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{{शब्द संदर्भ लघु
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|हिन्दी=खून, रक्त, घाव का पीव, मवाद, [[लाल रंग]] का, [[क्षत]] या आघात से उत्पन्न होने वाला। जैसे- क्षतज ज्वर 
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|व्याकरण=[[विशेषण]], धातु, पुल्लिंग
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|उदाहरण=<poem>‘पश्येयमचलं भद्रे नाना द्विजगणायुतम् शिखरै: खमिवोद्विद्धैर्धातुमद्भिर्विभूषितम्।
|उदाहरण=<poem>तुम लगते केवल मेरे हो, तुमसे बढ़ता मेरा लगाव,छलक रहे इन शब्दों में, ढाले है मैंने '''क्षतज''' भाव
केचिद् रजतसंकाशा: केचित् '''क्षतज''' संनिभा:, पीतमांजिष्ठ वर्णाश्च केचिन् मणिवरप्रभा:।
किस भांति जताऊं मै तुमको, जो दर्द [[ह्रदय]] में आता है, मन विरह व्यथा में रोता है, नित आँखों से बह जाता है</poem>  
पुष्पार्क केतकाभाश्च केचिज्ज्योतिरस प्रभा:, विराजन्तेऽचलेन्द्रस्य देशा धातुविभूषिता:’।</poem>
|विशेष=वैद्यक में सात प्रकार की प्यासों में से एक जो घाव में से बहुत अधिक रक्त निकल जाने के कारण लगती है।
|विशेष=वैद्यक में सात प्रकार की प्यासों में से एक जो घाव में से बहुत अधिक रक्त निकल जाने के कारण लगती है।
|विलोम=
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|पर्यायवाची=घायल, ज़ख़्मी, क्षत, शस्त
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|संस्कृत=[क्षत+ज]
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|अन्य ग्रंथ=
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09:59, 11 फ़रवरी 2011 का अवतरण

शब्द संदर्भ
हिन्दी खून, रक्त, घाव का पीव, मवाद, लाल रंग का, क्षत या आघात से उत्पन्न होने वाला।
-व्याकरण    विशेषण, धातु, पुल्लिंग
-उदाहरण  

तुम लगते केवल मेरे हो, तुमसे बढ़ता मेरा लगाव,छलक रहे इन शब्दों में, ढाले है मैंने क्षतज भाव
किस भांति जताऊं मै तुमको, जो दर्द ह्रदय में आता है, मन विरह व्यथा में रोता है, नित आँखों से बह जाता है

-विशेष    वैद्यक में सात प्रकार की प्यासों में से एक जो घाव में से बहुत अधिक रक्त निकल जाने के कारण लगती है।
-विलोम   
-पर्यायवाची    घायल, ज़ख़्मी, क्षत, शस्त
संस्कृत [क्षत+ज]
अन्य ग्रंथ
संबंधित शब्द क्षत
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अन्य शब्दों के अर्थ के लिए देखें शब्द संदर्भ कोश