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*वेद ही हिन्दू धर्म के सर्वोच्च और सर्वोपरि धर्मग्रन्थ हैं। '''वेद के असल मन्त्र भाग को संहिता कहते हैं।'''  
*वेद ही हिन्दू धर्म के सर्वोच्च और सर्वोपरि धर्मग्रन्थ हैं। '''वेद के असल मन्त्र भाग को संहिता कहते हैं।'''  
*वेदों में सर्वप्रथम [[ऋग्वेद]] का निर्माण हुआ। यह पद्यात्मक है। दूसर [[यजुर्वेद]] गद्यमय है तीसरा [[सामवेद]] गीतात्मक है और चौथा [[अथर्ववेद]] जिसमें जादू, चमत्कार, आरोग्य, यज्ञ के लिये मन्त्र हैं।  
*वेदों में सर्वप्रथम [[ऋग्वेद]] का निर्माण हुआ। यह पद्यात्मक है। दूसर [[यजुर्वेद]] गद्यमय है तीसरा [[सामवेद]] गीतात्मक है और चौथा [[अथर्ववेद]] जिसमें जादू, चमत्कार, आरोग्य, यज्ञ के लिये मन्त्र हैं।  
*भारतीय [[दर्शन]] शास्त्र के मतानुसार [[शब्द]] को नित्य कहा गया है। वेद ने शब्द को नित्य माना है, अत: वेद अपौरूषेय है यह निश्चित होता है।
*भारतीय [[दर्शन]] शास्त्र के मतानुसार [[शब्द (व्याकरण)|शब्द]] को नित्य कहा गया है। वेद ने शब्द को नित्य माना है, अत: वेद अपौरूषेय है यह निश्चित होता है।
*सुप्रसिद्ध वेदभाष्यकार महान पण्डित [[सायणाचार्य]] अपने वेदभाष्य में लिखते हैं कि '''इष्टप्राप्त्यनिष्टपरिहारयोरलौकिकमुपायं यो ग्रन्थो वेदयति स वेद:''' '''[[वेद|.... और पढ़ें]]'''
*सुप्रसिद्ध वेदभाष्यकार महान पण्डित [[सायणाचार्य]] अपने वेदभाष्य में लिखते हैं कि '''इष्टप्राप्त्यनिष्टपरिहारयोरलौकिकमुपायं यो ग्रन्थो वेदयति स वेद:''' '''[[वेद|.... और पढ़ें]]'''

11:42, 20 फ़रवरी 2011 का अवतरण

वेद
वेद
  • 'वेद' हिन्दू धर्म के प्राचीन पवित्र ग्रंथों का नाम है, जिससे वैदिक संस्कृति प्रचलित हुई।
  • वेद प्राचीन भारत के वैदिक काल की वाचिक परम्परा की अनुपम कृति है जो पीढी दर पीढी पिछले चार-पाँच हज़ार वर्षों से चली आ रही है।
  • वेद ही हिन्दू धर्म के सर्वोच्च और सर्वोपरि धर्मग्रन्थ हैं। वेद के असल मन्त्र भाग को संहिता कहते हैं।
  • वेदों में सर्वप्रथम ऋग्वेद का निर्माण हुआ। यह पद्यात्मक है। दूसर यजुर्वेद गद्यमय है तीसरा सामवेद गीतात्मक है और चौथा अथर्ववेद जिसमें जादू, चमत्कार, आरोग्य, यज्ञ के लिये मन्त्र हैं।
  • भारतीय दर्शन शास्त्र के मतानुसार शब्द को नित्य कहा गया है। वेद ने शब्द को नित्य माना है, अत: वेद अपौरूषेय है यह निश्चित होता है।
  • सुप्रसिद्ध वेदभाष्यकार महान पण्डित सायणाचार्य अपने वेदभाष्य में लिखते हैं कि इष्टप्राप्त्यनिष्टपरिहारयोरलौकिकमुपायं यो ग्रन्थो वेदयति स वेद: .... और पढ़ें