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<div align="center" style="color:#34341B;">'''[[खजुराहो]]'''</div>
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<pre>{{सूचना बक्सा खिलाड़ी
*दुनिया को [[भारत]] का '''खजुराहो के कलात्मक मंदिर''' एक अनमोल तोहफ़ा हैं। खजुराहो, भारतीय आर्य स्थापत्य और वास्तुकला की एक नायाब मिसाल है।
|चित्र=
*खजुराहो को इसके अलंकृत मंदिरों की वजह से जाना जाता है जो कि देश के सर्वोत्कृष्ठ मध्यकालीन स्मारक हैं। चंदेल शासकों ने '''इन मंदिरों की तामीर सन 900 से 1130 ईसवी''' के बीच करवाई थी।
|पूरा नाम=
*खजुराहो का प्राचीन नाम '''खर्जुरवाहक''' है। चंदेल राजाओं ने क़रीब 84 बेजोड़ व लाजवाब मंदिरों की तामीर करवाई थी लेकिन उनमें से अभी तक सिर्फ़ 22 मंदिरों की ही खोज हो पाई है।
|अन्य नाम=
*इतिहास में इन मंदिरों का सबसे पहला जो उल्लेख मिलता है, वह अबू रिहान [[अल बरूनी]] (1022 ईसवी) तथा अरब मुसाफ़िर [[इब्न बतूता]] का है।
|जन्म=
*खजुराहो के मंदिर भारतीय स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना हैं। खजुराहो में ख़ूबसूरत मंदिरो में की गई कलाकारी इतनी सजीव है कि '''कई बार मूर्तियाँ ख़ुद बोलती हुई''' मालूम होती हैं।
|जन्म भूमि=
*यहाँ की श्रृंगारिक मुद्राओं में अंकित मिथुन-मूर्तियों की कला पर सम्भवतः तांत्रिक प्रभाव है, किन्तु कला का जो निरावृत और अछूता सौदर्न्य इनके अंकन में निहित है, उसकी उपमा नहीं मिलती।
|मृत्यु=
*खजुराहो, महोबा से 54 किलोमीटर दक्षिण में, छतरपुर से 45 किलोमीटर पूर्व और सतना ज़िले से 105 किलोमीटर पश्‍चिम में स्‍थित है तथा निकटतम रेलवे स्‍टेशनों अर्थात् महोबा, सतना और [[झाँसी]] से पक्‍की सड़कों से खजुराहो अच्‍छी तरह जुड़ा हुआ है। '''[[खजुराहो|.... और पढ़ें]]'''
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05:59, 7 फ़रवरी 2011 का अवतरण

खजुराहो मंदिर
खजुराहो मंदिर
  • दुनिया को भारत का खजुराहो के कलात्मक मंदिर एक अनमोल तोहफ़ा हैं। खजुराहो, भारतीय आर्य स्थापत्य और वास्तुकला की एक नायाब मिसाल है।
  • खजुराहो को इसके अलंकृत मंदिरों की वजह से जाना जाता है जो कि देश के सर्वोत्कृष्ठ मध्यकालीन स्मारक हैं। चंदेल शासकों ने इन मंदिरों की तामीर सन 900 से 1130 ईसवी के बीच करवाई थी।
  • खजुराहो का प्राचीन नाम खर्जुरवाहक है। चंदेल राजाओं ने क़रीब 84 बेजोड़ व लाजवाब मंदिरों की तामीर करवाई थी लेकिन उनमें से अभी तक सिर्फ़ 22 मंदिरों की ही खोज हो पाई है।
  • इतिहास में इन मंदिरों का सबसे पहला जो उल्लेख मिलता है, वह अबू रिहान अल बरूनी (1022 ईसवी) तथा अरब मुसाफ़िर इब्न बतूता का है।
  • खजुराहो के मंदिर भारतीय स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना हैं। खजुराहो में ख़ूबसूरत मंदिरो में की गई कलाकारी इतनी सजीव है कि कई बार मूर्तियाँ ख़ुद बोलती हुई मालूम होती हैं।
  • यहाँ की श्रृंगारिक मुद्राओं में अंकित मिथुन-मूर्तियों की कला पर सम्भवतः तांत्रिक प्रभाव है, किन्तु कला का जो निरावृत और अछूता सौदर्न्य इनके अंकन में निहित है, उसकी उपमा नहीं मिलती।
  • खजुराहो, महोबा से 54 किलोमीटर दक्षिण में, छतरपुर से 45 किलोमीटर पूर्व और सतना ज़िले से 105 किलोमीटर पश्‍चिम में स्‍थित है तथा निकटतम रेलवे स्‍टेशनों अर्थात् महोबा, सतना और झाँसी से पक्‍की सड़कों से खजुराहो अच्‍छी तरह जुड़ा हुआ है। .... और पढ़ें