"केशान्त संस्कार": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
छो (Text replace - "{{लेख प्रगति" to "{{प्रचार}} {{लेख प्रगति")
छो (Adding category Category:संस्कृति कोश (को हटा दिया गया हैं।))
पंक्ति 18: पंक्ति 18:
__INDEX__[[Category:हिन्दू_संस्कार]]
__INDEX__[[Category:हिन्दू_संस्कार]]
[[Category:हिन्दू_धर्म_कोश]]
[[Category:हिन्दू_धर्म_कोश]]
[[Category:संस्कृति कोश]]

05:17, 17 फ़रवरी 2011 का अवतरण

  • हिन्दू धर्म संस्कारों में केशान्त संस्कार एकादश संस्कार है।
  • बालक का प्रथम मुंण्डन प्रायः पहले या तीसरे वर्ष में हो जाता है। यह बात पहले ही कही जा चुकी है।
  • प्रथम मुंण्डन का प्रयोजन केवल गर्भ के केशमात्र दूर करना होता है।
  • उसके बाद इस केशान्त संस्कार में भी मुंण्डन करना होता है।
  • जिससे बालक वेदारम्भ तथा क्रिया-कर्मों के लिए अधिकारी बन सके अर्थात वेद-वेदान्तों के पढ़ने तथा यज्ञादिक कार्यों में भाग ले सके। इसलिए कहा भी है कि शास्त्रोक्त विधि से भली-भाँति व्रत का आचरण करने वाला ब्रह्मचारी इस केशान्त-संस्कार में सिर के केशों को तथा श्मश्रु के बालों को कटवाता है।[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 'केशान्तकर्मणा तत्र यथोक्त-चरितव्रतः' (व्यासस्मृति 1|41)।

संबंधित लेख