवं 'मोहनी' शंकर किस्में विकसित की गई हैं।
खाद एवं उर्वरक
उद्यान विज्ञान विशेषज्ञों द्वारा तरबूज के लिए निम्न खाद की मात्रा अभिस्तावित की गई है।
।गोबर की खाद ।यूरिया ।सुपर फास्फेट ।म्यूरेट ऑफ़ पोटाश200 से 250 कुंतल प्रति हैक्टर |
175 किलोग्राम. प्रतिहैक्टर (80 किलोग्राम. नत्रजन) |
250 किग्रा. (40 किलोग्राम. फास्फोरस) |
67 किलोग्राम. (40 किलोग्राम. पोटाश) |
- गोबर की खाद, फॉस्फोरस एवं पोटाश की पूरी मात्रा एवं नत्रजन की एक तिहाई मात्रा बुवाई से पहले दी जाती है।
- नत्रजन की शेष मात्रा दो बार में बढ़वार एवं फूल आने के समय दी जाती हैं।
बीज की मात्रा
4 से 4.5 कि.ग्रा. बीज प्रति हैक्टर पर्याप्त समझा जाता है।
बोने का समय
मुख्य रूप से बुवाई जनवरी से मार्च के प्रथम सप्ताह तक की जाती है; अगर पाले से बचाव हो तो इसकी बुवाई अक्टूबर से नवम्बर में भी की जा सकती है।
निकाई-गुड़ाई
2-3 निकाई-गुड़ाई करके खरपतवारों को बेलों के पास से निकाल दिया जाता है। गुड़ाई की क्रिया अधिक गहराई तक नहीं करनी चाहिये, नहीं तो जड़ें कटने का भय रहता है।
सिंचाई
तरबूज में सिंचाई प्रति सप्ताह करानी चाहिये। आवश्यकतानुसार सिंचाईयों के बीच के अंतर को कम किया जा सकता है। फल पकते समय पानी कम देना चाहिये, जिससे फल अधिक मीठे एवं स्वादिष्ट हो सकें।
तोड़ाई
तरबूज के फल पकने की जाँच अनुभवी उत्पादक तुरन्त कर लेता है। फिर भी जानकारी के लिए जब फल के सबसे नजदीक का तंतु बिल्कुल सूख जाये तथा फल बजाने पर दब-दब की आवाज करने लगे, तो फल को पका समझना चाहिये।
उपज
तरबूज की पैदावार 250-500 कुंतल प्रति हैक्टेयर होती है।
बीज उत्पादन
तरबूज का सही बीज बाजार में उपलब्ध होना एक समस्या होती है क्योंकि इसकी बहुत सी जातियाँ पास-पास खेतों में लगी होती हैं तथा परसेचन द्वारा एक जाति का परागण दूसरी जाति से हो जाता है। बीज की अच्छी किस्म लेने के लिए फल को चख कर देखना चाहिये तथा बीजों को अधिक मीठें फलों से इकठ्ठा कर लेना चाहिये। तत्पश्चात इन बीजों को अलग से खेतों में बोना चाहिये। यह ध्यान रहे कि कम से कम 3-4 किमी की परधि में इसकी अन्य जाति न लगाई गई हो। फिर से मीठें फलों से बीज इकठ्ठा कर लिया जाता है। एक वर्ष के चुनाव के बाद भी सभी तरबूज मीठें प्राप्त नहीं हो पाते हैं। इस प्रकार का चुनाव अगले कुछ वर्षों तक करते रहना चाहिये, जब तक कि अधिक मात्रा में उच्च कोटि के बीज प्राप्त नहीं हो जाते।
तरबूज के फ़ायदे
जैसा कि कहा जाता है कि आम के आम और गुठलियों के भी दाम उसी प्रकार तरबूज का सेवन तो हमारे स्वास्थ्य और सौंदर्य दोनों के लिए फायदेमंद होता है परंतु साथ ही इसके बीज भी बहुत गुणकारी होते हैं।
- तरबूज आकर्षक और स्वास्थ्यवर्धक फल है। तरबूज खाना इसलिए आवश्यक है क्योंकि यह शरीर में पानी की कमी को पूरा करता है। हमें वही फल ज़्यादा खाने चाहिए जो शरीर में पानी की आपूर्ति भी करते रहें।
- तरबूज रक्तचाप को संतुलित रखता है और कई बीमारियाँ दूर करता है। इसके और भी फायदे हैं जैसे: खाना खाने के उपरांत तरबूज का रस पीने से भोजन शीघ्र पच जाता है। इससे नींद भी अच्छी आती है।
- इसके रस से लू लगने का भय भी नहीं रहता। मोटापा कम करने वालों के लिए यह उत्तम आहार है।
- पोलियो रोगियों को तरबूज का सेवन करना बहुत लाभकारी रहता है, क्योंकि यह खून को बढ़ाता है और उसे साफ भी करता है।
- त्वचा रोगों के लिए यह फायदेमंद है, तपती धूप में जब सिरदर्द होने लगे तो तरबूज के रस को आधा गिलास पानी में मिलाकर पीना चाहिए।
- पेशाब में जलन हो तो ओस या बर्फ में रखे हुए तरबूज का रस निकालकर सुबह शक्कर मिलाकर पीने से लाभ होता है।
- तरबूज के बीजों को छीलकर अंदर की गिरी खाने से शरीर में ताकत आती है। मस्तिष्क की कमजोर नसों को बल मिलता है, टखनों के पास की सूजन भी ठीक हो जाती है।
- तरबूज के बीजों की गिरी में मिश्री, सौंफ, बारीक पीसकर मिलाकर खाने से गर्भ में पल रहे शिशु का विकास अच्छा होता है।
- बीजों को चबा-चबाकर चूसने से दाँतों के पायरिया रोग में लाभ होता है। यह शरीर में पानी की कमी को पूरा करता है।
- प्रतिदिन तरबूज का रस पीने से शरीर को शीतलता मिलती है। तरबूज खाने से प्यास लगना कम होता है।
- तरबूज के रस का सेवन करने से लू लगने का खतरा कम हो रहता है। तरबूज में वसा नहीं पाया जाता इसलिए इससे वजन नहीं बढ़ता।
- सिरदर्द होने पर आधा गिलास तरबूज के रस में मिश्री मिलाकर पीने से आराम मिलेगा। तरबूज दिल की बीमारियों को होने से रोकता है।
- तरबूज की फांक पर काला नमक व काली मिर्च डालकर खाने से खट्टी डकारें आना बंद हो जाती हैं।
- खून की कमी होने पर तरबूज खाना फायदेमंद होता है। तरबूज पीलिया जैसी बीमारी में खाना काफी फायदेमंद होता है, तथा सूखी खांसी में तरबूज खाने से खांसी आनी बंद हो जाती है।
- तरबूज में लाइकोपिन पाया जाता है। लाइकोपिन हमारी त्वचा को जवान बनाए रखता है। ये हमारे शरीर में कैंसर को होने से भी रोकता है।
- विटामिन सी हमारे शरीर के प्रतिरक्षा तन्त्र को मजबूत बनाता है, और विटामिन ए हमारे आँखों के स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी होता है।
- तरबूज मोटापे को कम करने में भी बहुत सहायक होता है।
- जो लोग काम के तनाव में अधिक रहते हैं उनके लिए तरबूज बहुत फायदेमंद होता है। तरबूज खाने से दिमाग शांत और खुश रहता है। जिन लोगों को गुस्सा अधिक आता है तरबूज खाने से उनको अपना गुस्सा शांत करने में बहुत मदद मिलती है।
तरबूज से होने वाले नुक़सान
- तरबूज खाकर तुरंत पानी या दूध-दही या बाजार के पेय नहीं पीने चाहिए।
- तरबूज खाने के 2 घंटे पूर्व तथा 3 घंटे बाद तक चावल का सेवन न करें।
- गर्म या कटा बासी तरबूज सेवन न करें। इससे कई बीमारियाँ फैलने की आशंका रहती है।
- दमा के मरीज़ों को तरबूज का रस नहीं पीना चाहिए।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ