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{ यह कौन-सा [[भारत के पुष्प|पुष्प]] है? <br />
[[चित्र:Delonix-Regia.jpg|link=प्रयोग:फ़ौज़िया5|300px]]
| type="()" }
- [[रजनीगंधा]]
- [[सदाबहार]]
- [[गुड़हल]]
+ [[गुलमोहर]]
|| गुलमोहर एक सुगंन्धित [[भारत के पुष्प|पुष्प]] है। गुलमोहर मडागास्कर का पेड़ है। सोलहवीं शताब्दी में पुर्तग़ालियों ने मडागास्कर में इसे देखा था। प्रकृति ने गुलमोहर को बहुत ही सुव्यवस्थित तरीके से बनाया है, इसके हरे रंग की फर्न जैसी झिलमिलाती पत्तियों के बीच बड़े-बड़े गुच्छों में खिले फूल इस तरीके से शाखाओं पर सजते है कि इसे विश्व के सुंदरतम वृक्षों में से एक माना गया है। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[गुलमोहर]] 


{ यह [[शिव]] की मूर्ति कहाँ पर स्थित है? <br />
[[चित्र:Statue-Shiva-Bangalore.jpg|link=प्रयोग:फ़ौज़िया5|250px]]
| type="()" }
- [[हरिद्वार]]
+ [[बेंगळूरू]]
- [[ॠषिकेश]]
- [[द्वारका]]
|| शिव की मूर्ति 65 फीटर ऊँची है। इस मूर्ति में भगवान शिव पदमासन की अवस्था में विराजमान है। इस मूर्ति की पृष्ठभूमि में [[कैलाश पर्वत]], भगवान शिव का निवास स्थल तथा प्रवाहित हो रही [[गंगा नदी]] है।
{ यह [[चण्‍डीगढ़]] का कौन-सा गार्डन है? <br />
[[चित्र:Chandigarh-Rock-Garden.jpg|link=प्रयोग:फ़ौज़िया5|300px]]
| type="()" }
+ रॉक गार्डन
- पिंजौर गार्डन
- रोज़ गार्डन
- बॉटेनिकल गार्डेन
|| रॉक गार्डन एक व्यक्ति के एकल प्रयास का अनुपम और उत्कृष्ट नमूना है, जो दुनिया भर में अपने अनूठे उपक्रम के लिए बहुत सराहा गया है। रॉक गार्डन के निर्माता नेकचंद एक कर्मचारी थे जो दिन भर साइकिल पर बेकार पड़ी ट्यूब लाइट्स, टूटी-फूटी चूडि़यों, प्लेट, चीनी के कप, फ्लश की सीट, बोतल के ढक्कन व किसी भी बेकार फेंकी गई वस्तुओं को बीनते रहते और उन्हें यहाँ सेक्टर एक में इकट्ठा करते रहते। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[चण्‍डीगढ़]] 
{ यह कौन-सा शहर है? <br />
[[चित्र:A-View-Of-Mumbai-1.jpg|link=प्रयोग:फ़ौज़िया5|300px]]
| type="()" }
- [[दिल्ली]]
- [[बंगलोर]]
+ [[मुम्बई]]
- [[लखनऊ]]
|| मुम्बई शहर, भूतपूर्व बंबई, [[महाराष्ट्र]] राज्य की राजधानी है। यह दक्षिण-पश्चिम [[भारत]] देश का वित्तीय व वाणिज्यिक केंद्र और [[अरब सागर]] में स्थित प्रमुख बंदरगाह है। मुम्बई दुनिया के विशालतम व सबसे घनी आबादी वाले शहरों में से एक है। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[मुम्बई]] 
{ यह कौन-सा मन्दिर है? <br />
[[चित्र:Vishwanath-Temple-Varanasi-3.jpg|link=प्रयोग:फ़ौज़िया5|250px]]
| type="()" }
- [[बिरला मंदिर मथुरा|बिरला मंदिर]], [[मथुरा]]
+ [[विश्वनाथ मन्दिर]], [[वाराणसी]]
- [[बेलूर मठ कोलकाता|बेलूर मठ]], [[कोलकाता]]
- [[गोविंद देवजी का मंदिर जयपुर|गोविंद देवजी का मंदिर]], [[जयपुर]]
|| श्री विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग [[उत्तर प्रदेश]] के [[वाराणसी]] जनपद के [[काशी]] नगर में अवस्थित है। कहते हैं, काशी तीनों लोकों में न्यारी नगरी है, जो भगवान [[शिव]] के त्रिशूल पर विराजती है। इसे आनन्दवन, आनन्दकानन, अविमुक्त क्षेत्र तथा काशी आदि अनेक नामों से स्मरण किया गया है। काशी साक्षात सर्वतीर्थमयी, सर्वसन्तापहरिणी तथा मुक्तिदायिनी नगरी है। निराकर महेश्वर ही यहाँ भूतभावना भोलानाथ श्री विश्वनाथ के रूप में साक्षात अवस्थित हैं। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[विश्वनाथ मन्दिर]] 
{ यह कौन-सा नृत्य है? <br />
[[चित्र:Birju-Maharaj.jpg|link=प्रयोग:फ़ौज़िया5|200px]]
| type="()" }
- [[ओडिसी]]
- [[कुची पुडी]]
- [[भरतनाट्यम]]
+ [[कथक नृत्य]]
|| [[शास्त्रीय नृत्य]] में कथक का नृत्‍य रूप 100 से अधिक घुंघरु‍ओं को पैरों में बांध कर तालबद्ध पदचाप, विहंगम चक्‍कर द्वारा पहचाना जाता है और हिन्दू धार्मिक कथाओं के अलावा पर्शियन और उर्दू कविता से ली गई विषय वस्‍तुओं का नाटकीय प्रस्‍तुतीकरण किया जाता है। कथक का जन्‍म उत्तर में हुआ किन्‍तु पर्शियन और मुस्लिम प्रभाव से यह मंदिर की रीति से दरबारी मनोरंजन तक पहुंच गया। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[कथक नृत्य]] 
{ यह [[संगीत]] का कौन-सा [[वाद्य यंत्र]] है? <br />
[[चित्र:Tanpura.jpg|link=प्रयोग:फ़ौज़िया5|300px]]
| type="()" }
- [[सितार]]
- [[मृदंग]]
- [[ध्रुपद]]
+ [[तानपुरा]]
|| साधारणतया इस वाद्य को तानपुरा के नाम से पुकारते हैं। उत्तर-भारतीय [[संगीत]] में इसने महत्त्वपूर्ण स्थान ग्रहण कर लिया है। कारण यह है कि इसका स्वर बहुत ही मधुर तथा अनुकूल वातावरण की सृष्टि में सहायक होता है।  {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[तानपुरा]] 
{ यह मंदिर कहाँ पर स्थित है? <br />
[[चित्र:Sun-Temple-Konark.jpg|link=प्रयोग:फ़ौज़िया5|300px]]
| type="()" }
- [[हम्पी]]
+ [[कोणार्क]]
- [[खजुराहो]]
- [[सोमनाथ]]
|| कोणार्क अपने 13वीं शताब्दी के [[सूर्य मंदिर कोणार्क|सूर्य मंदिर]], सूर्य देउला के लिए प्रसिद्ध है। पहले ‘काले पैगोड़ा’ कहलाने वाले इस मंदिर का उपयोग [[कलकत्ता]] (वर्तमान कोलकाता) की ओर यात्रा कर रहे नाविकों द्वारा जहाज़रानी सीमाचिन्ह के रूप में किया जाता था। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[कोणार्क]] 
{ यह कौन है? <br />
[[चित्र:Mirza-Ghalib.gif|link=प्रयोग:फ़ौज़िया5|200px]]
| type="()" }
+ [[मिर्ज़ा ग़ालिब]]
- [[दादू दयाल]]
- [[मलिक मुहम्मद जायसी]]
- [[रहीम]]
|| ग़ालिब का जन्म [[आगरा]], [[उत्तर प्रदेश]] में एक सम्पन्न परिवार में हुआ था। उनका पूरा नाम 'मिर्ज़ा असदुल्ला बेग़ ख़ान 'ग़ालिब' था। बाद में वे [[दिल्ली]] में बस गए थे। 13 वर्ष की उम्र में उनका विवाह उमरो बेगम से हुआ था। ग़ालिब ऐशो-आराम की ज़िंदग़ी व्यतीत करते थे। अपव्ययी होने के कारण वे कर्ज़ में डूबे रहते थे। उनके जीवन का उत्तरार्ध बड़ी विपन्नता में बीता था। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[मिर्ज़ा ग़ालिब]] 
{ यह कौन-सा क़िला है? <br />
[[चित्र:Jaipur-Amber-Fort.jpg|link=प्रयोग:फ़ौज़िया5|300px]]
| type="()" }
+ [[आमेर का क़िला जयपुर|आमेर का क़िला]], [[जयपुर]]
- [[जूनागढ़ क़िला बीकानेर|जूनागढ़ क़िला]], [[बीकानेर]]
- [[जैसलमेर क़िला]]
- [[अकबर का क़िला अजमेर|अकबर का क़िला]], [[अजमेर]]
|| [[जयपुर]] शहर, [[राजस्थान]] की राजधानी से 11 किलोमिटर दूर [[अरावली पर्वतमाला]] पर स्थित आमेर का क़िला [[राजपूत]] वास्‍तुकला का अद़भुत उदाहरण है। आमेर का क़िला [[दिल्ली]] - जयपुर राजमार्ग की जंगली पहाडियों के बीच अपनी विशाल प्राचीरों सहित नीचे माओटा झील के पानी में छवि दिखाता खड़ा हुआ है। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[आमेर का क़िला जयपुर]] 
{ यह कौन-सी गुफ़ाएँ हैं? <br />
[[चित्र:Elephanta-Caves-Mumbai.jpg|link=प्रयोग:फ़ौज़िया5|300px]]
| type="()" }
- [[एलोरा की गुफ़ाएं]], [[औरंगाबाद]]
+ [[एलिफेंटा की गुफाएँ]], [[मुम्बई]]
- [[जोगेश्‍वरी गुफ़ा मुंबई|जोगेश्‍वरी गुफ़ा]], [[मुंबई]]
- [[अजंता की गुफ़ाएं]], [[औरंगाबाद]]
|| एलिफेंटा की गुफाएँ [[मुंबई]] से 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। एलिफेंटा की गुफाएँ मुम्‍बई महानगर के पास स्थित पर्यटकों का एक बड़ा आकर्षण केन्‍द्र हैं। इन गुफाओं को घारापुरी के पुराने नाम से जाना जाता है जो कोंकणी मौर्य की द्वीप राजधानी थी। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[एलिफेंटा की गुफाएँ]] 
{ यह कौन-सी इमारत है? <br />
[[चित्र:Supreme-Court.jpg|link=प्रयोग:फ़ौज़िया5|300px]]
| type="()" }
+ उच्चतम न्यायालय
- संसद भवन
- [[राष्ट्रपति भवन]]
- [[राष्ट्रीय संग्रहालय दिल्ली|राष्ट्रीय संग्रहालय]]
{ यह कौन-सा क़िला है? <br />
[[चित्र:Sonar-Fort-Jaisalmer-1.jpg|link=प्रयोग:फ़ौज़िया5|600px]]
| type="()" }
- [[मोती डुंगरी जयपुर|मोती डुंगरी]], [[जयपुर]]
- [[मेहरानगढ़ क़िला जोधपुर|मेहरानगढ़ क़िला]], [[जोधपुर]]
+ [[सोनार क़िला जैसलमेर|सोनार क़िला]], [[जैसलमेर]]
- [[भटनेर क़िला हनुमानगढ़|भटनेर क़िला]], [[हनुमानगढ़]]
|| [[जैसलमेर]] [[राजस्थान]] का सबसे ख़ूबसूरत शहर है और [[जैसलमेर पर्यटन]] का सबसे आकर्षक स्थल माना जाता है। जैसलमेर का गौरवशाली दुर्ग त्रिभुजाकार पहाड़ी पर स्थित हैं। इसकी सुरक्षा के लिए इसके चारों ओर परकोटे पर तीस-तीस फीट ऊँची 99 बुर्जियाँ बनी हैं। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[सोनार क़िला जैसलमेर]] 
{ यह कौन है? <br />
[[चित्र:Satyajit-Ray.jpg|link=प्रयोग:फ़ौज़िया5|250px]]
| type="()" }
- [[महबूब ख़ान]]
- के. आसिफ़
- [[वी शांताराम]]
+ [[सत्यजीत राय]]
|| विश्व में भारतीय फ़िल्मों को नई पहचान दिलाने वाले '''[[भारत रत्न]] सम्मानित सत्यजीत राय''' (जन्म- [[2 मई]], [[1921]] [[कलकत्ता]] - मृत्यु- [[23 अप्रॅल]], [[1992]] [[कोलकाता]]) 20वीं शताब्दी के विश्व की महानतम फ़िल्मी हस्तियों में से एक थे, जिन्होंने यथार्थवादी धारा की फ़िल्मों को नई दिशा देने के अलावा [[साहित्य]], [[चित्रकला]] जैसी अन्य विधाओं में भी अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[सत्यजीत राय]] 
{ इस इमारत का नाम है? <br />
[[चित्र:Gateway-Of-India-Mumbai.jpg|link=प्रयोग:फ़ौज़िया5|300px]]
| type="()" }
- इंडिया ऑफ़ गेटवे
- [[इंडिया गेट]]
+ [[गेटवे ऑफ़ इंडिया]]
- [[बुलंद दरवाज़ा]]
|| गेटवे ऑफ़ इंडिया [[मुम्बई]] का बहुत ही प्रसिद्ध स्थान है। यह अपोलो बंडर के समीप स्थित है। गेटवे ऑफ़ इंडिया का प्रवेशद्वार असिताश्म का बना हुआ स्थापत्य है, जिसकी ऊंचाई 26 मीटर है। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[गेटवे ऑफ़ इंडिया]] 
{ इन पक्षियों का नाम क्या है? <br />
[[चित्र:Pigeon-3.jpg|link=प्रयोग:फ़ौज़िया5|200px]]
| type="()" }
+ [[कबूतर]]
- ग्रेलैग हंस
- गौरैया
- बुलबुल
|| कबूतर एक शांत स्वभाव वाला पक्षी है। कबूतर सभी स्थानों पर भिन्न-भिन्न आकृति वाले होते हैं। कोलंबिडी कुल (गण कोलंबीफॉर्मीज़) की कई सौ प्रजातियों के पक्षियों में से एक छोटे आकार वाले पक्षियों को फ़ाख्ता या कपोत और बड़े को कबूतर कहते हैं। इसका एक अपवाद सफ़ेद घरेलू कबूतर है, जिसे 'शांति कपोत' कहते हैं। कबूतर ठंडे इलाक़ों और दूरदराज़ के द्वीपों को छोड़कर लगभग पूरी दुनिया में पाए जाते हैं। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[कबूतर]] 
{ यह कौन-सा जीव है? <br />
[[चित्र:Lion-Gir-Forest-National-Park-2.jpg|link=प्रयोग:फ़ौज़िया5|300px]]
| type="()" }
- [[सिंह]]
- [[बाघ]]
+ सिंहनी
- [[तेंदुआ]]
|| सिंहनी अधिकांश शिकार करती है, क्योंकि यह नर की तुलना में अधिक छोटी, फुर्तीली, और चुस्त होती है, इसमें भारी और विशिष्ट अयाल भी नहीं होती जो थकान के दौरान अति उष्मित कर दे। अपने शिकार का पीछा करने और उसे सफलतापूर्वक खींच लाने के लिए वे समूह में सहयोग के साथ कार्य करती है।
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11:45, 5 मार्च 2011 का अवतरण