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|व्याकरण=[[विशेषण]], पुल्लिंग
|व्याकरण=[[विशेषण]], पुल्लिंग
|उदाहरण=[[ओम]] वह '''अक्षर''' है जिसका कभी नाश नहीं हो सकता जिसमे सम्पूर्ण भूतकाल, वर्तमान काल तथा भविष्य काल ‘ओंकार’ का छोटा सा व्याख्यान है। सभी शक्तियाँ, ॠद्धियाँ और सिद्धियाँ ‘ओंकार’ में भरी हुई है।  
|उदाहरण=[[ओम]] वह '''अक्षर''' है जिसका कभी नाश नहीं हो सकता जिसमे सम्पूर्ण भूतकाल, वर्तमान काल तथा भविष्य काल ‘ओंकार’ का छोटा सा व्याख्यान है। सभी शक्तियाँ, ॠद्धियाँ और सिद्धियाँ ‘ओंकार’ में भरी हुई है।  
|विशेष='''अक्षर''' (लाक्षणिक) लिपि के रूप में भी प्रयोग होता है। जैसे-[[देवनागरी लिपि|देवनागरी]] '''अक्षर''', अरबी अक्षर
|विशेष='''अक्षर''' (लाक्षणिक) लिपि के रूप में भी प्रयोग होता है। जैसे-[[देवनागरी लिपि|देवनागरी]] '''अक्षर''', अरबी '''अक्षर'''
|पर्यायवाची=अंक, आखर, वर्ण, हर्फ़
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|संस्कृत=[अ+क्षर] अक्षर (विक्रमोर्वशीयम्), अविनाशी, अनश्वर-<ref>कु. 3/50</ref>, <ref>भगवद्-[[गीता]] 15/16</ref>, स्थिर, दृढ़
|संस्कृत=[अ+क्षर] अक्षर (विक्रमोर्वशीयम्), अविनाशी, अनश्वर-<ref>कु. 3/50</ref>, <ref>भगवद्-[[गीता]] 15/16</ref>, स्थिर, दृढ़
अक्षरः- शिव, विष्णु
अक्षरः- शिव, विष्णु
अक्षरं- (क) वर्णमाला का एक अक्षर-अक्षराणामकारऽस्मि-<ref>भगवद्-गीता 10/33 त्र्यक्षर</ref> आदि। (ख) कोई एक ध्वनि-एकाक्षरं परं ब्रह्म-<ref>[[मनुस्मृति]] 2/83</ref>। (ग) एक या अनेक वर्ण, समष्टिरुप से भाषा-प्रतिषेधाक्षरविक्लवाभिरामम्-<ref>शकुन्तला नाटक 3/25</ref>, दस्तावेज, लिखावट, अविनाशी आत्मा, ब्रह्म, पानी, आकाश, परमानन्द, मोक्ष
'''अक्षर'''- (क) वर्णमाला का एक अक्षर-अक्षराणामकारऽस्मि-<ref>भगवद्-गीता 10/33 त्र्यक्षर</ref> आदि। (ख) कोई एक ध्वनि-एकाक्षरं परं ब्रह्म-<ref>[[मनुस्मृति]] 2/83</ref>। (ग) एक या अनेक वर्ण, समष्टिरुप से भाषा-प्रतिषेधाक्षरविक्लवाभिरामम्-<ref>शकुन्तला नाटक 3/25</ref>, दस्तावेज, लिखावट, अविनाशी आत्मा, ब्रह्म, पानी, आकाश, परमानन्द, मोक्ष
|अन्य ग्रंथ=
|अन्य ग्रंथ=
|असमिया=बर्ण, आखर, अक्षर
|असमिया=बर्ण, आखर, अक्षर

12:01, 10 फ़रवरी 2011 का अवतरण

हिन्दी जिसका कभी नाश न हो, अविनाशी, स्थिर, नित्य, परमात्मा, महादेव, विष्णु, आत्मा, आकाश, मोक्ष, मूल प्रकृति, अव्यक्त, श्वास के एक आघात में उच्चरित ध्वनि इकाई, स्वर या स्वरसहित व्यंजन या व्यंजनसहित स्वर, स्थिर, ब्रह्म, शिव
-व्याकरण    विशेषण, पुल्लिंग
-उदाहरण  
(शब्द प्रयोग)  
ओम वह अक्षर है जिसका कभी नाश नहीं हो सकता जिसमे सम्पूर्ण भूतकाल, वर्तमान काल तथा भविष्य काल ‘ओंकार’ का छोटा सा व्याख्यान है। सभी शक्तियाँ, ॠद्धियाँ और सिद्धियाँ ‘ओंकार’ में भरी हुई है।
-विशेष    अक्षर (लाक्षणिक) लिपि के रूप में भी प्रयोग होता है। जैसे-देवनागरी अक्षर, अरबी अक्षर
-विलोम  
-पर्यायवाची    अंक, आखर, वर्ण, हर्फ़
संस्कृत [अ+क्षर] अक्षर (विक्रमोर्वशीयम्), अविनाशी, अनश्वर-[1], [2], स्थिर, दृढ़

अक्षरः- शिव, विष्णु अक्षर- (क) वर्णमाला का एक अक्षर-अक्षराणामकारऽस्मि-[3] आदि। (ख) कोई एक ध्वनि-एकाक्षरं परं ब्रह्म-[4]। (ग) एक या अनेक वर्ण, समष्टिरुप से भाषा-प्रतिषेधाक्षरविक्लवाभिरामम्-[5], दस्तावेज, लिखावट, अविनाशी आत्मा, ब्रह्म, पानी, आकाश, परमानन्द, मोक्ष

अन्य ग्रंथ
संबंधित शब्द
संबंधित लेख
अन्य भाषाओं मे
भाषा असमिया उड़िया उर्दू कन्नड़ कश्मीरी कोंकणी गुजराती
शब्द बर्ण, आखर, अक्षर बर्ण (अख्यर) हर्फ़ अक्षर अछुर, हरूफ अक्षर, वर्ण
भाषा डोगरी तमिल तेलुगु नेपाली पंजाबी बांग्ला बोडो
शब्द एलुत्तु अक्षरमु अक्खर वर्ण (र्न), अक्षर (क्ख)
भाषा मणिपुरी मराठी मलयालम मैथिली संथाली सिंधी अंग्रेज़ी
शब्द स्वर, वर्ण, शब्द अक्षरं अखरु

अन्य शब्दों के अर्थ के लिए देखें शब्द संदर्भ कोश

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कु. 3/50
  2. भगवद्-गीता 15/16
  3. भगवद्-गीता 10/33 त्र्यक्षर
  4. मनुस्मृति 2/83
  5. शकुन्तला नाटक 3/25