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+[[मिलिंद (मिनांडर)|मिनांडर]] | +[[मिलिंद (मिनांडर)|मिनांडर]] | ||
-ड्रिमेटियस | -ड्रिमेटियस | ||
-[[महापद्मनंद]] | -[[महापद्मनंद]] | ||
||प्रथम पश्चिमी राजा जिसने [[बौद्ध धर्म]] अपनाया और [[मथुरा]] पर शासन किया। राज्य की सीमा- बैक्ट्रिया, [[पंजाब]], [[हिमाचल प्रदेश|हिमाचल]], [[जम्मू]] से [[मथुरा]]। [[डेमेट्रियस]] के समान मिनान्डर नामक यवन राजा के भी अनेक सिक्के उत्तर - पश्चिमी भारत में उपलब्ध हुए हैं। मिनान्डर की राजधानी शाकल (सियालकोट) थी।{{point}} अधिक जानकारी के देखें:- [[मिलिंद (मिनांडर)]] | |||
{[[पाणिनि]] के व्याकरण में उल्लिखित अग्रश्रेणयः या [[अगलस्सोई]] ने किससे युद्ध किया था? | {[[पाणिनि]] के व्याकरण में उल्लिखित अग्रश्रेणयः या [[अगलस्सोई]] ने किससे युद्ध किया था? | ||
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-[[मुहम्मद बिन क़ासिम]] | -[[मुहम्मद बिन क़ासिम]] | ||
-[[राजवुल]] | -[[राजवुल]] | ||
+[[सिकंदर]] | +[[सिकन्दर]] | ||
||सिकंदर महान मेसेडोनिया का ग्रीक प्रशासक था। वह एलेक्ज़ेंडर तृतीय तथा एलेक्ज़ेंडर मेसेडोनियन नाम से भी जाना जाता है। इतिहास में वह सबसे कुशल और यशस्वी सेनापति माना गया है। अपनी मृत्यु तक वह उस तमाम भूमि को जीत चुका था जिसकी जानकारी प्राचीन ग्रीक लोगों को थी। इसलिए उसे विश्वविजेता भी कहा जाता है। उसने अपने कार्यकाल में [[ईरान]], [[सीरिया]], [[मिस्र]], [[मेसोपोटेमिया]], [[फिनीशिया]], [[जुदेआ]], [[गाझा]], [[बैक्ट्रिया]] और [[भारत]] में [[पंजाब]] तक के प्रदेश पर विजय हासिल की थी। सिकन्दर के पिता का नाम फ़िलिप था।{{point}} अधिक जानकारी के देखें:- [[सिकन्दर]] | |||
{सम्राट [[अशोक]] की पत्नी का नाम क्या था? | {सम्राट [[अशोक]] की पत्नी का नाम क्या था? | ||
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-[[भोज]] | -[[भोज]] | ||
-[[पुष्यमित्र शुंग|पुष्यमित्र]] | -[[पुष्यमित्र शुंग|पुष्यमित्र]] | ||
||हेमू के पिता राय पूरनमल [[राजस्थान]] के अलवर ज़िले से आकर रेवाड़ी के कुतुबपुर में बस गए थे। हेमू तब छोटे ही थे। बड़े होने पर वे भी पिता के व्यवसाय में जुट गए। वे [[शेरशाह|शेरशाह सूरी]] की सेना को शोरा सप्लाई करते थे। शेरशाह उनके व्यक्तित्व से काफ़ी प्रभावित था।{{point}} अधिक जानकारी के देखें:- [[हेमू ]] | |||
{'आर्य' शब्द का शाब्दिक अर्थ है? | {'आर्य' शब्द का शाब्दिक अर्थ है? | ||
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{वैदिक गणित का महत्त्वपूर्ण अंग है? | {वैदिक गणित का महत्त्वपूर्ण अंग है? | ||
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-शतपथ | -[[शतपथ ब्राह्म]] | ||
-[[अथर्ववेद]] | -[[अथर्ववेद]] | ||
+शुल्व सूत्र | +शुल्व सूत्र | ||
-छांदोग्य उपनिषद | -[[छांदोग्य उपनिषद]] | ||
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-[[अथर्ववेद]] | -[[अथर्ववेद]] | ||
-[[सामवेद]] | -[[सामवेद]] | ||
||ऋग्वेद सबसे प्राचीनतम है। 'ॠक' का अर्थ होता है छन्दोबद्ध रचना या श्लोक। ॠग्वेद के सूक्त विविध [[देवता|देवताओं]] की स्तुति करने वाले भाव भरे गीत हैं। इनमें भक्तिभाव की प्रधानता है। यद्यपि ॠग्वेद में अन्य प्रकार के सूक्त भी हैं, परन्तु देवताओं की स्तुति करने वाले स्त्रोतों की प्रधानता है। ॠग्वेद में कुल दस मण्डल हैं और उनमें 1,029 सूक्त हैं और कुल 10,580 ॠचाएँ हैं। ये स्तुति मन्त्र हैं।{{point}} अधिक जानकारी के देखें:- [[ऋग्वेद]] | |||
{वेदों की संख्या कितनी है? | {वेदों की संख्या कितनी है? | ||
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{भारतीय संगीत का आदिग्रंथ कहा जाता है? | {भारतीय [[संगीत]] का आदिग्रंथ कहा जाता है? | ||
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-[[ऋग्वेद]] | -[[ऋग्वेद]] | ||
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-[[अथर्ववेद]] | -[[अथर्ववेद]] | ||
+[[सामवेद]] | +[[सामवेद]] | ||
||‘साम‘ शब्द का अर्थ है ‘गान‘। सामवेद में संकलित मंत्रों को देवताओं की स्तुति के समय गाया जाता था। सामवेद में कुल 1875 ऋचायें हैं। जिनमें 75 से अतिरिक्त शेष [[ऋग्वेद]] से ली गयी हैं। इन ऋचाओं का गान सोमयज्ञ के समय ‘उदगाता‘ करते थे।{{point}} अधिक जानकारी के देखें:- [[सामवेद]] | |||
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+मनु | +मनु | ||
-चाणक्य | -[[चाणक्य]] | ||
-चन्द्रगुप्त | -[[चन्द्रगुप्त मौर्य|चन्द्रगुप्त]] | ||
-सेल्युकस | -[[सेल्युकस]] | ||
{[[कृष्ण]] भक्ति का प्रथम और प्रधान ग्रंथ है? | {[[कृष्ण]] भक्ति का प्रथम और प्रधान ग्रंथ है? | ||
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+श्रीमद्भागवतगीता | +[[गीता|श्रीमद्भागवतगीता]] | ||
-[[महाभारत]] | -[[महाभारत]] | ||
-गीतगोविन्द | -गीतगोविन्द | ||
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+10वें | +10वें | ||
{पुराणों की संख्या कितनी है? | {[[पुराण|पुराणों]] की संख्या कितनी है? | ||
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+18 | +18 | ||
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+[[इंद्र]] | +[[इंद्र]] | ||
-[[अग्नि]] | -[[अग्नि]] | ||
- | -[[वरुण देवता|वरुण]] | ||
-सोम | -सोम | ||
||[[ॠग्वेद]] के प्राय: 250 सूक्तों में [[इन्द्र]] का वर्णन है तथा 50 सूक्त ऐसे हैं जिनमें दूसरे देवों के साथ इन्द्र का वर्णन है। इस प्रकार लगभग ऋग्वेद के चतुर्थांश में इन्द्र का वर्णन पाया जाता है। इससे हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि इन्द्र वैदिक युग का सर्वप्रिय [[देवता]] था। इन्द्र शब्द की व्युत्पत्ति एवं अर्थ अस्पष्ट है। {{point}} अधिक जानकारी के देखें:- [[इन्द्र]] | |||
{'शुल्व सूत्र' किस विषय से संबंधित पुस्तक है? | {'शुल्व सूत्र' किस विषय से संबंधित पुस्तक है? | ||
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-[[अथर्ववेद]] | -[[अथर्ववेद]] | ||
-[[सामवेद]] | -[[सामवेद]] | ||
||ऋग्वेद सबसे प्राचीनतम है। 'ॠक' का अर्थ होता है छन्दोबद्ध रचना या श्लोक। ॠग्वेद के सूक्त विविध [[देवता|देवताओं]] की स्तुति करने वाले भाव भरे गीत हैं। इनमें भक्तिभाव की प्रधानता है। यद्यपि ॠग्वेद में अन्य प्रकार के सूक्त भी हैं, परन्तु देवताओं की स्तुति करने वाले स्त्रोतों की प्रधानता है। ॠग्वेद में कुल दस मण्डल हैं और उनमें 1,029 सूक्त हैं और कुल 10,580 ॠचाएँ हैं। ये स्तुति मन्त्र हैं।{{point}} अधिक जानकारी के देखें:- [[ऋग्वेद]] | |||
{[[आर्य]] [[भारत]] में बाहर से आए और सर्वप्रथम बसे थे? | |||
{आर्य भारत में बाहर से आए और सर्वप्रथम बसे थे? | |||
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-सामातट में | -सामातट में | ||
-प्रागज्योतिष में | -प्रागज्योतिष में | ||
+पंजाब में | +[[पंजाब]] में | ||
-पांचाल में | -[[पांचाल]] में | ||
{वैशेषिक दर्शन के प्रतिपादक हैं? | {वैशेषिक दर्शन के प्रतिपादक हैं? |