"विश्वकर्मा": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
No edit summary |
आदित्य चौधरी (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "हिंदू" to "हिन्दू") |
||
पंक्ति 8: | पंक्ति 8: | ||
*समस्त शिल्प के ये अधिदेवता हैं। | *समस्त शिल्प के ये अधिदेवता हैं। | ||
*भगवान श्री[[राम]] के लिये सेतुनिर्माण करने वाले वानरराज [[नल]] इन्हीं के अंश से उत्पन्न हुए थे। | *भगवान श्री[[राम]] के लिये सेतुनिर्माण करने वाले वानरराज [[नल]] इन्हीं के अंश से उत्पन्न हुए थे। | ||
* | *हिन्दू-शिल्पी अपने कर्म की उन्नति के लिये भाद्रपद की संक्रान्ति को इनकी आराधना करते हैं। उस दिन शिल्प का कोई उपकरण व्यवहार में नहीं आता। | ||
*बंगाल में यह पूजा विशेष प्रचलित है। | *बंगाल में यह पूजा विशेष प्रचलित है। | ||
03:32, 7 अप्रैल 2010 का अवतरण
विश्वकर्मा / Vishvakarma
- प्रभास नामक वसु की पत्नी महासती योगासिद्धा इन देवशिल्पी की माता हैं।
- देवताओं के समस्त विमानादि तथा अस्त्र शस्त्र इन्हीं के द्वारा निर्मित हैं।
- लंका की स्वर्णपुरी, द्वारिकाधाम, भगवान जगन्नाथ का श्रीविग्रह इन्होंने ही निर्मित किया।
- इनका एक नाम त्वष्टा है।
- सूर्य पत्नी संज्ञा इन्हीं की पुत्री हैं। इनके पुत्र विश्वरूप और वृत्र हुए।
- सर्वमेध के द्वारा इन्होंने जगत की सृष्टि की और आत्मबलिदान करके निर्माण कार्य पूर्ण किया।
- समस्त शिल्प के ये अधिदेवता हैं।
- भगवान श्रीराम के लिये सेतुनिर्माण करने वाले वानरराज नल इन्हीं के अंश से उत्पन्न हुए थे।
- हिन्दू-शिल्पी अपने कर्म की उन्नति के लिये भाद्रपद की संक्रान्ति को इनकी आराधना करते हैं। उस दिन शिल्प का कोई उपकरण व्यवहार में नहीं आता।
- बंगाल में यह पूजा विशेष प्रचलित है।