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|हिन्दी=जिसका कोई रंग न हो, रंगहीन, जिसका रंग बिगड़ गया हो, कांति-हीन, रंग-बिरंगा, जो किसी वर्ण के अन्तर्गत न हो अर्थात जाति-च्युत
|हिन्दी=जिसका कोई रंग न हो, रंगहीन, जिसका रंग बिगड़ गया हो, कांति-हीन, रंग-बिरंगा, जो किसी वर्ण के अन्तर्गत न हो अर्थात जाति-च्युत
|व्याकरण=[[विशेषण]], पुल्लिंग
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|उदाहरण=<poem>वह विवर्ण मुख त्रस्त प्रकृति का हँसने लगा आज फिर से -- [[जयशंकर प्रसाद]]</poem>
|उदाहरण=<poem>वह '''विवर्ण''' मुख त्रस्त प्रकृति का हँसने लगा आज फिर से -- [[जयशंकर प्रसाद]]</poem>
|विशेष=विवर्ण साहित्य में एक भाव है जिसमें भय, मोह, क्रोध, लज्जा आदि के कारण नायक और नायिका के मुख का [[रंग]] बदल जाता है।
|विशेष='''विवर्ण''' साहित्य में एक भाव है जिसमें भय, मोह, क्रोध, लज्जा आदि के कारण नायक और नायिका के मुख का [[रंग]] बदल जाता है।
|विलोम=
|विलोम=
|पर्यायवाची=वैवर्ण्य, उड़ा, धुँधला, निष्प्रभ, निस्तेज, पांडुर, पीला, फीका, मद्धम
|पर्यायवाची=वैवर्ण्य, उड़ा, धुँधला, निष्प्रभ, निस्तेज, पांडुर, पीला, फीका, मद्धम

11:08, 10 फ़रवरी 2011 के समय का अवतरण

शब्द संदर्भ
हिन्दी जिसका कोई रंग न हो, रंगहीन, जिसका रंग बिगड़ गया हो, कांति-हीन, रंग-बिरंगा, जो किसी वर्ण के अन्तर्गत न हो अर्थात जाति-च्युत
-व्याकरण    विशेषण, पुल्लिंग
-उदाहरण  

वह विवर्ण मुख त्रस्त प्रकृति का हँसने लगा आज फिर से -- जयशंकर प्रसाद

-विशेष    विवर्ण साहित्य में एक भाव है जिसमें भय, मोह, क्रोध, लज्जा आदि के कारण नायक और नायिका के मुख का रंग बदल जाता है।
-विलोम   
-पर्यायवाची    वैवर्ण्य, उड़ा, धुँधला, निष्प्रभ, निस्तेज, पांडुर, पीला, फीका, मद्धम
संस्कृत [वि+वर्ण]
अन्य ग्रंथ
संबंधित शब्द विवर्त
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अन्य शब्दों के अर्थ के लिए देखें शब्द संदर्भ कोश