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*पहले ये लोग क्षत्रिय राजाओं की अधीनता में रहते थे, किन्तु 1768 ई. में क्षत्रिय राजाओं राजवंशों की आपसी कलह से लाभ उठाकर उन्होंने अपने देश में गोरखा शासन को स्थापित किया। | *पहले ये लोग क्षत्रिय राजाओं की अधीनता में रहते थे, किन्तु 1768 ई. में क्षत्रिय राजाओं राजवंशों की आपसी कलह से लाभ उठाकर उन्होंने अपने देश में गोरखा शासन को स्थापित किया। | ||
*1816 ई. में [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] से पराजित होकर ब्रिटिश फ़ौज में नौकरी करने लगे और [[ब्रिटिश साम्राज्य]] के प्रसार में इन्होंने बड़ी सहायता की। | *1816 ई. में [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] से पराजित होकर ब्रिटिश फ़ौज में नौकरी करने लगे और [[ब्रिटिश साम्राज्य]] के प्रसार में इन्होंने बड़ी सहायता की। | ||
*[[भारत]] के कथित [[सिपाही स्वतंत्रता संग्राम]] | *[[भारत]] के कथित [[सिपाही स्वतंत्रता संग्राम]] (1857) को दबाने में भी गोरखों ने अंग्रेज़ों की मदद की। | ||
09:02, 5 फ़रवरी 2011 का अवतरण
- गोरखा लोग मूलत: मंगोलियन प्रकृति के लोग होते हैं।
- ये मुख्यत: नेपाल में बसे हुए हैं।
- इनके दाढ़ी बहुत कम उगती है, शरीर का रंग कुछ पीला होता है|
- इनकी नाक चपटी और गाल फूले हुए होते हैं।
- ये लोग हिमालय की ढलानों पर निवास करते हैं और उच्च कोटि के योद्धा होते हैं।
- पहले ये लोग क्षत्रिय राजाओं की अधीनता में रहते थे, किन्तु 1768 ई. में क्षत्रिय राजाओं राजवंशों की आपसी कलह से लाभ उठाकर उन्होंने अपने देश में गोरखा शासन को स्थापित किया।
- 1816 ई. में अंग्रेज़ों से पराजित होकर ब्रिटिश फ़ौज में नौकरी करने लगे और ब्रिटिश साम्राज्य के प्रसार में इन्होंने बड़ी सहायता की।
- भारत के कथित सिपाही स्वतंत्रता संग्राम (1857) को दबाने में भी गोरखों ने अंग्रेज़ों की मदद की।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
(पुस्तक 'भारतीय इतिहास कोश') पृष्ठ संख्या-135