"विसर्जन (श्राद्ध)": अवतरणों में अंतर
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मनसस्पत ऽ इमं देव, यज्ञ स्वाहा वाते धाः॥<ref>-8.21</ref></poem> | मनसस्पत ऽ इमं देव, यज्ञ स्वाहा वाते धाः॥<ref>-8.21</ref></poem> | ||
====<u>पितृ | ====<u>पितृ विसर्जन</u>==== | ||
पितरों का | पितरों का विसर्जन तिलाक्षत छोड़ते हुए करें। | ||
<poem>ॐ यान्तु पितृगणाः सवेर्, यतः स्थानादुपागताः। | <poem>ॐ यान्तु पितृगणाः सवेर्, यतः स्थानादुपागताः। | ||
सवेर् ते हृष्टमनसः, सवार्न् कामान् ददन्तु मे॥ | सवेर् ते हृष्टमनसः, सवार्न् कामान् ददन्तु मे॥ | ||
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इहास्माकं शिवं शान्तिः, आयुरारोगयसम्पदः। | इहास्माकं शिवं शान्तिः, आयुरारोगयसम्पदः। | ||
वृद्धिः सन्तानवगर्स्य, जायतामुत्तरोत्तरा॥</poem> | वृद्धिः सन्तानवगर्स्य, जायतामुत्तरोत्तरा॥</poem> | ||
====<u>देव | ====<u>देव विसर्जन</u>==== | ||
अन्त में पुष्पाक्षत छोड़ते हुए देव | अन्त में पुष्पाक्षत छोड़ते हुए देव विसर्जन करें। | ||
<poem>ॐ यान्तु देवगणाः सवेर्, पूजामादाय मामकीम्। | <poem>ॐ यान्तु देवगणाः सवेर्, पूजामादाय मामकीम्। | ||
इष्ट कामसमृद्ध्यथरं, पुनरागमनाय च॥</poem> | इष्ट कामसमृद्ध्यथरं, पुनरागमनाय च॥</poem> |
06:41, 1 मार्च 2011 का अवतरण
विसर्जन में तीन प्रकार के विसर्जन किये जाते हैं, जिनके नाम इस प्रकार है:-
- पिण्ड विसर्जन,
- पितृ विसर्जन,
- देव विसर्जन।
पिण्ड विसजर्न
नीचे लिखे मन्त्र के साथ पिण्डों पर जल सिञ्चित करें।
ॐ देवा गातुविदोगातुं, वित्त्वा गातुमित।
मनसस्पत ऽ इमं देव, यज्ञ स्वाहा वाते धाः॥[1]
पितृ विसर्जन
पितरों का विसर्जन तिलाक्षत छोड़ते हुए करें।
ॐ यान्तु पितृगणाः सवेर्, यतः स्थानादुपागताः।
सवेर् ते हृष्टमनसः, सवार्न् कामान् ददन्तु मे॥
ये लोकाः दानशीलानां, ये लोकाः पुण्यकमर्णाम्।
सम्पूणार्न् सवर्भोगैस्तु, तान् व्रजध्वं सुपुष्कलान्॥
इहास्माकं शिवं शान्तिः, आयुरारोगयसम्पदः।
वृद्धिः सन्तानवगर्स्य, जायतामुत्तरोत्तरा॥
देव विसर्जन
अन्त में पुष्पाक्षत छोड़ते हुए देव विसर्जन करें।
ॐ यान्तु देवगणाः सवेर्, पूजामादाय मामकीम्।
इष्ट कामसमृद्ध्यथरं, पुनरागमनाय च॥
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ -8.21