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|अन्य विवरण=पिण्डारी दक्षिण भारत में जा बसे युद्धप्रिय पठान सवार थे। '''उनकी उत्पत्ति तथा नामकरण विवादास्पद है। वे बड़े कर्मठ, साहसी तथा वफ़ादार थे। टट्टू उनकी सवारी थी। तलवार और भाले उनके अस्त्र थे। वे दलों में विभक्त थे और प्रत्येक दल में साधारणत: दो से तीन हज़ार तक सवार होते थे। योग्यतम व्यक्ति दल का सरदार चुना जाता था। उसकी आज्ञा सर्वमान्य होती थी।
|अन्य विवरण=पिण्डारी दक्षिण भारत में जा बसे युद्धप्रिय पठान सवार थे। उनकी उत्पत्ति तथा नामकरण विवादास्पद है। वे बड़े कर्मठ, साहसी तथा वफ़ादार थे। टट्टू उनकी सवारी थी। तलवार और भाले उनके अस्त्र थे। वे दलों में विभक्त थे और प्रत्येक दल में साधारणत: दो से तीन हज़ार तक सवार होते थे। योग्यतम व्यक्ति दल का सरदार चुना जाता था। उसकी आज्ञा सर्वमान्य होती थी।
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12:09, 31 जनवरी 2011 के समय का अवतरण


चित्र जानकारी
विवरण (Description) पिण्डारी लङाका
प्रयोग अनुमति (Permission) bhopale.blogspot.com
अन्य विवरण पिण्डारी दक्षिण भारत में जा बसे युद्धप्रिय पठान सवार थे। उनकी उत्पत्ति तथा नामकरण विवादास्पद है। वे बड़े कर्मठ, साहसी तथा वफ़ादार थे। टट्टू उनकी सवारी थी। तलवार और भाले उनके अस्त्र थे। वे दलों में विभक्त थे और प्रत्येक दल में साधारणत: दो से तीन हज़ार तक सवार होते थे। योग्यतम व्यक्ति दल का सरदार चुना जाता था। उसकी आज्ञा सर्वमान्य होती थी।



चित्र का इतिहास

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दिनांक/समयअंगुष्ठ नखाकार (थंबनेल)आकारसदस्यटिप्पणी
वर्तमान18:57, 31 अक्टूबर 201018:57, 31 अक्टूबर 2010 के संस्करण का थंबनेल संस्करण225 × 271 (6 KB)DrMKVaish (वार्ता | योगदान)

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