"विजयवाड़ा": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
*विजयवाड़ा [[आंध्र प्रदेश]] के पूर्व-मध्य में कृष्णा नदी के तट पर स्थित है। दो हजार वर्ष पुराना यह शहर बैजवाड़ा के नाम से भी जाना जाता है। यह नाम देवी कनकदुर्गा के नाम पर है, जिन्हें स्थानीय लोग विजया कहते हैं।  
*विजयवाड़ा [[आंध्र प्रदेश]] के पूर्व-मध्य में [[कृष्णा नदी]] के तट पर स्थित है।  
*यह क्षेत्र मंदिरों और गुफ़ाओं से भरा हुआ है। यहाँ भगवान मालेश्वर का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है। कहा जाता है। कि आदि [[शंकराचार्य]] इस मंदिर में आए थे और उन्होंने यहाँ श्रीचक्र स्थापित किया था।  
*दो हजार वर्ष पुराना यह शहर बैजवाड़ा के नाम से भी जाना जाता है।  
*चीनी यात्री [[ह्वेन त्सांग]] भी विजयवाड़ा आया था। विजयवाड़ा के पास में एक पहाड़ी पर स्थित विक्टोरिया म्यूजियम में एक काले ग्रेनाइट पत्थर से बनी बुद्ध की विशालकाय मूर्ति है। [[पैगम्बर मुहम्मद|मुहम्मद पैगम्बर]] के पवित्र अवशेष के रूप में इस स्थल की [[मुसलमान|मुसलमानों]] में लोगप्रियता है।
*यह नाम देवी कनकदुर्गा के नाम पर है, जिन्हें स्थानीय लोग विजया कहते हैं।  
* यहाँ पाँचवी सदी की भोगलराजपुरम की गुफ़ाओं में तीन गुफ़ा मंदिर हैं, जिसमें भगवान नटराज,  
*यह क्षेत्र मंदिरों और गुफ़ाओं से भरा हुआ है। यहाँ भगवान मालेश्वर का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है। कहा जाता है कि आदि [[शंकराचार्य]] इस मंदिर में आए थे और उन्होंने यहाँ श्रीचक्र स्थापित किया था।  
[[गणेश|विनायक]] और अन्य मूर्तियाँ हैं।  
*चीनी यात्री [[ह्वेन त्सांग]] भी विजयवाड़ा आया था।  
*विजयवाड़ा के पास में एक पहाड़ी पर स्थित विक्टोरिया म्यूजियम में एक काले ग्रेनाइट पत्थर से बनी बुद्ध की विशालकाय मूर्ति है।  
*[[पैगम्बर मुहम्मद|मुहम्मद पैगम्बर]] के पवित्र अवशेष के रूप में इस स्थल की [[मुसलमान|मुसलमानों]] में लोगप्रियता है।
*यहाँ पाँचवी सदी की भोगलराजपुरम की गुफ़ाओं में तीन गुफ़ा मंदिर हैं, जिसमें भगवान नटराज, [[गणेश|विनायक]] और अन्य मूर्तियाँ हैं।  
*अर्द्धनारीश्वर की यहाँ मिली मूर्ति दक्षिण [[भारत]] अपने तरह की इकलौती मूर्ति मानी जाती है। यहाँ की गुफ़ाओं में उंद्रावल्ली की प्रमुख गुफ़ा है, जो सातवीं सदी में बनाई गई थी। शयन करते [[विष्णु]] की एक शिला से निर्मित मूर्ति यहाँ की [[कला]] का श्रेष्ठ नमूना है।  
*अर्द्धनारीश्वर की यहाँ मिली मूर्ति दक्षिण [[भारत]] अपने तरह की इकलौती मूर्ति मानी जाती है। यहाँ की गुफ़ाओं में उंद्रावल्ली की प्रमुख गुफ़ा है, जो सातवीं सदी में बनाई गई थी। शयन करते [[विष्णु]] की एक शिला से निर्मित मूर्ति यहाँ की [[कला]] का श्रेष्ठ नमूना है।  
*विजयवाड़ा के दक्षिण में 12 किमी दूर मंगलगिरि की पहाड़ी पर विष्णु के अवतार भगवान नरसिंह का विख्यात मंदिर है।  
*विजयवाड़ा के दक्षिण में 12 किमी दूर मंगलगिरि की पहाड़ी पर विष्णु के अवतार भगवान नरसिंह का विख्यात मंदिर है।  
*विजयवाड़ा से 45 किमी दूर गंडीवाड़ा में [[जैन]] और [[बौद्ध|बौद्धों]] के अनेक पवित्र अवशेष मिले हैं। बौद्ध स्तूपों के अवशेषों वाली 99 छोटी समाधियाँ यहाँ का एक अन्य विशिष्ट स्थल है। इसे राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया गया है।  
*विजयवाड़ा से 45 किमी. दूर गंडीवाड़ा में [[जैन]] और [[बौद्ध|बौद्धों]] के अनेक पवित्र अवशेष मिले हैं। बौद्ध स्तूपों के अवशेषों वाली 99 छोटी समाधियाँ यहाँ का एक अन्य विशिष्ट स्थल है। इसे राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया गया है।  
 
 


{{प्रचार}}
{{प्रचार}}

06:24, 7 फ़रवरी 2011 का अवतरण

  • विजयवाड़ा आंध्र प्रदेश के पूर्व-मध्य में कृष्णा नदी के तट पर स्थित है।
  • दो हजार वर्ष पुराना यह शहर बैजवाड़ा के नाम से भी जाना जाता है।
  • यह नाम देवी कनकदुर्गा के नाम पर है, जिन्हें स्थानीय लोग विजया कहते हैं।
  • यह क्षेत्र मंदिरों और गुफ़ाओं से भरा हुआ है। यहाँ भगवान मालेश्वर का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है। कहा जाता है कि आदि शंकराचार्य इस मंदिर में आए थे और उन्होंने यहाँ श्रीचक्र स्थापित किया था।
  • चीनी यात्री ह्वेन त्सांग भी विजयवाड़ा आया था।
  • विजयवाड़ा के पास में एक पहाड़ी पर स्थित विक्टोरिया म्यूजियम में एक काले ग्रेनाइट पत्थर से बनी बुद्ध की विशालकाय मूर्ति है।
  • मुहम्मद पैगम्बर के पवित्र अवशेष के रूप में इस स्थल की मुसलमानों में लोगप्रियता है।
  • यहाँ पाँचवी सदी की भोगलराजपुरम की गुफ़ाओं में तीन गुफ़ा मंदिर हैं, जिसमें भगवान नटराज, विनायक और अन्य मूर्तियाँ हैं।
  • अर्द्धनारीश्वर की यहाँ मिली मूर्ति दक्षिण भारत अपने तरह की इकलौती मूर्ति मानी जाती है। यहाँ की गुफ़ाओं में उंद्रावल्ली की प्रमुख गुफ़ा है, जो सातवीं सदी में बनाई गई थी। शयन करते विष्णु की एक शिला से निर्मित मूर्ति यहाँ की कला का श्रेष्ठ नमूना है।
  • विजयवाड़ा के दक्षिण में 12 किमी दूर मंगलगिरि की पहाड़ी पर विष्णु के अवतार भगवान नरसिंह का विख्यात मंदिर है।
  • विजयवाड़ा से 45 किमी. दूर गंडीवाड़ा में जैन और बौद्धों के अनेक पवित्र अवशेष मिले हैं। बौद्ध स्तूपों के अवशेषों वाली 99 छोटी समाधियाँ यहाँ का एक अन्य विशिष्ट स्थल है। इसे राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया गया है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ