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*[[हिन्दी]] | *[[हिन्दी]] साहित्य के [[भक्तिकाल]] में '''कृष्ण भक्ति के भक्त कवियों''' में महाकवि सूरदास का नाम सर्वोपरि है। | ||
*सूरदास जी '''वात्सल्य [[रस]] के सम्राट''' माने जाते हैं। उन्होंने श्रृंगार और शान्त रसों का भी बड़ा मर्मस्पर्शी वर्णन किया है। | *सूरदास जी '''वात्सल्य [[रस]] के सम्राट''' माने जाते हैं। उन्होंने श्रृंगार और शान्त रसों का भी बड़ा मर्मस्पर्शी वर्णन किया है। | ||
*सूरदास जी का जन्म 1478 ईस्वी में [[मथुरा]]-[[आगरा]] मार्ग पर स्थित [[रुनकता]] नामक गांव में हुआ था। आचार्य [[रामचन्द्र शुक्ल]] जी के मतानुसार सूरदास का जन्म संवत 1540 विक्रम के सन्निकट और मृत्यु संवत 1620 विक्रम के आसपास मानी जाती है। | *सूरदास जी का जन्म 1478 ईस्वी में [[मथुरा]]-[[आगरा]] मार्ग पर स्थित [[रुनकता]] नामक गांव में हुआ था। आचार्य [[रामचन्द्र शुक्ल]] जी के मतानुसार सूरदास का जन्म संवत 1540 विक्रम के सन्निकट और मृत्यु संवत 1620 विक्रम के आसपास मानी जाती है। | ||
*'''सूरदास जी के पिता श्री रामदास''' गायक थे। सूरदास जी के जन्मांध होने के विषय में भी मतभेद हैं। आगरा के समीप गऊघाट पर उनकी भेंट श्री [[वल्लभाचार्य]] से हुई और वे उनके शिष्य बन गए। सूरदास जी [[अष्टछाप]] कवियों में एक थे। | *'''सूरदास जी के पिता श्री रामदास''' गायक थे। सूरदास जी के जन्मांध होने के विषय में भी मतभेद हैं। आगरा के समीप गऊघाट पर उनकी भेंट श्री [[वल्लभाचार्य]] से हुई और वे उनके शिष्य बन गए। | ||
*सूरदास जी [[अष्टछाप]] कवियों में एक थे। सूरदास जी द्वारा लिखित पाँच ग्रन्थ बताए जाते हैं- '''[[सूरसागर]], सूरसारावली, [[साहित्य-लहरी]], नल-दमयन्ती और ब्याहलो'''। | |||
*[[धर्म]], [[साहित्य]] और [[संगीत]] के सन्दर्भ में महाकवि सूरदास का स्थान न केवल [[हिन्दी भाषा]] क्षेत्र, बल्कि सम्पूर्ण [[भारत]] में मध्ययुग की महान विभूतियों में अग्रगण्य है। | *[[धर्म]], [[साहित्य]] और [[संगीत]] के सन्दर्भ में महाकवि सूरदास का स्थान न केवल [[हिन्दी भाषा]] क्षेत्र, बल्कि सम्पूर्ण [[भारत]] में मध्ययुग की महान विभूतियों में अग्रगण्य है। |
11:46, 1 फ़रवरी 2011 का अवतरण
- हिन्दी साहित्य के भक्तिकाल में कृष्ण भक्ति के भक्त कवियों में महाकवि सूरदास का नाम सर्वोपरि है।
- सूरदास जी वात्सल्य रस के सम्राट माने जाते हैं। उन्होंने श्रृंगार और शान्त रसों का भी बड़ा मर्मस्पर्शी वर्णन किया है।
- सूरदास जी का जन्म 1478 ईस्वी में मथुरा-आगरा मार्ग पर स्थित रुनकता नामक गांव में हुआ था। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल जी के मतानुसार सूरदास का जन्म संवत 1540 विक्रम के सन्निकट और मृत्यु संवत 1620 विक्रम के आसपास मानी जाती है।
- सूरदास जी के पिता श्री रामदास गायक थे। सूरदास जी के जन्मांध होने के विषय में भी मतभेद हैं। आगरा के समीप गऊघाट पर उनकी भेंट श्री वल्लभाचार्य से हुई और वे उनके शिष्य बन गए।
- सूरदास जी अष्टछाप कवियों में एक थे। सूरदास जी द्वारा लिखित पाँच ग्रन्थ बताए जाते हैं- सूरसागर, सूरसारावली, साहित्य-लहरी, नल-दमयन्ती और ब्याहलो।
- धर्म, साहित्य और संगीत के सन्दर्भ में महाकवि सूरदास का स्थान न केवल हिन्दी भाषा क्षेत्र, बल्कि सम्पूर्ण भारत में मध्ययुग की महान विभूतियों में अग्रगण्य है।