"दभोल": अवतरणों में अंतर
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*[[महाराष्ट्र]] के कोंकण प्रदेश के रत्नागिरि ज़िले में '''दभोल या दबुल''' एक प्रसिद्ध बन्दरगाह था। | *[[महाराष्ट्र]] के कोंकण प्रदेश के रत्नागिरि ज़िले में '''दभोल या दबुल''' एक प्रसिद्ध बन्दरगाह था। | ||
*इसका मध्यकाल में पर्याप्त महत्व रहा। | *इसका मध्यकाल में पर्याप्त महत्व रहा। | ||
*सन 1313ई. में [[अलाउद्दीन ख़िलजी]] के सेनापति मलिक काफ़ूर ने [[देवगिरि]] के शासक शंकरदेव को पराजित करके [[कृष्णा नदी]] और [[तुंगभद्रा नदी|तुंगभद्रा]] नदियों के बीच के प्रदेश पर अधिकार कर लिया। | *सन 1313ई. में [[अलाउद्दीन ख़िलजी]] के सेनापति [[मलिक काफ़ूर]] ने [[देवगिरि]] के शासक शंकरदेव को पराजित करके [[कृष्णा नदी]] और [[तुंगभद्रा नदी|तुंगभद्रा]] नदियों के बीच के प्रदेश पर अधिकार कर लिया। | ||
*तदंतर उसने दभोल तथा [[चोल]] बन्दरगाहों पर अधिकार कर लिया। | *तदंतर उसने दभोल तथा [[चोल]] बन्दरगाहों पर अधिकार कर लिया। | ||
*[[मुग़ल काल]] में भी दभोल एक महत्वपूर्ण बन्दरगाह था। | *[[मुग़ल काल]] में भी दभोल एक महत्वपूर्ण बन्दरगाह था। |
06:36, 23 फ़रवरी 2011 का अवतरण
- महाराष्ट्र के कोंकण प्रदेश के रत्नागिरि ज़िले में दभोल या दबुल एक प्रसिद्ध बन्दरगाह था।
- इसका मध्यकाल में पर्याप्त महत्व रहा।
- सन 1313ई. में अलाउद्दीन ख़िलजी के सेनापति मलिक काफ़ूर ने देवगिरि के शासक शंकरदेव को पराजित करके कृष्णा नदी और तुंगभद्रा नदियों के बीच के प्रदेश पर अधिकार कर लिया।
- तदंतर उसने दभोल तथा चोल बन्दरगाहों पर अधिकार कर लिया।
- मुग़ल काल में भी दभोल एक महत्वपूर्ण बन्दरगाह था।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ