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*धार्मिक विधियों में कलश की स्थापना का एक महत्वपूर्ण विधि है।  
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*इसमें जल देवता, [[वरुण]] की पूजा होती है।  
*इसमें [[जल]] देवता, [[वरुण]] की पूजा होती है।  
*यह अनुष्ठान शांति और समृद्धि के लिए किया जाता है।  
*यह अनुष्ठान शांति और समृद्धि के लिए किया जाता है।  
*एक अथवा एक से अधिक कलशों की (108कलशों) की स्थापना की जाती है।  
*एक अथवा एक से अधिक कलशों की (108 कलशों) की स्थापना की जाती है।  
*कलश के एक ही प्रतीक में सभी [[देवता]], सप्त सागर, सप्त सरिता, [[पृथ्वी]], चारों [[वेद]], गायत्री सभी के पापक्षय और शांति के लिए समंवय किया गया है।  
*कलश के एक ही प्रतीक में सभी [[देवता]], सप्त सागर, सप्त सरिता, [[पृथ्वी देवी|पृथ्वी]], चारों [[वेद]], [[गायत्री]] सभी के पापक्षय और शांति के लिए समंवय किया गया है।  
*जल से भरे कलश के अंदर आम्रपल्लव और उसके ऊपर नारियल रख कर पूजा की जाती है।  
*जल से भरे कलश के अंदर आम्रपल्लव और उसके ऊपर नारियल रख कर पूजा की जाती है।  
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13:20, 20 फ़रवरी 2011 का अवतरण

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  • धार्मिक विधियों में कलश की स्थापना का एक महत्वपूर्ण विधि है।
  • इसमें जल देवता, वरुण की पूजा होती है।
  • यह अनुष्ठान शांति और समृद्धि के लिए किया जाता है।
  • एक अथवा एक से अधिक कलशों की (108 कलशों) की स्थापना की जाती है।
  • कलश के एक ही प्रतीक में सभी देवता, सप्त सागर, सप्त सरिता, पृथ्वी, चारों वेद, गायत्री सभी के पापक्षय और शांति के लिए समंवय किया गया है।
  • जल से भरे कलश के अंदर आम्रपल्लव और उसके ऊपर नारियल रख कर पूजा की जाती है।


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